Home > राज्य > अन्य > जम्मू कश्मीरः विधानसभा भंग होने के बाद श्रीनगर से दिल्ली तक सियासी हलचल तेज

जम्मू कश्मीरः विधानसभा भंग होने के बाद श्रीनगर से दिल्ली तक सियासी हलचल तेज

जम्मू कश्मीरः विधानसभा भंग होने के बाद श्रीनगर से दिल्ली तक सियासी हलचल तेज
X

जम्मू/नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। पिछले कुछ महीनों से निलंबित चल रही जम्मू कश्मीर विधान सभा को बुधवार शाम भंग किए जाने के बाद से श्रीनगर से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए राज्य विधानसभा को भंग कर दिया, जिसके बाद आगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव की संभावना जताई जा रही है।

जम्मू कश्मीर में गत जून माह से ही राज्यपाल शासन लागू था और राज्य विधानसभा निलंबित चल रही थी। इससे पूर्व राज्य में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन सरकार थी। भाजपा द्वारा गठबंधन को बेमेल बताते हुए इससे अलग होने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया था। उसके बाद राज्यपाल मलिक ने बुधवार को विधानसभा भंग करने का फैसला किया।

मलिक ने गुरुवार को कहा कि उन्हें लंबे समय से राज्य में विधायकों के खरीद फरोख्त और अवसरवादी गठबंधन (पीडीपी-नेशनल कांफ्रेस- कांग्रेस) के जरिए सत्ता हासिल किए जाने के प्रयासों की सूचना मिल रही थी, जिसके बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर की जनता के हितों को ध्यान में रखकर राज्य विधानसभा को भंग करने का फैसला किया। उन्होंने सुरक्षा कारणों को इस फैसले की वजह बताया। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में दिसम्बर 2019 में विधानसभा चुनाव होने हैं। समझा जा रहा है कि राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराएं जाएंगे।

भाजपा महासचिव और जम्मू कश्मीर के प्रभारी राममाधव ने राज्य विधानसभा भंग किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए आज कहा कि पिछले माह पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने स्थानीय निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि शायद ऐसा करने के लिए उन्हें सीमापार (पाकिस्तान) से निर्देश मिले थे। उन्होंने कहा कि शायद इन दलों को ताजा आदेश मिले हैं कि वे साथ आकर राज्य में गठबंधन सरकार बनाएं। उल्लेखनीय है कि पीडीपी प्रमुख महबूबा ने राज्य में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की मदद से नए सिरे से सरकार गठन का दावा किया था। उन्होंने अपने राज्यपाल को संबोधित पत्र की प्रति को बुधवार शाम को ट्विटर पर साझा कर इसकी जानकारी दी।

बहरहाल, राममाधव के आरोपों पर पलटवार करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता उमर अब्दुल्ला ने उन्हें चुनौती देने के अंदाज में आज कहा कि राम माधव अपने आरोपों को साबित करें।

अब्दुल्ला की इस चुनौती के बाद राम माधव ने ट्वीट कर अपने शब्द वापस लिये और कहा कि उनकी जो भी टिप्पणी थी वह राजनीतिक थी न कि निजी। माधव ने कहा कि उमर अब्दुल्ला परेशान न हों, उनकी देशभक्ति पर वह सवाल नहीं उठा रहे किंतु पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच अचानक बढ़ी नजदीकी और सरकार गठन की आपाधापी की वजह से कई संदेह पैदा हुए और उन्होंने राजनैतिक टिप्पणी की। भाजपा महासचिव ने एक और ट्वीट में कहा कि अगर उमर अब्दुल्ला किसी भी तरह के बाहरी दबाव से इनकार कर रहे हैं तो वे अपनी टिप्पणी वापस लेते हैं। माधव ने यह भी कहा कि अब्दुल्ला को यह जरूर साबित करना होगा कि उनकी पार्टी और पीडीपी के बीच अचानक बढ़ा प्रेम सच्चा था, जिसने सरकार बनाने के लिए कोशिश की।

कांग्रेस ने भी राज्य में जल्द विधानसभा चुनाव की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता के लिए केंद्र का शासन यानी भाजपा का शासन ठीक नही है और लोकतंत्र की जल्द से जल्द बहाली के लिए राज्य में जल्दी विधानसभा चुनाव कराएं जाने चाहिए। हालांकि, सुरजेवाला ने इस बात से इनकार किया कि उनकी पार्टी ने किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए समर्थन का पत्र दिया था।

उधर, जम्मू कश्मीर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र रैना की अगुवाई में पार्टी के प्रदेश कोर ग्रुप के नेताओं की एक अहम बैठक हुई। बैठक में पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह समेत प्रदेश के शीर्ष नेता शामिल हुए और मौजूदा हालात के मद्देनजर आगे की रणनीति पर चर्चा की। इससे पूर्व राज्य विधानसभा भंग करने के राज्यपाल के फैसले का स्वागत करते हुए रैना ने पीडीपी-नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस की तुलना लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन से की।

Updated : 24 Nov 2018 6:53 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top