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पत्थरों में बोलते अटल जी व स्वामी विवेकानंद

पत्थरों में बोलते अटल जी व स्वामी विवेकानंद
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ग्वालियर। शहर में स्थित गेंडे वाली सड़क पर सालों से रह रहे मूर्तिकारों की मूर्तिकला देश के कोने कोने तक ग्वालियर का नाम रोशन कर रही है। मूर्तिकारों के सधे हुए हाथों से छैनी हथौड़ों की चोट जब सख्त से सख्त पत्थरों पर पड़ती है तब देखते ही देखते इन्हीं पत्थरों में जान सी पड़ जाती है और ऐसा लगता है कि अब यह बोल ही पड़ेंगे।

गेंडे वाली सड़क से निकलते ही मुख्य मार्ग पर छैनी हथौड़े की ठक-ठक बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। यहां की मूर्तियां जहां कई धनाढ्य वर्ग के ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ा रहे हैं तो वहीं बड़े पत्थरों पर बनी देवी देवताओं की मूर्तियां कई मंदिरों में स्थापित की जा चुकी है। पारंपरिक धार्मिक, आध्यात्मिक, मानव आकृतियां व पशु-पक्षियों की मूर्तियां सुंदर व आकर्षक होने के कारण सहज ही सबका ध्यान आकर्षित करती हैं। पत्थरों के साथ ही प्लास्टर ऑफ पेरिस, कंक्रीट, कांस्य, फाइबर ग्लास, टैराकोटा आदि की सहायता से भी मूर्तियों को नया रूप देने का काम यहां हो रहा है। हर तरह की मूर्ति में जान फूंकने में यहां के मूर्तिकार किसी से पीछे नहीं है। राज्यस्तरीय विश्वकर्मा पुरस्कार से सम्मानित सतीश विश्वकर्मा बताते हैं कि यह काम पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। लगभग सौ से अधिक घर विश्वकर्मा समाज के हैं लेकिन मेहनत के मुकाबले उतना दाम नहीं मिलने से कई परिवार अब दूसरे काम धंधे से जुड़कर अपनी जीविका चला रहे हैं। लगभग बीस पच्चीस परिवार ही इस कला को जिंदा रखे हुए हैं।

सतीश बताते हैं कि एक छोटी सी छोटी मूर्ति बनाने में काफी मेहनत लगती है। जब यही मूर्ति बड़ी होती है तो उसे बनाने में सात दिन से पंद्रह दिन तक का समय लग जाता है और कम से कम प्रतिदिन छह से सात घंटे का समय देना पड़ता है। आपकी बनायी मूर्तियां महाराजपुरा स्थित वायुसेना व मुरार कैंट स्थित सेना के कार्यालय की शोभा बढ़ा रहे हैं। गोहद चौराहे पर स्थापित होने के लिए सतीश ने हाल ही में देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल जी की विशालकाय मूर्ति बनायी है। फाइबर की बनी यह प्रतिमा को देखकर ऐसा लगता है कि साक्षात अटल जी खड़े हो और लोगों से बात करने ही वाले हैं। इसी तरह गौतम बुद्ध की प्रतिमा तैयार होने पर हैं। सतीश जब 15 वर्ष के थे तब से पत्थरों को तराश कर उनमें जान फूंकने का काम कर रहे हैं। तब से अब तक वे धार्मिक, आध्यात्मिक, मानव आकृतियां व पशु-पक्षियों की मूर्तियां बनाने में महारत हासिल कर चुके हैं।

Updated : 9 Aug 2020 1:00 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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