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हरिकथा और मीलाद के साथ पारम्परिक तरीके से तानसेन समारोह शुरू

संगीत सम्राट की समाधि पर जमी गंगा जमुनी तहजीब की महफिल

हरिकथा और मीलाद के साथ पारम्परिक तरीके से तानसेन समारोह शुरू
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ग्वालियर। संगीत सम्राट तानसेन की याद में ग्वालियर में उनकी समाधि पर आयोजित किये जाने वाले तानसेन समारोह की मंगलवार को पारम्परिक तरीके से शुरुआत हुई। तानसेन की समाधि पर हरिकथा सुनाई गई और मीलाद की तकरीर हुई।

उपनगर ग्वालियर के हजीरा क्षेत्र में स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि पर सुबह परंपरागत ढंग से शहनाई वादन, हरिकथा और मीलाद की तकरीर हुई। उसके बाद तानसेन की समाधि पर चादरपोशी और कब्बाली की प्रस्तुति हुई। तानसेन की स्मृति में पिछले 94 वर्ष से आयोजित हो रहे तानसेन समारोह में इस साल भी ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक तानसेन समाधि परिसर से गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं।

मंगलवार को समारोह की शुरुआत परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खाँ ने राग " बैरागी'' में शहनाई वादन से की । इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम-ए-खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है तथा ईश्वर के अंश भी हैं। उन्होंने कहा कि रोजा और व्रत मुल्ला और पण्डित, ख्वाजा और आचार्य के उद्देश्य व मत एक ही है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। ढोली बुआ महाराज द्वारा प्रस्तुत भजन के बोल थे "आपहि खेल खिलाडी आपहि धर्मधारी हैं " । ढोलीबुआ महाराज ने प्यारे भजन "रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम" का मधुर गायन किया।

ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल कादरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मीलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। अन्त में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर जनाब कामिल हजरत द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई । इससे पहले जनाब भोलू झनकार सहित मुस्लिम समुदाय के अन्य गणमान्य नागरिक कब्बाली गाते हुये चादर लेकर पहुंचें। कार्यक्रम में संस्कृति विभाग की सचिव श्रीमती रेनू तिवारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी तथा अन्य कलारसिक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित हैं।

Updated : 25 Dec 2018 7:28 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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