वैभव के परम शिखर पर शिव की नगरी 'काशी'
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वेब डेस्क। धरती पर शिव कहां विराजते हैं....काशी में। केवल और केवल काशी में। इसलिए काशी की महिमा अपरंपार है। इस बार शिवरात्रि पर काशी पुन: अद्भुत, अकल्पनीय, असाधारण मंगलकारी घड़ी का साक्षी बनने जा रहा है। योंकि बाबा विश्वनाथ जी से मां गंगा का दर्शन श्रद्धालु कर रहे हैं। इस दृश्य की कल्पना पिछले वर्ष तक किसी ने की भी नहीं होगी। लेकिन शिव संकल्प की यह पूर्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की और बाबा विश्वनाथ के मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ ही हमें गौरवान्वित भी किया। काशी का विकास इसलिए भी जरूरी था योंकि, काशी हमारी सांस्कृतिक राजधानी भी है। वह वही काशी है, जिसे विश्व के एकमात्र प्राचीन जीवित नगर होने का सौभाग्य व गौरव प्राप्त है। दुर्भाग्य से काशी को मुगल आक्रांताओं ने खंडित कर दिया था लेकिन, आज काशी प्रसन्न है और इसकी प्रसन्नता काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में हम सबके मानस पर झलक भी रही है।
बाबा विश्वनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को पौराणिक इतिहास की जानकारी और भित्तियों पर शिव की महिमा को जानने का अवसर मिल रहा है। काशी विश्वनाथ धाम के अंदर और बाहर की भित्तियों पर संस्कृति, सभ्यता पर आधारित चित्र उत्कीर्ण किये गए हैं। कॉरिडोर में चारों वेद, शिव पुराण और सनातन धर्मग्रंथों में काशी से जुड़ी जानकारियाँ हैं। भक्तों को धाम की मंदिर मणिमाला में सम्मलित सभी 27 मंदिरों की जानकारी भी मिलेगी। इसमें प्रत्येक मंदिर पर उसके इतिहास के साथ पौराणिक महत्व का उल्लेख किया गया है। 54000 वर्ग मीटर में व्याप्त यह कोरिडोर भारत के सांस्कृतिक गौरव को विश्व में गुंजायमान करने का वह केंद्र है, जो समस्त विश्व को भारतीय सयता व भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित करने का भाव-स्रोत बनकर उभर रहा है।
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