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पहला उपराष्ट्रपति आवास- इतिहास के पन्नों का हिस्सा बना

विवेक शुक्ला

पहला उपराष्ट्रपति आवास-  इतिहास के पन्नों का हिस्सा बना
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नईदिल्ली। भारत के उप राष्ट्रपति का1962 से 2024 तक सरकारी आवास रहने के बाद राजधानी का 6 मौलाना आजाद रोड का बंगला इंतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है। देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार को नार्थ ब्लॉक के करीब तैयार नए उपराष्ट्रपति आवास में शिफ्ट कर गए हैं। नया उपराष्ट्रपति आवास 15 एकड़ में फैला हुआ है। उपराष्ट्पति के नए आवास में शिफ्ट होने के साथ ही 6 मौलाना आजाद रोड का बंगला अब जल्दी ही जमींदोज होगा। सरकार का यहां एक दस मंजिला सरकारी इमारत खड़ी करने का इरादा है। इसमें केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के दफ्तर होंगे।

किसने डिजाइन किया था

कनॉट प्लेस और तीन मूर्ति भवन के महान डिजाइनर रोबर्ट टोर रसेल ने ही इस बंगले का दिल्ली के चीफ टाउन प्लानर और आर्किटेक्ट की देखरेख में डिजाइन तैयार किया था। नई दिल्ली के बंगले 1930 तक बनकर तैयार हो गए थे। तो कह सकते हैं कि 5 मौलाना आजाद रोड का बंगला भी करीब सौ साल को होने जा रहा था। टोर ने इसमें हरियाली के लिए भरपूर स्पेस दिया। 6 मौलाना आजार रोड में अनार और जामुन के भी काफी पेड़ हैं। यानी अनार और जामुन के पेड़ों से इधर मिठास रहती होगी। सारे मौलाना आजाद रोड और यहां से सटी मान सिंह रोड पर जामुन ही जामुन हैं।

उपराष्ट्रपति आवास में कौन-कौन रहा

6 मौलाना आजाद रोड शुरू से ही उपराष्ट्रपति आवास नहीं था। उपराष्ट्रपति आवास के रूप में इसे तब्दील किया गया सन 1962 में। मतलब यहां पहले सरकार के आला अफसर या मंत्री रहे। बहरहाल यह छह दशकों से भी अधिक समय तक उपराष्ट्रपति आवास बना रहा। भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन सबसे पहले 6 मौलाना आजाद रोड के बंगले में रहे। उनके बाद डॉ. जाकिर हुसैन, वी.वी.गिरी, गोपाल स्वरूप पाठक, बी.डी.जत्ति, एम हिदायतउल्ला, आर.वेंकटमण, शंकर दयाल शर्मा, डॉ. के.आर.नारायणन, कृष्ण कांत, भैंरोसिंह शेखावत, हामिद अंसारी और वैंकया नायडू इस 6 मौलाना आजाद रोड के बंगले में रहे। कृष्णकांत का इसी बंगले में रहते हुए 27 जुलाई, 2002 को निधन हो गया था।

दरअसल किंग एडवर्ड रोड ( अब मौलाना आजाद रोड) के चार नंबर के बंगले में भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद रहते थे। उनके दिवंगत होने के बाद उस सड़क का नाम कर दिया गया मौलाना आजाद रोड और उनके बंगले को तोड़कर बना विज्ञान भवन। इस सड़क पर तीन इमारतें हैं। विज्ञान भवन, विज्ञान भवन एनेक्सी और उपराष्ट्रपति आवास। यह लगभग छह एकड़ में फैला हैं बंगला। इसकी एक दीवार मिलती हैं विज्ञान भवन एनेक्सी से।

6 मौलाना आजाद रोड में मस्जिद

6 मौलाना आजाद रोड के बंगले में एक मस्जिद भी है। ये कब तामीर हुई थी, कोई नहीं बता पाता। ये सिर्फ रमजान के महीने में खुलती है। बाकी समय बंद रहती है। हालांकि इसकी साफ-सफाई नियमित तौर पर होती है। 6 मौलाना आजाद रोड के भीतर जाकर लगता है कि मानो आप किसी हरे-भरे टापू में हो। यहां के अंदर लगे बुजुर्ग पेड़ों पर शाम के वक्त सैकड़ों तोते और चिड़ियां आकर बैठ जाते हैं।

तब खुल गए थे दरवाजे यहां के दरवाजे

भैंरो सिंह शेखावत के दौर में उपराष्ट्रपति आवास के गेट आम-खास सब के लिए खुले रहते थे। भैरोंसिंह शेखावत 19 अगस्त 2002 से 21 जुलाई 2007 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे। वे राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे। भैरोंसिंह शेखावत का जन्म तत्कालिक जयपुर रियासत के गाँव खाचरियावास में हुआ था। यह गाँव अब राजस्थान के सीकर जिले में है। शेखावत जी खुद यारबाश और किस्सागो इंसान थे। उनके पास मिलने वालों की भीड़ कभी कम नहीं होती थी। गर्मागर्म चाय पिलाकर वे अतिथियों से विस्तार से वार्तालाप करते थे। गंभीर राजनीति हो या तनाव के लम्हे, शेखावत जी हास्य के क्षण खोज लेते थे। ये उनकी जीवटता की खुराक थी। उनके दोस्त सभी दलों में थे, शायद सभी दिलों में भी। भैरों सिंह शेखावत राजस्थान की सियासत में ऐसे वटवृक्ष थे जिनकी छांव एक बड़ा दायरा बनाती थी। उनके विरोधी तो थे, मगर शत्रु कोई नहीं। वो ख़ुद भी कहते थे, "मैं दोस्त बनाता हूँ...दुश्मन नहीं।"

उपराष्ट्रपति भवन में किताबों के विमोचन

जब तक मोहम्मद हामिद अँसारी उपराष्ट्रपति आवास में रहे तब यहां पर अनेक लेखकों की किताबों के विमोचन होते रहे। उन्हें लेखकों और विद्वानों से मिलना पसंद था। उन्होंने खुद भी कई किताबें लिखी थीं।2007 के उपराष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद हामिद अंसारी को जीत हासिल हुई। 2012 में उनके कार्यकाल को पाँच साल के लिए बढ़ा दिया गया। 2017 के अगस्त माह की 10 तारीख को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था।

निवर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति आवास में लेखकों, नौजवानों, कलाकारों वगैरह से मिला करते थे। वे बेहद ओजस्वी वक्ता हैं। बहुत खुलकर अपनी बात रखते हैं। उनकी छवि एक 'आंदोलनकारी' की रही। वे 1972 में 'जय आंध्र आंदोलन' के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए थे। उन्होंने इस दौरान नेल्लोर के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुये विजयवाड़ा से आंदोलन का नेतृत्व किया। छात्र जीवन में उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकालीन संघर्ष में हिस्सा लिया। वे आपातकाल के विरोध में सड़कों पर उतर आए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वे बेहतरीन मेजबान भी थे। सबसे खूब प्रेम से मिलते-जुलते थे। उपराष्ट्रपति के रूप में भी उनका कार्यकाल शानदार रहा था। वे अपनी बात कहने से कभी पीछे नहीं हटते। नायडू जी कभी-कभी किसी सेमिनार में भाग लेते हुए श्रोताओं को कस भी देते हैं जिनकी जुबान चलती रहती थी।

अब यहां गगन चुंबी इमारत खड़ी होगी तो यहां के तमाम छायादार पेड़ कटेंगे। इनमें नीम और पीपल के भी पेड़ हैं। ये सब घने पेड़ हैं। एक पौधे को खड़ा होने और छायादार पेड़ के रूप में विकसित होने में वर्षों लग जाते हैं। ये ठीक है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है, पर पेड़ों के कटने से यहां के परिंदे भी बेघर होंगे। 6 मौलाना आजाद रोड की सिर्फ यादें ही शेष रहेंगी। समाप्त।

Updated : 14 April 2024 7:00 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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