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शहरी नक्सलवाद के चेहरे

अतुल सक्सेना

शहरी नक्सलवाद के चेहरे
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महाराष्ट्र के भीमा कोरेगॉंव में भड़की जातीय हिंसा के बाद गिरफ्तार किये गये पांच आरोपियों पर अनेक संगीन आरोप हैं। अब सवाल ये उठता है कि यदि गिरफ्तार पांचों आरोपी वरवरा राव, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, वेरनॉन गोंसाल्वेज और गौतम नवलखा को महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सली कनेक्शन के प्रमाणों के आधार पर पकड़ा है, जो एक बहुत गंभीर और संवेदनशील मामला है। तो फिर क्यों एक विशेष वर्ग उनकी गिरफ्तारी पर सवाल भी खड़े कर रहा है। आइये एक नजर डालते हैं पाँचों आरोपियों के प्रोफाइल पर ----

वरवरा राव : हैदराबाद में जन्मे वरवरा राव जाने माने तेलुगु कवि हैं। ये कॉलेज के व्याख्याता भी रहे और प्राचार्य भी। इससे पूर्व ये सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के डीएवीपी में भी काम कर चुके हैं, लेकिन वे कहीं भी लम्बे समय तक नहीं टिक सके। उन्होंने विप्लवा रचयिताला संगम की स्थापना की। यह संगठन नक्सली विचारधारा का प्रचार करता है। 1985 में आंध्र में एनटीआर ने दूसरी बार सत्ता में आने के बाद राज्य में नक्सली आंदोलन के चलते वरवरा राव पर 6 मामले दर्ज किये थे। इसके बाद राव ने इसके खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर काम किया। 2001 में राव ने माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वॉर का प्रतिनिधित्व किया।

अरुण फरेरा : मुंबई में जन्मे अरुण फरेरा सेंट जेवियर्स कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने अपना कॅरियर राजनैतिक अपराधियों की रक्षा करने वाले आपराधिक वकील के रूप में शुरू किया था। वे सरकार द्वारा प्रतिबंधित विद्यार्थी प्रगति संगठन चलाते थे। अरुण फरेरा ने एक और प्रतिबंधित संगठन युवा संघ चलाया, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में युवाओं को जोडऩे का काम किया। गैरकानूनी गतिविधियों के चलते अरुण फरेरा 2007 में दो बार गिरफ्तार हुए उनके विरुद्ध नक्सल आंदोलन चलाने के भी आरोप लगे। नागपुर जेल में बंद रहे।

सुधा भारद्वाज : सुधा भारद्वाज ट्रेड यूनियन लीडर हैं। 29 साल से छत्तीसगढ़ में सक्रिय है। आईआईटी कानपुर से पढ़ाई के दौरान सुधा माओवादियों के संपर्क में आ गईं। रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से सन 2000 में कानून की डिग्री ली। सुधा भारद्वाज राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय में एक विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। इन पर माओवादियों से सतत संपर्क के आरोप लगते रहे हैं। गिरफ्तारी के समय पुलिस ने जो चि_ी सुधा से बरामद होना बताया है, उसमें किसी प्रकाश नामक कॉमरेड को सम्बोधित करते हुए लिखा गया है कि हमें कश्मीर जैसी स्थिति बनानी है। चि_ी में भीमा कोरेगांव आंदोलन का भी सन्दर्भ है, मामला अभी जांच में है।

गौतम नवलखा : नई दिल्ली से सम्बन्ध रखने वाले गौतम नवलखा पत्रकार हैं। वे आर्थिक और सामाजिक साप्ताहिक के सलाहकार संपादक हैं। पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक्स राइट्स नई दिल्ली के सक्रिय सदस्य हैं। इनकी सक्रियता कश्मीर और छत्तीसगढ़ में बहुत है जहाँ आतंकवाद और नक्सलवाद है। अपने विचारों, लेखों के माध्यम से गौतम सरकारों के विरुद्ध आक्रोश व्यक्त करते रहते हैं। मई 2011 में गौतम नवलखा को श्रीनगर हवाई अड्डे पर प्रवेश से रोक दिया गया था, उन्हें दिल्ली लौट जाने के निर्देश दिए गए, सरकार द्वारा कहा गया कि उनकी उपस्थिति घाटी में शांति व्यवस्था खराब कर सकती है।

वेरनॉन गोंसाल्वेज : महाराष्ट्र से सम्बन्ध रखने वाले वेरनॉन गोंसाल्वेज मुंबई विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट हैं। वेरनॉन कई प्रतिष्ठित कॉलेजों में अर्थ शास्त्र के लेक्चरर रहे हैं, लेकिन विदर्भ के श्रमिकों के काम के प्रति रुचि बढऩे के चलते उन्होंने लेक्चररशिप छोड़ दी। वेरनॉन के नक्सली कनेक्शन के बारे में पुलिस का कहना है कि वे नक्सलियों की महाराष्ट्र राज्य समिति के पूर्व सचिव और केंद्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य रह चुके हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार गोंसाल्वेज एक दोषी अपराधी हैं। इन्हें गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) एक्ट और आम्र्स एक्ट के तहत 19 अगस्त 2007 को नौ डिटोनेटर और 20 जिलेटिन की छड़ों के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है।

Updated : 16 Sep 2018 3:39 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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