राजकोट में 1 महीने में 111 मासूमों की मौत, सवाल पर CM चुप
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राजकोट/अहमदाबाद। गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में पिछले एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है। सिविल अस्पताल के चिल्ड्रन वॉर्ड में मरने वाले सभी बच्चे नवजात थे। यहां बच्चों की इंटेसिव केयर यूनिट 'एनआईसीयू' में तो ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों को बचाने की सुविधा तक नहीं है। दूसरी तरफ झारखंड के रांची में स्थित सरकारी अस्पताल रिम्स में पिछले एक साल में 1150 बच्चों की इलाज के दौरान मौत हुई। संसाधनों की कमी, मशीनों की किल्लत और रिम्स प्रबंधन के उदासीन रवैये की वजह से हर महीने औसतन 96 बच्चों की मौत हुई। सबसे ज्यादा 124 मौतें सितंबर महीने में हुईं। इधर, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सुपरिटेंडेंट जीएस राठौड़ ने बताया, 'दिसंबर में 455 नवजात आईसीयू में भर्ती हुए थे, उनमें से 85 की मौत हो गई।' राजकोट में भी 111 मासूमों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन इन मौतों की बात स्वीकार तो कर रहा है लेकिन किसी चिकित्सीय लापरवाही से साफ इनकार कर रहा है। जब मीडिया ने सीएम रुपाणी से इन मौतों पर सवाल किया तो वह चुप्पी साध गए।
बता दें कि राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों की बड़ी संख्या में मौत ने देशभर के होश फाख्ता कर दिए हैं। पिछले एक महीने में 110 नवजात इस अस्पताल में दम तोड़ चुके हैं। कोटा के बाद राजस्थान के बूंदी से ही मासूमों की मौत की एक और खबर सामने आई। वहीं, बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भी एक महीने के अंदर 162 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है।
यह आंकड़े इसलिए भी भयावह हैं कि इन अस्पतालों की दुर्दशा के कारण यह नौबत आई है। कोटा के जेके लोन अस्पताल में तो खुद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पाया कि सुअर घूम रहे थे और दरवाजे टूटे हुए थे। सफाई नदारद थी और स्टाफ की काफी कमी थी।
#WATCH: Gujarat Chief Minister Vijay Rupani walks away when asked about reports of deaths of infants in hospitals in Rajkot and Ahmedabad. pic.twitter.com/pzDUAI231Z
— ANI (@ANI) January 5, 2020
Swadesh Digital
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