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यहाँ मां के साथ नहीं सो सकते बच्चे

नई दिल्ली। नार्वे में रह रहे एक भारतीय दंपत्ति को अपने बच्चों को हाथ से खाना खिलाना और उन्हें अपने साथ बिस्तर पर सुलाना भारी पड़ गया। नार्वे में बच्चों की देखरेख करने वाली सरकारी संस्था ने दंपत्ति से उनके बच्चों को छीन लिया और उसे पालनाघर में रख दिया। इस मामले में भारत सरकार दंपति की मदद को आगे आई है। नार्वे में रह रहे अनिवासी भारतीय दंपत्ति अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य के तीन साल के बेटे अभिज्ञान और एक साल की बेटी ऐश्वर्या को यहां की बच्चों को संभालने वाली समिति कोर्ट के आदेश पर अपने साथ ले गई। पति- पत्‍नि ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है।
दरअसल नार्वे की परंपराओं के मुताबिक बच्चों को हाथ से खाना खिलाना और अपने साथ एक ही बिस्तर पर सुलाना सही नहीं माना जाता। नॉर्वे की संस्कृति और कानून में इसकी मनाही है। दंपति ने भारतीय पंरपराओं के मुताबिक बच्चों को हाथ से खाना खिलाया और अपने साथ एक ही बिस्तर पर सुलाया था।
यहां पर बच्चों की देख रेख करने वाली समिति को जब इस बात का पता चला तो वो अदालत में गई और फिर बच्चों को उनके मां-बाप से अलग कर पालनघर में रख दिया गया। इस मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि वो नॉर्वे के विदेश मंत्रालय से लगातार संपर्क में हैं। भारत की तरफ से ओस्लो को कूटनीतिक विरोध पत्र भी भेजा गया है।
गौरतलब है‌ कि इसी महीने 12 तारीख को ओस्लो में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने पालनघर में जा कर अभिज्ञान और ऐश्वर्या को देखा। पालनाघर से लौटकर उन्होंने बताया कि दोनों बच्चे फिलहाल ठीक हैं। नॉर्वे के प्रशासन का कहना है कि सरकार ने उनकी चिंता को समझा है और वो जल्द ही कोई हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इस पूरे मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि बच्चों को मां से अलग करना किसी भी हाल में ठीक नहीं है। 

Updated : 24 Jan 2012 12:00 AM GMT
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