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सिंधिया पर ओबीसी ठप्पा और अटलजी के मुकाबले नई लकीर की कोशिश!

चंद्रवेश पांडे

सिंधिया पर ओबीसी ठप्पा और अटलजी के मुकाबले नई लकीर की कोशिश!
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ग्वालियर/वेबडेस्क। ग्वालियर महानगर की तीनों विधानसभा सीटों में विकास के मामले में ग्वालियर दक्षिण को ही सर्वाधिक उपेक्षित माना जाता रहा है। यही वजह है कि स्वर्णरेखा पर एलीवेटेड रोड बनाने की स्कीम जब दक्षिण में पहुंची तो कमल दल ने जश्न मनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। महाराज बाड़े पर नेताओं को जोड़कर एक बड़ी सभा रख दी गई। सिंधिया और सांसद शेजवलकर खास तौर पर इस सभा में मौजूद थे। सभा में कई ऐसे वायात हुए जिन्होंने असहज स्थिति पैदा कर दी। करीब बारह साल मंत्री रहे नारायण सिंह ने महाराज को ओबीसी तबके का ठहरा दिया तो इसी क्षेत्र से विधायक और मंत्री रहे अनूप मिश्रा प्रशस्ति गान करते हुए कह बैठे कि उनके मामा ग्वालियर एयरपोर्ट पर एक हवाई जहाज नहीं उतार सके लेकिन महाराज ने वहां लाइन लगा दी। दोनों बातें लोगों को ज्यादा हजम नहीं हुईं क्योंकि सिंधिया की पहचान अब तक राजवंश के मराठा क्षत्रप के रूप में है और प्रधानमंत्री रह चुके ग्वालियर के सपूत अटलजी के कद के मुकाबले इतर लकीर खींचने के बारे में ग्वालियर की जनता सोच भी नहीं सकती है, बहरहाल सांसद शेजवलकर का भाषण जरूर सधा हुआ था और फिर सिंधिया का संबोधन तो जोश खरोश से लबरेज होना ही था। इसी सीट से दावेदारी कर रहीं समीक्षा गुप्ता का अलग से टोली लेकर पहुंचना भी सभास्थल पर चर्चा का विषय रहा।

पड़ोसी मानेंगे या हवा में उड़ाएंगे-

निकुंज श्रीवास्तव अपने शुरुआती कैरियर में ग्वालियर युनिसिपल के कमिश्नर रहे हैं, लिहाजा इस अंचल के भूगोल और गणित दोनों से बखूबी बावस्ता हैं। दिल्ली और भोपाल में तमाम महकमों की अहम जिमेदारी संभालने के बाद अब मायनिंग के सेक्रेटरी हैं। सोमवार के रोज वे मुरैना में थे। दौरे का मकसद इंटरस्टेट बॉर्डर मीटिंग थी, लिहाजा चंबल के तीनों जिलों के आला अफसर एलर्ट मोड पर रहे। चंबल सेंचुरी एरिया में स्थित घाटों पर अवैध उत्खनन और आवाजाही की शिकायतें सरकार तलक पहुंच रही हैं, यूपी और राजस्थान चंबल की रेत पर ही निर्भर हैं, मुरैना व भिण्ड में चाहे जितनी सतर्कता बरत ली जाए लेकिन जब तक यूपी व राजस्थान की साइडों पर निगरानी नहीं बढ़ेगी तब तक चंबल में अवैध रेत उत्खनन रोकने की सारी कवायद बेनतीजा ही है। मुरैना-भिण्ड के अफसरों ने तो मायनिंग सेक्रेटरी के हुम को सिर माथे लिया लेकिन पड़ोसी स्टेट वाले कितना तामील करेंगे, यह देखना है।

ग्वालियर की राजनीति में 'कुशवाह फेक्टर'

चुनाव की आहट होते ही सामाजिक दवाब के जरिए राजनीति के गलियारों में अपनी धमक जमाने की कोशिश में जुटे वोटों के स्वयंभू ठेकेदारों ने मैदान संभाल लिया है। महात्मा ज्योतिबा फुले की जयन्ती पर शहर की फिजां में इसका साफ अहसास हुआ। इतने जोर शोर और धूम धड़ाके से फुले जयन्ती ग्वालियर में कभी नहीं मनी। राजनीतिक जमातों ने तो जलसे किए ही, कुशवाह समाज के तमाम संगठन भी मैदान में आ गए। चल समारोह, रैली और सेमीनार...। गोल पहाडिय़ा पर लगी महात्मा फुले की प्रतिमा पर पहले कभी इतनी भीड़ नहीं उमड़ी। लोगों का यही कहना है कि चुनाव करीब नहीं होते तो शायद आलम यह न होता। दरअसल, ग्वालियर जिले की दो सीटों पर कुशवाह वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है। ग्वालियर दक्षिण में तो शीतला सहाय और भगवान सिंह यादव जैसे मिनिस्टर रह चुके दिग्गज नेता कुशवाह समाज के उमीदवारों के हाथों पराजित हो चुके हैं जबकि पिछले चुनाव में ग्वालियर ग्रामीण में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने ही कुशवाह समाज के चेहरों पर दांव खेला था, इसी से ग्वालियर की राजनीति में कुशवाह फेटर के महत्व का अंदाज लगाया जा सकता है।

एक दूसरे को निपटाने में लगे आप के स्वयंभू दिग्गज

ग्वालियर में आप पार्टी को अब तक कोई चुनावी कामयाबी नहीं मिली है लेकिन पार्टी में नेताओं की बड़ी फौज इक_ा हो गई है जो अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल पार्टी की मजबूती के बजाए एक दूसरे को निपटाने में खर्च करती ज्यादा दिखती है। दो नेत्रियों ने तो एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा ही खोल रखा है। इनमें से एक ने नगरमाता के चुनाव में दम दिखाया तो दूसरी नेत्री थाटीपुर से सियासत चला रही हैं। दोनों की ही नजर विधानसभा चुनाव पर है। एक दूसरे के खिलाफ छींटाकशी का कोई मौका ये नेत्रियाँ हाथ से नहीं जाने देतीं। ग्वालियर जिले में अब तक भूपेंद्र कैराना अध्यक्षी कर रहे थे लेकिन उन्हें रुखसत कर दूसरे नेता को अध्यक्षी दे वी गई। आप के साथ वही राजनीतिक फलसफा लागू हो रहा है कि जब पार्टी पनपती है तो कार्यकर्ताओं के लिए तरसती है और जब पार्टी कुछ जड़ें जमाने लगती है तो गुटबाजी के सूखे रोग की शिकार होकर अपनी ही ताकत को क्षीण करने लगती है। कल पार्टी ने फूलबाग पर महिला मुद्दे पर प्रदर्शन रखा तो शहर की दोनों स्थापित महिला नेत्रियाँ नदारत थीं।

आखिर में -

इन दिनों इलाके की सारी प्रशासनिक मशीनरी 16 अप्रैल को मेला मैदान में होने जा रहे लखी अंबेडकर महाकुंभ की तैयारी में जुटी है। नेताओं से लेकर अफसरों तक को टारगेट दे दिए गए हैं। बसों पर होने वाले खर्च को लेकर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का पत्र लीक होने से सरकार के लिए कुछ समस्या जरूर हुई है, उधर इसे विपक्ष दो अप्रैल के जमों पर मलहम लगाने की कोशिश बता रहा है। जाता है तो फिर जीतने के बाद पार्टी से गद्दारीÓ की भी संभावना है। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व ने क्रॉस वोटिंग करने वाले किसी विधायक का नाम सार्वजनिक नहीं किया है। वैसे राष्ट्रपति चुनाव के बाद से क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की खोज करना कांग्रेस के लिए अबूझ पहेली बनी हुई थी।

Updated : 18 April 2024 2:16 PM GMT
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Chandravesh Pandey

स्थानीय सम्पादक - स्वदेश ग्वालियर


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