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सांसद से चर्चा : शिवराज सरकार के कल्याणकारी काम बनेंगे जीत का आधार

चंद्रवेश पांडे

सांसद से चर्चा : शिवराज सरकार के कल्याणकारी काम बनेंगे जीत का आधार
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सांसद विवेक शेजवलकर ने कहा - जनहित की योजनाओं के लाभार्थी भाजपा के समर्थक

ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं ग्वालियर के लोकप्रिय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का राजनीति में एक अलग ही वैशिष्ट्य है। तमाम उठापठक और दुरभि संधियों से दूर वे सहज, सरल और समन्वय की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। यह गुण उन्हें विरासत में मिले हैं। आज के दौर में राजनीति में विधायक, सांसदों के साथ जो तामझाम हम देखते हैं श्री शेजवलकर इससे कतई इत्तेफाक नहीं रखते, वे जमीनी स्तर पर काम में यकीन रखते हैं। उनकी सह्दयता, संवेदनशीलता उन्हें दीगर राजनेताओं से अलग रखती है। अपनी तमाम व्यवस्तताओं के बीच उन्होंने ‘स्वदेश’ से बातचीत की। मुद्दा आने वाला चुनाव ही था। उन्होंने बड़े ही विश्वास के साथ कहा कि भाजपा 2023 में पांचवीं बार सरकार बनाने जा रही है। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं रहना चाहिए। शिवराज सिंह जी की सरकार ने जो जनहित के काम किए हैं, यही भाजपा की जीत का आधार बनेंगे। श्री शेजवलकर ने कई मुद्दों पर बातचीत की। भाजपा की सरकार बनने की संभावनाओं से लेकर चुनाव से पूर्व आयाराम-गयाराम की राजनीति, रेबड़ी कल्चर से शहर विकास तक के मुद्दों पर उन्होंने बेवाकी से जवाब दिए।

डबल इंजन की सरकार के काम दिलाएंगे सफलता

श्री शेजवलकर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि शिवराज सिंह जी की सरकार ने जनकल्याण की व्यापक योजनाएं चलाई हैं और इनसे लाभार्थियों का जो बड़ा वर्ग तैयार है, वह भाजपा की सत्ता में वापसी कराएगा। लाभार्थियों का यह वर्ग वास्तव में भाजपा के समर्थक के रूप में तैयार हुआ है। फिर प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह देश आगे बढ़ा है, वह सबके सामने हैं। केन्द्र की योजनाओं का यदि बेहतर क्रियान्वयन कहीं हुआ है तो वह मप्र है। आयुष्मान से लेकर प्रधानमंत्री आवास, किसान सम्मान निधि जैसी तमाम योजनाओं के लाभार्थी आज भाजपा के साथ हैं । यही लाभार्थी हमारी जीत का आधार बनेंगे।

किसी के आने-जाने से फर्क नहीं पड़ता

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यह सच है कि हाल में कुछ लोग भाजपा छोडक़र कांग्रेस में गए हैं, लेकिन इससे भाजपा जैसे बड़े संगठन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कई लोग बदली परिस्थितियों में खुद को ‘एडजस्ट’ नहीं कर पा रहे थे। उनकी जो अपेक्षाएं थी, वह पूरी नहीं हुईं। या यूं कहें कि उनके स्वार्थ थे। चुनाव से पहले इस तरह की चीजें ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का हिस्सा होती हैं, इससे भाजपा की लोकप्रियता पर कोई असर पडऩे वाला नहीं है। भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है तो उन लाखों कार्यकर्ताओं की दम पर है, जो निस्वार्थ भाव से पार्टी की सेवा कर रहे हैं, जिन्होंने आज तक कोई अपेक्षा नहीं की।

हमारे कार्यकर्ता समर्पित

कार्यकर्ता की उपेक्षा व उनकी निष्क्रियता के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है कि हमारे कार्यकर्ता निष्क्रिय हैं या उनकी उपेक्षा हो रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है कार्यकर्ता अपनी-अपनी भूमिका में काम कर रहे हैं । यह सही है कि निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर अनिर्णय की स्थिति रही। उनमें कुछेक कार्यकर्ताओं को मौका मिल सकता था, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता कभी भी पद की चाह में काम नहीं करता। वह भावना और समर्पण से काम करता है। विश्वास है कि हमारे कार्यकर्ता चुनाव में सक्रियता और पूरी मेहनत से सरकार बनाने में सहयोग करेंगे।

रेबड़ी नहीं हैं लाड़ली बहना योजना

उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि ‘रेबड़ी कल्चर’ समाप्त होना चाहिए, लेकिन आप लाड़ली बहना योजना या सीखो कमाओ योजना को रेबड़ी कल्चर से जोड़ कर नहीं देख सकते। लाड़ली बहना तो महिला सशक्तिकरण की दिशा में गेमचेंजर साबित हागी। आज वे तमाम महिलाएं खुश हैं जो छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए परेशान होती थी। अब उनमें विश्वास, भरोसा, आत्मसम्मान का भाव जगा है। वे शिवराज जी को धन्यवाद दे रही हैं। इसी तरह सीखो-कमाओ योजना एम्पलायमेंट जेनरेशन के क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने वाली योजना है। इन योजनाओं को रेबड़ी कल्चर नहीं कहा जा सकता। बल्कि यह तो सामाजिक व आर्थिक बदलाव की योजनाएं हैं।

दावेदारी का क्या, कोई भी करे!

राजनीति में काम करने वाले हरेक कार्यकर्ता की महत्वाकांक्षाएं तो होती ही हैं, लेकिन पार्टी कब किसे कितना महत्व देती है या आगे बढ़ाती है, यह कार्यकर्ता की मेहनत, पार्टी के लिए उसका समर्पण देखकर ही तय किया जाता है। ऐसे में यदि कोई दावेदारी करता है तो इसमें बुरा क्या है और वैसे भी चुनाव आते हंै तो ऐसी चीजें सामने आती ही हैं।

मेरा निर्णय पार्टी करेगी

मैं तो पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता हूं। मैं चनाव लड़ूंगा या नहीं अथवा कहां से कौन सा चुनाव लड़ूंगा इसका निर्णय मैने कभी नहीं लिया। मेरे बारे में पार्टी निर्णय करेगी। पार्टी टिकट देगी तो चुनाव लड़ेंगे अन्यथा पार्टी जो भी काम देगी उसे पूरी मेहनत से करेंगे।

Updated : 18 April 2024 2:15 PM GMT
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Chandravesh Pandey

स्थानीय सम्पादक - स्वदेश ग्वालियर


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