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इंगित काव्य गोष्ठी में बिखरे बसंत के रंग

इंगित काव्य गोष्ठी में बिखरे बसंत के रंग
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प्राकृतिक सुंदरता पर केन्द्रित सुनाईं काव्य रचनाएं

ग्वालियर, न.सं.

मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा के तत्वावधान में प्रति माह होने वाली इंगित काव्य गोष्ठी में इस बार बसंत की बहार बिखरती दिखाई दी। कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बसंत की छवि का मनोहारी वर्णन कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रकाश मिश्र ने की। मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश सम्राट रहे। मंचासीन साहित्य सभा के अध्यक्ष बसंत पुरोहित एवं उपाध्यक्ष राजकिशोर वाजपेयी रहे। सर्व प्रथम डॉ. सत्या शुक्ला ने सरस्वती वंदना का गायन किया। तत्पश्चात उपस्थित कवियों ने प्राकृतिक परिवर्तन पर अपनी काव्य रचनाएं सुनाईं। कार्यक्रम में अमर सिंह यादव, डॉ. वंदना सेन, डॉ. लोकेश तिवारी, प्रतिभा द्विवेदी, ज्योति दोहरे, निर्मला गर्ग एवं गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने सस्वर काव्य पाठ किया। शहर के जाने माने साहित्यकार बाबूराम माहौर, श्रीनिवास टोणपे, रमेश चौबे, अनिल गुप्ता, रमेश त्रिपाठी, किंकर पाल सिंह जादौन, रवि कामिल, रामचरन रुचिर, ए.के. सरीन, अरुण कुमार बरुआ, सुधीर चतुर्वेदी, दिलीप मिश्रा, भुजवीर सिंह यादव, राजहंस त्यागी, अनूप गुप्ता, रमेश निर्झर, राकेश पाण्डे, लक्ष्मण पाल, उपेन्द्र कस्तूरे सहित कई साहित्यकार उपस्थित थे। संचालन कमला शंकर मिश्र ने एवं आभार प्रदर्शन सुधीर चतुर्वेदी ने किया।

Updated : 10 Feb 2019 1:21 PM GMT
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Naveen Savita

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