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विवादित निर्माणाधीन भवन की अनुज्ञा जारी की

तत्कालीन भवन अधिकारी पर कार्रवाई को किया नजरअंदाज

विवादित निर्माणाधीन भवन की अनुज्ञा जारी की
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। नगर निगम के जनकार्य और भवन शाखा में पूरी तरह मनमाना रवैया चल रहा है। यहां सारे नियम कायदों को तोड़कर भवन अधिकारी किसी भी भवन को तोडऩे पहुंच जाते हैं और जिसे चाहे उसे मनमाने तरीके से अनुमति भी दे देते हैं। ऐसा ही एक रोचक वाक्या मानिक विलास कॉलोनी का सामने आया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 11 और वार्ड 30 में स्थित 28 मानिक विलास कॉलोनी में राजेश जयसिंघानी पुत्र स्व. बीएम जयसिंघानी एवं मनोहर जयसिंघानी पुत्र मूलचंद जयसिंघानी के बने बनाए भवन को 25 मई 2018 को तत्कालीन भवन अधिकारी ने निर्माण की भवन अनुज्ञा जारी कर दी। जबकि इस विवादित भवन को बिना अनुज्ञा बनाए जाने पर 13 अगस्त 2016 को तत्कालीन भवन अधिकारी अजय पाल सिंह जादौन एवं क्षेत्राधिकारी राजीव सोनी ने मौके पर पहुंचकर थोड़ी-बहुत तुड़ाई की थी। इसकी जानकारी जब तत्कालीन निगम आयुक्त अनय द्विवेदी को लगी तो उन्होंने जादौन की दो वेतनवृद्धि रोकते हुए विभागीय जांच बैठा दी थी। इसके बाद 25 अगस्त 2016 को इस भवन की जांच एक दूसरे भवन अधिकारी प्रदीप वर्मा से कराई गई। श्री वर्मा ने मौके पर पहुंचकर पाया कि वहां तलघर,भूतल, प्रथम, द्वितीय और तृतीय तल पर पूर्ण निर्माण किया गया है और छज्जे बाहर निकाल लिए गए हैं। इसके अलावा वर्ष 2017-18 का संपत्तिकर आईडी क्रमांक 240489 पर 8000 वर्गफीट भवन का 39 हजार 553 रुपए भी जमा कराया गया है। यानीकि यह भवन काफी पहले से बन गया था। इसके बाद भवन स्वामी ने नगर निगम में दलाल के रूप में सक्रिय लोगों से संपर्क कर 25 मई 2018 को तत्कालीन भवन अधिकारी महेंद्र अग्रवाल से बने भवन पर अनुज्ञा जारी करा ली। इसमें सबसे खास बात यह है कि इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता अनूप सिंह यादव ने इसके दस्तावेज निकलवाए तो वह श्री अग्रवाल ने ही आधिकारिक रूप से सूचना अधिकारी के रूप में उपलब्ध कराए। यानीकि यहां जो कुछ भी हुआ वह भवन अधिकारी की इच्छा से हो रहा है। चूंकि उन्हें निगमायुक्त का बरदहस्त हांसिल है, इसलिए कार्रवाई का किसी तरह का भय नहीं है। यही कारण है कि पूर्व भवन अधिकारी पर कार्यवाही और एक-दूसरे भवन अधिकारी की जांच रिपोर्ट को नजरअंदाज कर भवन अनुज्ञा जारी कर दी गई। पता लगा है कि पहले इस पूरे मामले की विभागीय जांच अधीक्षण यंत्री प्रदीप चतुर्वेदी कर रहे थे, लेकिन मामला दबाने के लिए अब उनकी जगह किसी नए अधिकारी से जांच कराई जा रही है।

''मानिक विलास कॉलोनी में बने भवन पर अनुज्ञा की बात मेरे आने से पहले की है। मैं इस मामले को दिखवाऊंगा, गलत होने पर कार्रवाई की जाएगी।'

ज्ञानेंद्र सिंह जादौन , सिटी प्लानर

Updated : 1 Oct 2018 1:40 PM GMT
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