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नए साल में सुनाई दे सकती है बब्बर शेरों की दहाड़

कूनो-पालपुर अभयारण्य को मिला राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा, मध्यप्रदेश में बढक़र 12 हुई राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या

नए साल में सुनाई दे सकती है बब्बर शेरों की दहाड़
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ग्वालियर। पिछले 23 सालों से गिर के बब्बर शेरों का इंतजार कर रहे श्योपुर जिले के कूनो-पालपुर अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्ज मिल गया है। म.प्र. सरकार के इस ताजा फैसले से कूनो में बब्बर शेरों की बसाहट की उम्मीद बढ़ गई है। माना जा रहा है कि नए साल में यहां गिरि के बब्बर शेरों की दहाड़ सुनाई दे सकती है।

गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान के एशियाटिक लॉयन (बब्बर शेर) मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर लाने में आ रही बड़ी अड़चन अब खत्म होती दिख रही है। म.प्र. सरकार ने लगभग 413 वर्ग कि.मी. क्षेत्र बढ़ाकर कूनो अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया है। शनिवार को इस आशय का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। बब्बर शेर देने के लिए गुजरात सरकार ने कूनो का क्षेत्रफल बढ़ाने और उसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने की शर्त रखी थी। कूनो अभयारण्य में बब्बर शेरों की शिफ्टिंग की योजना पर वर्ष 1996 से काम चल रहा है, जबकि प्रोजेक्ट 2003 में तैयार हो चुका है, लेकिन गुजरात सरकार लगातार कमियां गिनाकर बब्बर शेर देने से कतरा रही है।

जनवरी 2017 में एम्पॉवर्ड कमेटी (सशक्त समिति) ने कूनो अभयारण्य का निरीक्षण किया था। उस समय कूनो का क्षेत्रफल बढ़ाने और उसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने की बात सामने आई थी। वन विभाग ने शिवपुरी के 202 वर्ग कि.मी. में फैले करैरा सोनचिरैया अभयारण्य को डि-नोटिफाई करने की कार्यवाही शुरू करते हुए कूनो का क्षेत्रफल बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसे अंतिम रूप भी दिया जा चुका है। इसके बाद एम्पॉवर्ड कमेटी फिर से कूनो का दौरा करने आ सकती है। खास बात यह है कि देश में सबसे ज्यादा 11 राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश में हैं। कूनो को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिलने से अब म.प्र. में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या बढक़र 12 हो गई है। यालय ने दिया था कूनो के हक में फैसलासर्वोच्च न्यायालय ने दिया था कूनो

राज्य शासन ने कूनो को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के लिए भले ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, लेकिन सोनचिरैया अभयारण्य करैरा और घाटीगांव को डि-नोटिफाई करने का प्रस्ताव अभी तक अटका हुआ है। यहां बता दें कि वन विभाग ने करैरा अभयारण्य का पूरा क्षेत्र और घाटीगांव अभयारण्य से 25 गांवों को डि-नोटिफाई करने के प्रस्ताव राज्य शासन को भेजे थे। इन दोनों प्रस्तावों पर राज्य शासन तो बहुत पहले ही स्वीकृति की मुहर लगा चुकी है, लेकिन अभी इन प्रस्तावों पर राज्य वन्यप्राणी बोर्ड और केन्द्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की स्वीकृति मिलने मिला शेष है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय से भी स्वीकृति लेना होगी। इसके बाद ही डि-नोटिफाई जारी हो पाएगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक शाहबाज अहमद ने बताया कि घाटीगांव अभयारण्य से 25 गांवों को डि-नोटिफाई करने की प्रक्रिया अभी चल रही है, जबकि करैरा अभयारण्य के संपूर्ण क्षेत्र को डि-नोटिफाई करने के संबंध में जल्ही ही प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय को भेजा जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने दिया था कूनो के हक में फैसला

यहां बता दें कि वर्ष 1996 में सिंह परियोजना स्थापित कर कूनो-पालपुर अभयारण्य में गिरि के बब्बर शेरों को बसाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन गुजरात सरकार ने बब्बर शेर नहीं दिए। इस पर मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा और 23 साल पुरानी इस सिंह परियोजना को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल 2013 को छह माह के भीतर कूनो अभयारण्य में बब्बर शेरों को बसाने के आदेश गुजरात व केन्द्र सरकार को दिए थे। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित वन्यजीव विशेषज्ञों की समिति के आदेश पर वन विभाग ने कूनो अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने और 413 वर्ग कि.मी. एरिया बढ़ाने का राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा था। इसके लिए भारत सरकार के एडीजी वाइल्ड लाइफ की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति बनाई गई थी, जिसने पिछली दो बैठकों में कहा था कि बब्बर शेरों की बसाहट से पहले म.प्र. सरकार कूनो को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देकर उसका कोर एरिया दोगुना करे। उन्होंने खाली पदों को भरने की बात भी कही थी। म.प्र. शासन ने कूनो को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने के साथ लगभग सभी खाली पदों को भी भर दिया है, इसलिए माना जा रहा है कि गुजरात सरकार अब कूनो में बसाने के लिए बब्बर शेर उपलब्ध कराने को तैयार हो जाएगी।

इनका कहना है

कूनो को राष्ट्रीय उद्यान बनाने का फैसला हो गया है। शनिवार को राज्य शासन द्वारा इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, लेकिन बब्बर शेर कब तक आएंगे? इस बारे में अभी कहना मुश्किल है क्योंकि गुजरात सरकार बब्बर शेर देने को तैयार नहीं है। कूनो में बब्बर शेर बसाने के लिए हम राज्य शासन के माध्यम से केन्द्र शासन से मांग करेंगे।

शाहबाज अहमद

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) भोपाल

Updated : 23 Dec 2018 8:42 AM GMT
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