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जम्मू में सीटें बढ़ने से गुपकार गैंग नाराज, फारुख अब्दुल्ला के घर बैठक जारी

जम्मू में सीटें बढ़ने से गुपकार गैंग नाराज, फारुख अब्दुल्ला के घर बैठक जारी
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श्रीनगर। परिसीमन आयोग ने जम्मू संभाग के लिए छह और कश्मीर संभाग के लिए एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है जिसे लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। गुपकार अलांस (गुपकार गैंग) ने मंगलवार को जम्मू में इस मुद्दे पर बैठक की है। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मोहम्मद युसुफ तारीगामी, मुज्जफर शाह सहित कई गुपकार से जुड़े नेता शामिल हुए। नेशनल कांफ्रेंस ने आयोग के इस मसौदे पर आपत्ति जताई है। पार्टी के सांसद हसनैन मसूदी ने इस पर अपनी रिपोर्ट जल्द पेश करने की बात कही है और उनका कहना है कि यह प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे। यह पूरी तरह भाजपा का राजनीतिक एजेंडा है जो भेदभावपूर्ण है। यह कश्मीर के लोगों के साथ नाइंसाफी है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी इस पर आपत्ति जताई है। परिसीमन में जनगणना की अनदेखी कर एक क्षेत्र को छह सीटें और एक को केवल एक सीट का प्रस्ताव देना एक-दूसरे को लड़ाने वाला है यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि आयोग केवल धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित कर भाजपा के राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है।

भाजपा ने किया स्वागत -

वहीं दूसरी ओर भाजपा सहित कई राजनीतिक पार्टियों व संगठनों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है और इसे जम्मू के साथ हो रहे सदियों के भेदभाव को दूर करने वाला बताया है। सेवानिवृत्त जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले परिसीमन आयोग की बैठक में पहली बार सोमवार को सभी सहयोगी सदस्य मौजूद रहे थे जिनमें नेशनल कांफ्रेंस के संसद भी शामिल हुए थे।

परिसीमन आयोग ने दिया प्रस्ताव -

अगर जम्मू संभाग के लिए छह और कश्मीर संभाग के लिए एक सीट के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग जाती है तो जम्मू में कुल 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें हो जाएंगी। आयोग ने सहयोगी सदस्यों से 31 दिसंबर, 2021 तक अपने सुझाव देने को कहा है। इस मसौदे में अनुसूचित जनजाति के लिए नौ और अनुसूचित जाति के लिए भी सात सीटें प्रस्तावित हैं।

जम्मू कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया 26 साल के बाद हो रही है। इससे पहले परिसीमन वर्ष 1995 में हुआ था। यह परिसीमन जम्मू कश्मीर संविधान और जम्मू कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जस्टिस केके गुप्ता की अध्यक्षता में बनाए आयोग की सिफारिशों के अनुरूप हुआ था। पांच अगस्त, 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा में 87 निर्वाचित, दो नामांकित सदस्यों के अलावा 24 सीटें गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित रहती थीं। जम्मू कश्मीर में सिर्फ अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें आरक्षित थीं। कश्मीरी पंडितों, गुलाम कश्मीर के विस्थापितों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं थी। लेकिन इस बार प्रस्ताव में सभी का ध्यान रखा गया है।

Updated : 22 Dec 2021 9:00 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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