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EVM और VVPAT मामले में कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, कहा - हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते

कोर्ट की ओर से ईवीएम को सील करने के स्पष्टीकरण पर निर्वाचन आयोग ने बताया कि जब नियंत्रण इकाई मतदान का डेटा संग्रहीत कर लेती है तो इसे सील कर दिया जाता है।

EVM और VVPAT मामले में कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, कहा - हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते
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नईदिल्ली। ईवीएम का वीवीपीएटी से शत-प्रतिशत मिलान के मामले पर उप चुनाव आयुक्त नीतेश व्यास ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माइक्रो कंट्रोलर में कंट्रोल यूनिट, बटन यूनिट और वीवीपीएटी होता है। तीनों को बस एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है। कंट्रोलर को बाहर से प्रभावित नहीं कर सकते हैं। निर्वाचन आयोग ने कहा कि आंकड़ा 45 दिन सुरक्षित रखा जाता है। सिंबल लोडिंग के सवाल पर नीतेश व्यास ने कहा कि सिंबल लोडिंग के लिए निर्वाचन आयोग और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ही दो निर्माता हैं। तब जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि क्या आप और अधिक निर्माताओं से अधिक सिंबल लोडिंग यूनिट ले सकते हैं। तब नीतेश व्यास ने कहा कि सामान की उपलब्धता के लिए ज्यादा समय नहीं लगेगा लेकिन इन मशीनों को बनाने में एक महीने का वक्त लग जाएगा।

वीवीपीएटी को भी सील कर दिया जाता

कोर्ट की ओर से ईवीएम को सील करने के स्पष्टीकरण पर निर्वाचन आयोग ने बताया कि जब नियंत्रण इकाई मतदान का डेटा संग्रहीत कर लेती है तो इसे सील कर दिया जाता है। वीवीपीएटी को भी सील कर दिया जाता है और उसके बाद सभी मतदान एजेंटों से हस्ताक्षर लिए जाते हैं। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हर माइक्रो कंट्रोलर में एक फ़्लैश मेमोरी होती है। य़ह कहना ठीक नहीं होगा कि फ़्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोगाम फीड नहीं किया जा सकता। तब जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमें निर्वाचन आयोग ने बताया कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता।

तकनीकी चीजों के लिए आयोग पर यकीन करना ही होगा

उनका कहना है कि वो फ्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते बल्कि चुनाव चिह्न अपलोड करते हैं, जो इमेज के रूप में होता है। जब हमने निर्वाचन आयोग से ये सब सवाल पूछा है तो हमें तकनीकी चीजों के लिए आयोग पर यकीन करना ही होगा। प्रशांत भूषण ने कहा कि वो भी तो चुनाव चिह्न के साथ साथ कोई गलत प्रोग्राम तो अपलोड कर सकते हैं। मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम आपकी दलील को समझ गए। हम अपने फैसले में इसका ध्यान रखेंगे।

चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से कहा कि क्या हम संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी कर सकते हैं। जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं, उसमें कहा गया है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है। हम किसी दूसरे संवैधानिक अथॉरिटी को नियंत्रित नहीं करते है। हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते।

ईवीएम को लेकर निर्वाचन आयोग से कुछ सवाल पूछे

दरअसल, आज सुबह सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम को लेकर निर्वाचन आयोग से कुछ सवाल पूछे थे और उनका स्पष्टीकरण मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते हैं। निर्वाचन आयोग अपना काम कर रहा है। पिछले कुछ चुनावों में मतदान 60 फीसदी से ऊपर रहा है। यह लोगों के भरोसे को दिखाता है।

क्या वीवीपीएटी के सभी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए

सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। उन्होंने कहा था कि वीवीपीएटी पर्चियों की भी गिनती होनी चाहिए। इसके लिए वीवीपीएटी पर्चियों को मतदाता के हाथ में देकर बैलेट बॉक्स में डालने देना चाहिए। सुनवाई के दौरान वकील संजय हेगड़े ने मांग की थी कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए। तब जस्टिस खन्ना ने पूछा था कि क्या वीवीपीएटी के सभी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए।

Updated : 24 April 2024 12:42 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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