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अंजू के गांव बौना से, ग्राउंड रिपोर्ट : पिता ने ईसाइयत अपनाई तो बेटी को मिला बल, बनी फातिमा

स्वदेश रिपोर्टर राजीव अग्रवाल और फूलचंद्र मीणा अंजू के गांव बौना पहुंचे, जहाँ पाया गया की बौना सहित कई गांवों में कनवर्जन का कुचक्र, गरीब और भोले-भाले ग्रामीणों को बना रहे ईसाई

अंजू के गांव बौना से, ग्राउंड रिपोर्ट : पिता ने ईसाइयत अपनाई तो बेटी को मिला बल, बनी फातिमा
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ग्वालियर। टेकनपुर जिससे इस क्षेत्र की पहचान बनी है वह भारतीय सीमा सुरक्षा अकादमी का विशाल क्षेत्र है। जहां पर हजारों सैनिक देश की सरहदों की रक्षा करने के लिए दिन रात खून पसीना बहा रहे हैं। लेकिन इन दिनों पूरे देश में टेकनपुर का एक छोटा सा बौना गांव के गयाप्रसाद धानुक उर्फ थॉमस और उसकी बेटी अंजू जो अब फातिमा बन गई है, के कारण चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। इसाई मिशनरी की जड़े दो दशक से पहले सैन्य क्षेत्र में फैलना शुरु हुई और भोले-भाले ग्रामीणों को भी नहीं पता चल सका । आज यह ईसाई मिशनरी वट वृक्ष का रुप लेती जा रही है। ऐसा इसलिए कह रहे हैं की आज टेकनपुर में गयाप्रसाद थॉमस जैसे हजारों परिवार है जो ईसाई मिशनरी से जुड़कर उसका प्रचार प्रसार गुपचुप ढंग से कर रहे हैं। जिसका एक उदाहरण गयाप्रसाद धानुक उर्फ थॉमस का परिवार है। बेटी पैदा दूसरे समुदाय में हुई उसका पालन पोषण प्रभु यीशु की प्रार्थना करते हुए हुआ विवाह भी इसाई परिवार में ही किया जिससे उसे ऐसा बल मिला कि वह अपने पति और दो बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान जाकर नसरुल्लाह की फातिमा बनने में संकोच नहीं किया ।


शुक्रवार को स्वदेश की टीम टेकनपुर और बौना गांव में हकीकत जानने पहुंची। दोपहर लगभग बारह बजे बौना गांव में गयाप्रसाद थॉमस के घर के आसपास कोई नहीं था किन्तु घर के अंदर से गयाप्रसाद के जोर जोर से बोलने की आवाज सड़क पर साफ सुनी जा सकती थीं। घर के द्वार पर भिवाड़ी से लौटा डेविड थॉमस टीम को देखकर बाहर आया और बोला आप यहां पर क्यों आए हैं। परिचय देने पर वह आग बवूला होकर गांव से ही जाने को कहने लगा। पीछे से प्रार्थना करने के बाद पिता गयाप्रसाद थॉमस भी आ गए और ऊलजलूल बातें कर बोले कि मुझे देशभर का मीडिया कोस रहा है। आपसे मुझे कोई बात नहीं करना । थोड़ी देर बाद ग्रामीणों के समझाने पर वह तसल्ली से बात करने को राजी हो गए। उन्होंने बताया कि वह मूलत: भिण्ड के मिहोना निवासी हरिराम धाकड़ के बेटे गयाप्रसाद थॉमस हैं। दो दशक पहले इसाई मिशनरी से टेकनपुर में जुड़े थे। पांच बेटी और एक बेटा जो अब डेविड थॉमस के नाम से जाना जाता है सबकी परवरिश प्रभु यशु की प्रार्थना और गीत गाते हुए हुई। बेटी अंजू थॉमस का विवाह इसाई परिवार के अरविंद मीणा से भिवाड़ी में किया । अंजू भिवाड़ी में पति के साथ 18 वर्ष तक रही और इस दरियान दो बच्चों की मां भी बनी।

कन्वर्जन क्यों ? गयाप्रसाद की जुबानी-

गयाप्रसाद थॉमस कहते हैं कि 1991 के दौरान उनके पैर में छाला हुआ जो काफी फैल गया उपचार कराया और मन्नत मांगी फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ तब पैर काटने की सोची तो कभी जान देने का इरादा मन में आया। क्यूंकि परिवार के लोग यह सोचने लगे कि मुझे कोढ़ की बीमारी हो गई है। चाची ने मुझे घर तक में आने से रोक दिया था। ऐसे में एक दिन बौना गांव की एक मुंहबोली बहन मेरे घर आई उसने मुझको रविवार को चर्च में आने को कहा। में शराब और सिगरेट बीड़ी का नशा करता था। गयाप्रसाद थॉमस का कहना है कि पहली बार में ही प्रार्थना करने के दौरान मेरे अंदर कोई दिव्य शक्ति ने प्रवेश किया और महज चार दिन में कोढ़ का रुप ले चुके रोग में आराम मिलना शुरु हो गया। इसके बाद प्रार्थना करने और गयाप्रसाद धानुक से थॉमस बनने का सफर तय हुआ और अनवरत चल रहा है। गयाप्रसाद के घर में इसाई मिशनरी साहित्य का बड़ा संग्रह है। उसका मानना है कि भले ही बेटी अंजू पति और बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान में जाकर फातिमा बन गई, वह एक तरह से हमारी लाश के ऊपर से गुजर कर गई है। यहीं कारण है कि इंटेलीजेंस से लेकर पुलिस और मीडिया के लाग पूछताछ कर रहे हैं उससे सामना करने की शक्ति भी प्रार्थना से मिल रही है।

छोटे से गांव में चर्च-

एक हजार की आबादी वाला बौना गांव जहां सभी परिवार हिंदू है वहां पर अकेला गयाप्रसाद इसाई मिशनरी की खुलेआम कुचक्र चला रहे हैं। गांव में इसाई मिशनरी को मानने वाले एक दो परिवार भी है जो उसी समुदाय से ही आते हैं वहां एक चर्च भी है। गयाप्रसाद जैसे परिवारों की संख्या अब हजारों में हो गई है जो ईसाई मिशनरी से जुड़ रहे हैं। टेकनपुर में शासकीय सेवा में सेवारत परिवार भी गयाप्रसाद जैसे लोगों की मदद कर उनको प्रेरित कर रहे हैं जिसका असर टेकनपुर में रविवार को देखा जा सकता है।

केरल बड़ा केंद्र, जिनके फादर के हाथों में है कमान-

बौना गांव के चर्च में जो फादर है उनका नाम फिन्नी जोसफ है वह मूलत: केरल के हैं। फिन्नी के पिता जोसफ बीएसएफ से सेवानिवृत होने के बाद बौना गांव में ही घर बनाकर रह रहे है। तो वहीं टेकनपुर में न्यू इंडिया चर्च ऑफ गॉड के फादर भी केरल के हैं। टेकनपुर में मिशनरी द्वारा संचालित विद्यालय भी है जहां पर सैकड़ों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। इन्हीं केंद्रों से परिवर्तन की लहर संचालित की जाती है। डबरा में इस तरह का मामला सामने आ चुका है। टीम जब टेकनपुर के चर्च में पहुंची तो वर्गीश नामक फादर किसी भी तरह की बातचीत करने को तैयार नहीं थे उनका कहना था की उत्तरप्रदेश में एक चर्च में फादर की पिटाई कर दी गई थी इसलिए आपसे में जब बात करुंगा जब आप सरपंच से लिखवाकर लाओगे। बाद में वह अपनी पत्नी के साथ बातचीत को तैयार हुआ। उसने बताया कि यहां रविवार को विशेष प्रार्थना में काफी संख्या में आते हैं। बौना गांव की घटना से हमें कोई लेना देना नहीं है लोग हमें फोन करे बार बार सवाल पूछ रहे हैं।

बौना गांव को ग्रामीण गयाप्रसाद से नाराज-

गुर्जर बाहुल्य बौना गांव में गयाप्रसाद और उसकी बेटी अंजू उर्फ फातिमा की हरकतों से ग्रामीणों में आक्रोश हैं। उनका कहना है की इनके कारण गांव की बदनामी हो रही है। उसके थॉमस बनने से जो सच्चाई सामने आ रही है अब लोग उससे दूरी बना रहे है। धर्मेन्द्र गुर्जर का कहना है कि गांव में गयाप्रसाद ने बीस पच्चीस वर्ष पहले यीशु की फिल्म दिखाने से इसका शुरुआत की थी। कोई मैडम और आदमी भी गांव में लाता था। इसी तरह टेकनपुर किराना कारोबारी ने बताया कि इस क्षेत्र में कनर्वजन बड़े पैमाने पर हो रहा है। आसपास के माधौपुरा गांव, रामनगर कालोनी और टेकनपुर में हजारों लोग इसाई मिशनरी से जुड़ गए हैं जिनको तरह तरह के लालच देकर यहां तक लाया जाता है। जबकि उनका इससे कोई लेना देना नहीं है लेकिन किसी मिशन के तहत उनको बदलने का षडयंत्र चल रहा है। उन्होंने यह रहस्योदघाटन भी किया कि एक अच्छा खासा सपन्न जाटव परिवार कनवर्जन कर चुका है लेकिन वह अनुसूचित जाति वर्ग शासकीय योजनाओं का भरपूर लाभ ले रहा है। इसी तरह कई अन्य परिवार भी लाभ ले रहे हैं।

Updated : 13 April 2024 12:49 PM GMT
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