नई दिल्ली । शिक्षा हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है इस अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार ने भी कई योजनाएं बनाई है। परंतु देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 11 लाख से अधिक शिक्षकों का पद आज भी रिक्त है। देश में शिक्षकों की भारी कमी छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा का जो अधिकार कानून में मिला हुआ है उसमें यह अहम बाधा बनी हुई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट पर गौर किया जाय तो देश के कुल 28 राज्यों एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों में शिक्षकों के 50,68,766 मंजूर पद हैं । आज भी देश में करीब 11,28915 पद रिक्त है। रिक्त स्थानों वाले राज्यों में सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश में शिक्षकों के 3,09,910 पद रिक्त हैं। वहीं बिहार में 2,60,842 पद, पश्चिम बंगाल में 1,17,442 पद और मध्यप्रदेश में 92,301 पद रिक्त हैं। जबकि महाराष्ट्र में शिक्षकों के 32,746 पद, झारखंड में 47,700 पद एवं राजस्थान में 50 हजार पद और ओडिशा में 31,202 पद कुल रिक्त हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल 10,68,435 स्कूलों में से 10,07,104 स्कूलों में बच्चों के लिए पेयजल की व्यवस्था है जो कि लगभग 94.26 प्रतिशत है। वहीं 2,44,249 स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है,जो कि लगभग 22.88 प्रतिशत है। मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) को अधिसूचित कर दिया है । अधिकारी ने बताया कि 24 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया जा चुका है, जबकि सभी राज्यों ने आकादमिक प्राधिकार को अधिसूचित भी कर दिया है। अधिकारी ने बताया कि एक नवंबर को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में इस विषय पर राज्यों एवं शिक्षा के अन्य पक्षों के साथ व्यापक चर्चा होगी।
देश में 11 लाख से अधिक शिक्षकों का पद रिक्त
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Updated : 2012-10-28T05:30:00+05:30
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