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प्रधानमंत्री मोदी ने जिस स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया, उसमें नहीं है किसी भगवान की मूर्ति, जानिए फिर क्यों है खास ?

प्रधानमंत्री ने उमरहा में सात मंजिल स्वर्वेद महामंदिर धाम को किया लोकार्पित

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया, उसमें नहीं है किसी भगवान की मूर्ति, जानिए फिर क्यों है खास ?
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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन सोमवार को चौबेपुर उमरहा स्थित सात मंजिल स्वर्वेद महामंदिर धाम के प्रथम चरण के निर्माण का लोकार्पण किया। विहंगम योग संत समाज के 100वें वार्षिकोत्सव समारोह में भाग लेने आए प्रधानमंत्री ने विहंगम योग के प्रणेता सदाफल देव महाराज की 135 फीट ऊंची मूर्ति की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने संतों के साथ मंदिर परिसर में भ्रमण भी किया और इसके बारे में जानकारी ली।


इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है। मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है। वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं। इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।प्रधानमंत्री ने कहा कि संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान गढ़े हैं। सरकार, समाज और संतगण सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना, इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है। ये महामंदिर महृषि सदाफल देव जी की शिक्षाओं और उनके उपदेशों का प्रतीक है। इस मंदिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है, इसकी भव्यता उतना ही अचंभित भी करती है।




प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां 25 हज़ार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। मुझे खुशी और विश्वास है कि इस महायज्ञ की हर एक आहूति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा। प्रधानमंत्री ने स्वर्वेद महामंदिर के उद्घाटन के बाद संबोधन की शुरुआत दोहे के साथ की। उन्होंने कहा कि हर बार की तरह इस बार का भी काशी प्रवास सुखद रहा।

स्वर्वेद मंदिर की खासियत -

  • ये मंदिर सात मंजिला है।
  • इस महामंदिर को बनाने में लगभग 20 साल का समय और सैकड़ों मजदूर लगे हैं।
  • यह स्वर्वेद महामंदिर 3,00,000 वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • इस मंदिर में एक साथ 20 हजार लोग ध्यान कर सकते हैं।
  • यह मंदिर विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है।
  • मंदिर प्रांगण में किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है।
  • काशी में बना स्वर्वेद मंदिर 180 फीट ऊंचा है।
  • इस मंदिर की गुंबद पर 125 पंखुड़ियों वाले कमल को डिजाइन किया गया है।
  • इस मंदिर में मकराना मार्बल का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं.

Updated : 18 Dec 2023 8:40 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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