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मैं इंजीनियर हूं, मेरी रुचि गवर्नेंस में रही है, आज मैं खुद गवर्नेंस में हूं : जयंत सिन्हा

मैं इंजीनियर हूं, मेरी रुचि गवर्नेंस में रही है, आज मैं खुद गवर्नेंस में हूं : जयंत सिन्हा
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रांची/स्वदेश वेब डेस्क। प्रज्ञा प्रवाह की ओर से आयोजित लोकमंथन कार्यक्रम के तीसरे दिन शनिवार को सांसद जयन्त सिन्हा ने प्रबंधन विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मेरा अनुभव प्राइवेट सेक्टर का रहा है। मैं एक इंजीनियर हूं। मेरी रुचि गवर्नेंस में रही है। आज मैं खुद गवर्नेंस में हूं। उन्होंने कहा कि जब हम गवर्नेंस की बात करते हैं तो हमारी कोशिश होती है कि काम हो, लोगों को काम दिखे। अगर हमें उपलब्धि की जरूरत है तो जागरुकता, क्षमता, समय और जवाबदेही की जरूरत होती है। आज हमें यह समझना है कि जनता सरकार के बारे में क्या सोचती है।

उन्होंने कहा कि जनता सिर्फ एक समस्या पर जोर देती है कि देश में बेरोजगारी है। देश की मूल समस्या बेरोजगारी है। सरकार के पास अपार साधन है। गुड गवर्नेंस के लिए जनता को सरकार की भूमिका जानने की जरूरत है। सरकार जनता का एक अंश है। अगर जनता गरीब है तो सरकार भी गरीब है। अभी भी जनता के बीच जागरुकता की कमी है। सरकार की जिम्मेदारी है कि बाकी जनता को जागरूक किया जाए।

जयंत सिन्हा ने कहा कि मुझे पंचायत सेवक से लेकर सरकार के उच्च पद पर बैठे अधिकारियों के साथ काम करने का मौका मिलता रहा है। आज समय की एहमियत को समझने की जरूरत है। अगर कोई अधिकारी है और उनको यह समझ नहीं है कि समय पर काम नहीं हुआ तो एक व्यापारी को बड़ा घाटा हो सकता है। उन्होंने बताया कि हजारीबाग में एक स्कोर कार्ड बनाया गया है जिस पर हर बैठक के चर्चा होती है। इसका सकारात्मक नतीजा यह है कि आज काम के मामले में हजारीबाग पहले पायदान पर है और रामगढ़ तीसरे नंबर पर है।

देश के लोगों में क्षमता की कमी नहीं : राज चितले

मौके पर माधव राज चितले ने कहा कि बगैर हम वित्त की दृष्टि से भारत को देखें तो हम आज सात प्रतिशत अधिक गति से चल रहे हैं। 30 वर्ष में अगर हम वर्तमान गति से चले तो यह प्रतिशत आठ प्रतिशत अधिक हो जाएगा। 10 वर्ष बाद हम दोगुना गति से प्रगति करेंगे। उन्होंने कहा कि आज की समस्या यह है कि आज जो प्रगति हम कर रहे हैं उसका संतुलन जरूरी है। सामाजिक दृष्टि से इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आज हमें गांव को देखने के तरीके को बदलने की जरूरत है।

उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि देवराम गोरे एक सामाजिक कार्यकरता ने पुणे के चिंतोली एक तालुका में कई बेहतर काम किये। आज गांव की स्थिति बेहतर है। देश के लोगों में क्षमता की कमी नहीं है। अगर एक बेहतर नेतृत्व की क्षमता मिले तो समाज और देश में बेहतर कार्य हो सकता है। आज बेहतर कार्य के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। अभी तक के परंपरागत सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर हम टीके हैं। इसमें बदलाव लाने की जरूरत है। आज नई व्यवस्था को लागू करने की जरूरत है। बेहतर कार्य का विश्लेषण और उसका प्रचार-प्रसार होना चाहिए। नई व्यवस्था और नई क्षमता की जरूरत अब देश को है। पब्लिक अफेयर्स के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाने की जरूरत है। सार्वजनिक व्यवहार को निभाने वाली नई पीढ़ी की जरूरत अब देश को है। वाद विवाद और संवाद में इन विषयों पर चर्चा करने की जरूरत है। इनमें हमें शिक्षण संस्थान को जोड़ने की जरूरत है। शासन की ओर से प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन उन प्रयास को सामाजिक व्यवहार से जोड़ने की जरूरत है। हमें हर क्षेत्र की समस्या और वहां की क्षमता का मंथन कर और फिर उन व्यवस्था को क्षेत्र में बढ़ाने की पहल करने की जरूरत है।

सब कुछ सरकार करे यह संभव नहीं : अशोक भगत

मौके पर पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि व्यवस्था बदलाव का मैं सिपाही रहा हूं। जब मैं झारखंड में काम करने आया तो मेरी मुलाकात एक पादरी से हुई। उस वक़्त पादरी ने ग्रामीणों को मेरी बाते सुनने से मना किया। मैने उनसे मुलाकात कर अपनी बात समझाई। उन्होंने कहा कि मैंने एक बार नारा दिया कि `कोर्ट-कचहरी और थाना का बहिष्कार` करो। गांव का प्रशासन गांव में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सब कुछ सरकार करे यह संभव नहीं है। समय का महत्व ज्यादा है। हर व्यक्ति सरकार से जुड़ा हुआ होना चाहिए। लोकतंत्र में हर व्यक्ति सरकार है। सरकार को चाहिए कि वह जनता पर विश्वास करे।

Updated : 29 Sep 2018 1:27 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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