Home > Lead Story > सरकार की नियत और नीति दोनों किसान हितैषी : प्रधानमंत्री

सरकार की नियत और नीति दोनों किसान हितैषी : प्रधानमंत्री

सरकार की नियत और  नीति दोनों किसान हितैषी : प्रधानमंत्री
X

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ की 93वीं वार्षिक बैठक को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में किसानों पर अधिक जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा की सरकार की नियत और नीति दोनों किसानों का लाभ चाहती है। उन्होंने कहा की ये कृषि कानून किसान हितैषी है। इन कानूनों के तहत किसानों को अपनी फसल मंडी के अतिरिक्त बाहर बेचने का भी विकल्प मिलेगा। कृषि क्षेत्र में जितना निवेश बढ़ेगा, किसानों को उतना ही लाभ मिलेगा।

21वीं सदी में ग्रामीण भारत में संभावनाएं अधिक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ग्रामीण भारत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। गांव में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या शहरों से अधिक हुई है। आधे से ज्यादा स्टार्ट अप टीयर टू और थ्री शहरों में है। गांव के लोग बाजार, स्कूल, अस्पताल से तेजी से जुड़ रहे हैं। ग्रामीण लोगों की आकांक्षाएं बढ़ रही है। सरकार पूरी तरह से इन्हीं आकांक्षाओं की पूर्ती करने में जुटे हैं। उन्होंने उद्योग जगत का आहवान करते हुए कहा कि वे ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी के प्रयासों में सरकार के भागीदार बनें। 21वीं सदी में गांव और छोटे शहर ही संभावनाएं बढ़ेंगी। उद्योग जगत को गांव और छोटे शहरों में इन्वेस्टमेंट का मौका नहीं गंवाना चाहिए। संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।

कृषि क्षेत्र में उद्योग जगत ले रुचि

कृषि क्षेत्र पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र पहले से अधिक प्रगतिशील हुआ है। भारत के किसानों के पास मंडियों के बाहर भी बेचने का विकल्प है। मंडियों का आधुनिकीकरण हो रहा है। किसानों को डिजीटल प्लेटफार्म पर खरीदने और बेचने का विकल्प मिला है। जब देश का किसान समृद्ध होगा तो देश भी समृद्ध होगा। पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। उन्होंने कहा कि जितना हमारे देश में कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र में निवेश होना चाहिए उतना नहीं हुआ। हमारे यहां कोल्ड स्टोरेज की कमी रही, खाद की किल्लत होती थी, कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियों के लिए केन्द्र सरकार काम कर रही है लेकिन इसमें उद्योग जगत की रुचि की आवश्यकता है। फसल उगाने वाले किसानों को जितना आधुनिक तकनीक का सहारा मिलेगा, व्यापार को उतना सहयोग मिलेगा। उद्योग जगत जितना निवेश करेंगे उतनी किसानों की आय बढ़ेगी। एग्रो इंडस्ट्री के लिए बहुत संभावनाएं हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए अनुकूल भी है। किसानों के हित में व सेवा क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्रों के बीच फिक्की जैसे संगठन ब्रिज का काम कर सकते हैं। राष्ट्र निर्माण की भूमिका को और व्यापक बनाना है। लोकल के लिए वोकल के मंत्र को साकार करना है।

Updated : 12 Oct 2021 11:08 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top