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राफेल के दस्तावेज लीक होने से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ी

राफेल के दस्तावेज लीक होने से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ी
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रक्षा मंत्रालय ने शीर्ष न्यायालय में दाखिल किया हलफनामा

नई दिल्ली, स्व.स.से.

केंद्र सरकार ने राफेल से जुड़े दस्तावेज लीक होने के मामले में बुधवार को सवोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया। इसमें केंद्र ने दलील दी है कि राफेल मामले में जिन दस्तावेजों को आधार बनाकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है वे भारतीय सुरक्षा के लिए काफी संवेदनशील हैं। इनके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ी हैं। रक्षा सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि जिन लोगों ने केंद्र की इजाजत के बगैर इन संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी हासिल की है, वह चोरी की श्रेणी में आता है। राफेल दस्तावेज की अनधिकृत फोटोकॉपी से देश की संप्रभुता, सुरक्षा, विदेशी देशों से मैत्री संबंधों पर उल्टा असर पड़ेगा। केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, प्रशांत भूषण संवेदनशील जानकारी लीक करने के दोषी हैं। याचिकाकर्ताओं ने याचिका के साथ जो दस्तावेज लगाए हैं वे काफी प्रसारित हुए हैं और अब वे देश के दुश्मन और विरोधियों के लिए भी मौजूद हैं। सरकार ने भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 58,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है। दो इंजन वाले इस लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की सरकारी कंपनी दसाल्ट एविशन करती है। केंद्र ने राफेल सौदे का बचाव करते हुए कीमत को सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था।

चोरी हुए दस्तावेज : सरकार

पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया था कि रक्षा मंत्रालय से इस सौदे से जुड़े दस्तावेज चोरी हुए थे। इसमें पूर्व या मौजूदा कर्मचारियों का हाथ हो सकता है। वो गोपनीय दस्तावेज हैं जो पब्लिक डोमेन में नहीं हो सकते। पुनर्विचार याचिकाएं इन्हीं के आधार पर दाखिल की गई हैं। हालांकि बाद में उन्होंने बताया कि दस्तावेजों की फोटोकॉपी चोरी हुई है। राफेल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई थीं। सर्वोच्च न्यायालय ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में राफेल सौदे को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था। न्यायालय ने उस समय सौदे को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। सरकार ने बताया कि संवेदनशील दस्तावेजों के चोरी होने के मामले में 28 फरवरी को आंतरिक जांच बैठाई गई थी, जो अभी चल रही है। दस्तावेजों की चोरी कहां से हुई, इसका पता लगाने के लिए पुरजोर कोशिश हो रही है। ताकि भविष्य में इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

Updated : 13 March 2019 5:18 PM GMT
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Naveen Savita

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