कार सुधारने में देरी पर देना पडे 40 हजार
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ग्वालियर। कंपनियां अपने उत्पादों की बिक्री से पहलीे ग्राहकों को कई प्रलोभन देतीं हैं, उत्पाद की बिक्री हो जाने के बाद कंपनी का ग्राहक से जैसा व्यवहार होना चाहिए वह नहीं रहता है। उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम ने कार सुधारने में की गई देरी को सेवा में कमी मानते हुए कंपनी को 40 हजार रूपए क्षतिपूर्ति के रूप में उपभोक्ता को अदा करने के आदेश दिए हैं। फोरम ने माना कि कंपनी ने उपभोक्ता को मानसिक पीड़ा दी है।
प्रकरण के तथ्यों के मुताबिक दतिया निवासी अब्दुल शकूर ने 4 फरवरी 2019 को ग्वालियर आकर नई सेंट्रो कार खरीदी थी। कार लेकर वे दतिया जा रहे थे कि रास्ते में कार में कुछ कंपन होने लगा। उन्होंने कंपनी के शोरूम पर संपर्क किया तो उनसे कहा गया कि वे झांसी में कंपनी के शोरूम पर जाकर अपनी समस्या का निराकरण करा सकते हैं। इस पर अब्दुल शकूर झांसी में कंपनी के शोरूम पहुंचे तो वहां कार की जांच के बाद उनसे कहा गया कि कार में कुछ तकनीकी खराबी लग रही है, इसलिए वे कार को छोड कर जाएं। जब गाड़ी के सुधारे जाने की कोई सूचना उन्हें नहीं मिली तो उन्होंने कंपनी को संपर्क किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया। इस पर उन्होंने डाक से कंपनी को इसकी जानकारी दी। लेकिन कंपनी ने कार को सुधारने में काफी समय लगा लिया। इस पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में वाद प्रस्तुत कर कहा कि कंपनी द्वारा कार की खराबी को समय पर ठीक नहीं करके उन्हें मानसिक पीडा पहुंचाई है, इसलिए उन्हें मुआवजा दिलाया जाए। फोरम ने कार की निर्माता कंपनी हुंडई तथा कंपनी के झांसी स्थित शोरूम की सेवा में कमी पाते हुए क्षतिपूर्ति के साथ ही उस पर आठ प्रतिशत ब्याज भी अदा करने के आदेश दिए हैं। कंपनी को प्रकरण व्यय के रूप में दो हजार रूपए भी उपभोक्ता को अदा करने होंगे।
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