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राहुल के लोगों ने ही यूपी में कराया बंटाधार

राहुल के लोगों ने ही यूपी में कराया बंटाधार
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नई दिल्‍ली।
हाल में खत्‍म हुए यूपी विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के करिश्‍मे का फायदा नहीं मिल पाने के लिए कांग्रेस के नेता सार्वजनिक तौर पर बेकार पार्टी मशीनरी और स्‍थानीय नेता

$img_titleको जिम्‍मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में सेंट्रल इलेक्‍शन कमेटी के लिए बनी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उम्‍मीदवारों के चयन के वक्त जमीन से जुड़े नेताओं की अनदेखी ही सूबे में कांग्रेस की हार की बड़ी वजह बनी।


इसमें कहा गया है कि पार्टी के ‘युवराज’ राहुल गांधी की मंडली भी यूपी में हार के लिए जिम्‍मेदार है। इसमें कहा गया है कि एक दूसरे से बेहद ईर्ष्‍या करने वाले लोगों के छोटे लेकिन पॉवरफुल गुट और राजनीतिक दम खम की कमी वाले उम्‍मीदवारों को टिकट दिए जाने से चुनाव के नतीजे पार्टी के लिए निराश करने वाले रहे।

कांग्रेस की हार के ‘पोस्‍टमार्टम’ की इस पहली रिपोर्ट में सूबे के 33 सीटों पर फोकस किया गया है। इन सभी सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा है, जहां राहुल के करीबियों ने दखल देकर अपनी मर्जी के उम्‍मीदवारों को टिकट दिलाए थे। इन सभी सीटों पर कांग्रेस के पर्यवेक्षकों द्वारा चुने गए उम्‍मीदवारों और स्‍थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई।

रिपोर्ट में फिरोजाबाद में सिरसागंज सीट का उदाहरण दिया गया है जहां कांग्रेस उम्‍मीदवार हरिशंकर यादव को महज 4,244 वोट मिले और वह पांचवे स्‍थान पर रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस पर्यवेक्षक की पहली पसंद और स्‍थानीय नेता ठाकुर दलबीर सिंह तोमर की अनदेखी की गई। राहुल गांधी के कार्यालय ने इस मामले में सीधे दखल देते हुए चुनाव समिति को नोट भेजा और यादव को टिकट दिलाने की मजबूती से वकालत की गई।

यादव को टिकट दिए जाने के लिए नोट में यह दलील की गई थी कि वह पहले सपा के संगठन से जुड़े थे और उन्‍हें राज बब्‍बर का समर्थन है। यह भी कहा गया था कि हरिशंकर ‘घोसी यादव’ हैं और सिरसागंज में यादव जाति में इनका बहुमत है। जबकि कांग्रेस ऑब्‍जर्वर ने तोमर के बारे में कहा था कि वह बीते 20 सालों से पार्टी के साथ जुड़े हैं और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मेंबर भी हैं।

इसी तरह एटा जिले में अलीगंज सीट पर कांग्रेस उम्‍मीदवार रज्‍जन पाल सिंह 8,160 मतों के साथ पांचवे स्‍थान पर रहे। इस सीट में बारे में पार्टी के ऑब्‍जर्वर ने बिजनेसमैन सुभाष वर्मा को टिकट दिए जाने की वकालत की थी। लोध राजपूत समुदाय से ताल्‍लुक रखने वाले वर्मा जिला पंचायत सदस्‍य भी हैं। वह इस विधानसभा क्षेत्र में लोध समुदाय के एकमात्र उम्‍मीदवार थे, जो 27 हजार लोध वोटरों के अधिकतर वोट हासिल कर सकते थे। ऑब्‍जर्वर के मुताबिक, सुभाष वर्मा इस सीट से कांग्रेस के बेस्‍ट उम्‍मीदवार हो सकते हैं। उनकी जीतने की उम्‍मीदें काफी हैं।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उन लोगों के खिलाफ काम करने के लिए मजबूर किया गया जिनकी पार्टी के आधिकारिक उम्‍मीदवार बनने की संभावना थी। चुनाव नतीजों का विश्‍लेषण करते हुए कांग्रेस के एक वरिष्‍ठ नेता ने बताया, ‘बीते 20 सालों से पार्टी के बुरे दिन में वफादार बने रहे कार्यकर्ताओं को लगा कि टिकट बांटे जाने के समय उनका ध्‍यान नहीं रखा गया है।’

दिलचस्‍प यह है कि राहुल गांधी के करीबी लोगों ने जमीन से जुड़े नेताओं का चुनाव भी किया तो इसमें जाति और समुदाय को ध्‍यान में रखा गया, जिससे चुनाव अभियान के दौरान युवा नेताओं ने ऐसे उम्‍मीदवारों का मजाक उड़ाया और उनके खिलाफ प्रचार किया। ऐसा लगता है कि राहुल की टीम ने परंपरागत तरीका अपनाया और भारी गलती की। 

Updated : 22 March 2012 12:00 AM GMT
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