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ग्वालियर में आने वाले दिनों में पड़ेगा कोहरा, 75 की रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें

उत्तर मध्य रेलवे ने तीनों मंडलों को उपलब्ध कराए यंत्र

ग्वालियर में आने वाले दिनों में पड़ेगा कोहरा, 75 की रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें
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ग्वालियर,न.सं.। कड़ाके की ठंड के दौरान पडऩे वाले कोहरे से इस बार ट्रेनों की रफ्तार नहीं थमेगी। कोहरे में ट्रेनों को लेटलतीफी से रोकने और दुर्घटनाओं से बचाने के लिए उत्तर मध्य रेलवे ने कोहरे निवारण यंत्र का प्रयोग शुरू कर दिया है। साथ ही यह यंत्र तीनों मंडलों प्रयागराज, आगरा और झांसी में ट्रेन चालकों को दिए जा रहे है। जीपीएस आधारित इस यंत्र की मदद से चालकों को सिग्नल की जानकारी करीब 500 मीटर पहले ही मिल रही है। घने कोहरे में भी ट्रेनें 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। यह यंत्र लोको पायलट के पास होगी जो उसे यात्रा शुरू करने से पहले दी जा रही है। ड्यूटी रजिस्टर साइन करते ही लोको पायलट को यह यंत्र दिए जा रहे है। लैपटॉप की तरह दिखने वाले इस यंत्र में एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया है। जिसकी मदद से इलाके की सटीक जानकारी लोको पायलट को मिल रही है।

यंत्र में ट्रेन के रास्ते में पडऩे वाले सभी सिग्नल, खंभे और पुलिया की जानकारी भी होगी। कोहरे के कारण होने वाली कम विजिबिलिटी के बावजूद एफएसडी लोको पायलट को इसकी जानकारी एक सायरन के माध्यम से देगा। जिससे लोको पायलट सावधान हो जाएगा और सिग्नल के अनुसार ट्रेन को चलाएगा। यंत्र का ऑटोमेटिक सिगनलिंग रिपीटिंग प्लान डिवाइस में मौजूद कोऑर्डिनेट्स के अनुसार स्पीकर के माध्यम से यह जानकारी देने में सक्षम होगा। गौरतलब हो कि कोहरे के कारण इस रूट पर ट्रेनों की रफ्तार 50 किलोमीटर से भी कम हो जाती है। कई बार तो ट्रेनों को रद्द भी करना पड़ता है।

कोहरे पर रेलवे की व्यवस्था

  • -कोहरे में ड्यूटी शुरू करने से पहले लोको पायलट और गार्ड को ट्रेन चलाने और इमरजेंसी से निपटने के लिए एक हफ्ते का प्रशिक्षण दिया गया है। एयरलाइंस पायलट की तरह लोको पायलट को रूट की मौसम रिपोर्ट भी दी जाएगी।
  • -रेलवेे के अधिकारी खुद इंजन में बैठकर पेट्रोलिंग करते हैं। उनकी ड्यूटी क्रमवार लगाई जाती है।
  • -आमतौर पर तय गति से धीमा चलाने पर लोको पायलट को चार्जशीट जारी कर दी जाती है। लेकिन कोहरे में यह नियम लागू नहीं होता।
  • -स्टेशनों पर, ट्रैक की देखरेख के लिए अतिरिक्त तैनाती की गई है। स्टाफ को अतिरिक्त वॉकी-टॉकी दिया गया है। लाइनों की जांच के लिए जीपीएस आधारित हैंडहैल्ड उपकरण दिए गए हैं।
  • -जहां फॉग हट बनाई जाती है, वहां से रेललाइन की बीच के क्षेत्र को सफेद रंग चढ़ाया है। कोहरे में ट्रेन की लाइट पडऩे पर यह चमकती है।

Updated : 12 Dec 2022 12:31 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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