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यहां मनती है मौत की पिकनिक, मातम में बदल जाती हैं खुशियां, जानलेवा बांध और झरने

यहां मनती है मौत की पिकनिक, मातम में बदल जाती हैं खुशियां, जानलेवा बांध और झरने
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ग्वालियर, न.सं.। बारिश का सीजन शुरू होने के साथ ही जिले के आसपास बने बांध और झरनों पर सुहाने मौसम में लोग पिकनिक मनाने पहुंचने लगते हैं। लेकिन इन पिकनिक स्थलों पर सुरक्षा के इंतजाम न होने और लोगों की लापरवाही के कारण हादसे हो जाते हैं और मौज मस्ती मातम में बदल जाती है। क्योंकि खुशनमा माहौल में लोग नदी, तालाब और झरने में नहाने कूंद पड़ते हैं, जिससे लोगों की जान भी चली जाती है।

बारिश की सीजन में पिकनिक स्थल बने इन बांध और झरनों पर प्रतिवर्ष कोई न कोई हादसा होता है। दो साल पहले ग्वालियर और शिवपुरी जिले की सीमा के बीच स्थित सुलतानगढ़ झरने पर अचानक पानी बढ़ जाने के कारण यहां पिकनिक मनाने आए नौ लोग पानी में बह गए थे जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस दौरान पूरी रात बचाव दल गोताखोरों के साथ कुछ लोगों को बचाने में भी कामयाब हुआ था। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर स्वयं बचाव दल की हौसला अफजाई करने रात भर मौके पर मौजूद रहे थे। इसी तरह शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित तिघरा जलाशय पर भी हर साल कोई न कोई हादसा होता रहता है। अभी हाल ही में सावन के सोमवार में भितरवार क्षेत्र में स्थित धूमेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने पहुंचे कुछ युवक होड़ ही होड़ में झरने में नहाने चले गए। जिसमें ग्वालियर के तीन युवकों की जान जा चुकी है। वहीं बीते रोज बेलगढ़ा थाना क्षेत्र के बाजना गांव में हरसी नहर में भी बहकर तीन लड़कियों की मौत हो चुकी है। इनमें से छह लड़कियों को सुरक्षित बचा लिया गया। सुरक्षा के नाम पर सिर्फ इन बांधों और झरनों पर एक बोर्ड लगा रहता है, जिसमें लिखा है- सूर्यास्त से सूर्योदय तक भारी वाहनों का आवागमन वर्जित है। मतलब, प्रशासन की तरफ से दिन में कोई रोक-टोक नहीं है। यही वजह है कि लोग इन खतरों से भरी जगहों पर बेखौफ घूमते हैं। पिछले दो साल में जिले के जलाशयों, पिकनिक स्पॉट पर करीब 20 से अधिक लोगों की हादसों में मौत हो चुकी है। लगातार हादसों के बावजूद न तो प्रशासन सुरक्षा इंतजाम कर रहा है और न ही लोग चेत रहे हैं। हालांकि रात में यहां पुलिस चौकियां खुली होने का दावा किया जाता है, किंतु मौके पर पुलिस घटना के घंटों बाद दिखाई देती है।

प्रवेश मार्ग पर जांच हो तो बंद हो मौत का सिलसिला

तिघरा बांध के आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन की तरफ से कोई चेकिंग नहीं होती। यही वजह है कि लगातार हादसे होते हैं। प्रशासन प्रवेश मार्ग पर चेकिंग करें तो हादसे रुक सकते हैं। साथ ही प्रवेश देने के बाद यहां आने वालों की नजर रखी जाए। जो क्षेत्र खतरनाक हैं, वहां प्रतिबंध लगाया जाए। इतना ही नहीं कुछ मदहोश युवक शराब का नशा भी इन क्षेत्रों में जाकर करते हैं और उनकी खुशियां तब गम में बदल जाती है, जब कोई हादसा होता है।

बैठक में दिए जाते आदेश, लेकिन अमल नहीं

हर साल बारिश से पूर्व कलेक्ट्रेट में होने वाली प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में यह आदेश जारी किए जाते हैं कि प्राकृतिक झरनों के आसपास सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे, ताकि कोई हादसा न हो सके। लेकिन यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाते हैं। यही वजह है कि बारिश दिनों में सुल्तानगढ़, तिघरा,देवखो, सिरसा फॉल, भदावना, रमौआ सहित कई अन्य स्थलों सैलानी बेरोकटोक पिकनिक मनाने पहुंचते है। जहां उनकी जान को खतरा रहता है।

कई लोगों को निगल चुके बांध

बीते 10 जून को लक्ष्मीगंज जागृति नगर निवासी अमित कुशवाह तिघरा में नहाने के लिए उतरे, तो पैर फिस गया। जिससे मौत हो गर्ठ। इसी तरह वर्ष 2019 के अगस्त माह में रमटापुरा निवासी जितेन्द्र कुष्ठा की मौत हुई थी। वहीं जटार साहब की गली में रहने वाले कमल ढीमर ने भी अपनी जान गंवाई थी।

इनका कहना है

समय-समय पर पुलिस की टीम निरीक्षण कर लोगों को दिशा-निर्देश देने के साथ ही उन्हें भगाती है। यहां पर निजी सुरक्षा गार्ड मौजूद रहते हैं जो लोगों को भराव क्षेत्र में जाने से रोकते हैं।

-आनंद वाजपेयी,सहायक उप निरीक्षक, तिघरा थाना

Updated : 26 July 2020 1:00 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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