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आज भी दिल को छू जाते हैं किशोर दा के गाने

आज भी दिल को छू जाते हैं किशोर दा के गाने
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बॉलीवुड के मशहूर गायक किशोर कुमार पहले हफनमौला थे, जिन्हें फिल्म का हर हुनर आता था. अभिनय से अपना$img_title फिल्मी सफर शुरू करने वाले किशोर दा ने एक समय मोहम्मद रफी को पीछे छोड़ दिया था. किशोर कुमार गायिकी में ही नहीं अभिनय, निर्देशन, संगीत निर्देशन और पटकथा लेखन में अपनी प्रतिभा का लोहा मनावा चुके थे.खास बात यह है कि किशोर कुमार ने अपनी आवाज से वर्षों तक लोगों को दीवाना बनाए रखा, उसे उस दौर के संगीतकारों ने शुरुआत में गंभीरता से नहीं लिया था. मस्तीभरी शोख और खनकभरी आवाज के धनी प्रसिद्ध पार्श्व गायक किशोर कुमार ने गाने की ट्रेनिंग नहीं ली थी.4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में जन्मे किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था. कुंदनलाल सहगल के दीवाने किशारे कुमार 18 वर्ष की उम्र में मुंबई चले आए.किशोर कुमार को गायक के तौर पर पहला ब्रेक मशहूर संगीत निर्देशक खेमचंद प्रकाश ने फिल्म जिद्दी (1948) में दिया. इस फिल्म में उन्होंने देवानंद के लिए 'मरने की दुनिया क्यों माँगू' गीत गाया. इस गाने की सफलता के बावजूद किशोर कुमार को गाने के कुछ खास मौके नहीं ले. शुरुआत में संगीतकारों ने किशोर कुमार को गायक के तौर पर गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन फंटूश (1956) के गीत 'दुखी मन मेरे' में उनकी शानदार गायकी ने संगीतकारों को काफी प्रभावित किया और उन्हें गायक के तौर पर गंभीरता से लिया जाने लगा. शहूर संगीतकार एसडी बर्मन ने ही किशोर दा की प्रतिभा को सही मायने में पहचाना और उसे तराशा. बर्मन दा ने किशोर दा से इस दौर में मुनीमजी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, पेइंग गेस्‍ट, गाइड, ज्वैल थीफ जैसी फिल्मों में गाने गवाए.गायक के तौर पर किशोर कुमार के कैरियर में शक्ति सामंत की फिल्म आराधना से जबरदस्त मोड़ आया. इस फिल्म के गानों 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू', 'कोरा कागज था ये मन मेरा' जैसे गीतों की सफलता ने रातों रात किशोर दा को शीर्ष पार्श्व गायक बना दिया.इसी फिल्म के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. सके बाद उन्होंने राजेश खन्ना के लिए एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए. राजेश खन्ना के साथ उन्होंने कटी पतंग, अमर प्रेम, सफर, अंदाज, नमक हराम, और आपकी कसम सरीखी फिल्मों में आराधना की सफलता को दोहराया.इन फिल्मों के गीतों की सफलता से किशोर दा उस दौर के सभी शीर्ष अभिनेताओं राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जीतेंद्र, संजीव कुमार, शशि कपूर, रणधीर कपूर और ऋषि कपूर की आवाज बन गए.बतौर पार्श्व गायक वह आखिर तक शीर्ष पर रहे. उन्होंने हिंदी के अतिरिक्त तमिल, मराठी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया भाषाओं में भी गाने गाए. उन्होंने कुल 574 फिल्मों में गाने गाए. उन्होंने आठ बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का फिल्म फेयर पुरस्कार जीता. 3 अक्तूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से मुंबई में उनका निधन हो गया. भले ही किशोर दा अब हमारे बीच न रहे हों लेकिन अपने सदाबहार गीतों से वह आज भी करोड़ों लोगों के दिल में जिंदा हैं.



Updated : 4 Aug 2012 12:00 AM GMT
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