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'मन की बात' : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - पर्व और पर्यावरण के बीच एक बहुत गहरा नाता

मन की बात : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - पर्व और पर्यावरण के बीच एक बहुत गहरा नाता
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नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 68 वें संस्करण को संबोधित किया और भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए अपनी बात का नवीनीकरण किया। उन्होंने देश में खिलौनों के उद्योग के बारे में एक विशेष उल्लेख किया और स्टार्अप को टीम बनाने और पूरे विश्व के लिए स्वदेशी रूप से खिलौने बनाने का आग्रह किया क्योंकि "भारत में प्रतिभा और खिलौना हब बनने की क्षमता है।" उन्होंने यह भी कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी बच्चों के लिए उनकी रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए खिलौने पर केंद्रित है।

जानें जरूरी बातें-

-पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र में सुरक्षा अभियानों में कुत्तों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने भारतीय सेना के कुत्तों विदा और सोफी के बारे में भी बात की, जिन्हें विभिन्न अभियानों में उनकी भूमिका के लिए इस वर्ष 74 वें स्वतंत्रता दिवस पर सेनाध्यक्ष 'कमेंडेशन कार्ड्स' से सम्मानित किया गया।

-पीएम मोदी ने कहा कि भारत सितंबर में पोषण माह को चिह्नित कर रहा है जिससे छोटे बच्चों को फायदा होगा। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार के महत्व के बारे में भी बात की।

-मन की बात के 68 वें संस्करण में, पीएम मोदी ने कहा "भारत को नवप्रवर्तनकर्ताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है।" उन्होंने एक आत्मानिर्भर भारत ऐप इनोवेशन चैलेंज के बारे में भी बात की।

-पीएम मोदी ने मन की बात पर कहा- इस बीज को 100 साल पहले असहयोग आंदोलन के दौरान बोया गया था, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे आत्मनिर्भर भारत के पेड़ में बदल दें।

-आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- वैश्विक खिलौना उद्योग 7 लाख करोड़ रुपये का है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी काफी कम है।"

-पीएम ने कहा कि- हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी खिलौनों पर ध्यान दिया है। खेलते समय सीखना, खिलौने बनाना आदि को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया गया है।

-पीएम ने कहा कि- यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे। अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा।

-उन्होंने कहा कि कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है।

-उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी | रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी ।

-उन्होंने कहा कि मैं देश के युवा टैलेंट से कहता हूं। आप, भारत में भी गेम्स बनाइये। भारत के भी गेम्स बनाइये। कहा भी जाता है- Let the games begin ! तो चलो, खेल शुरू करते हैं !

Updated : 30 Aug 2020 8:31 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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