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मासूम की मौत के बाद भी नहीं जागे जिम्मेदार, शहर में मौत बनकर बेधड़क दौड़ती रहीं ट्रेक्टर-ट्रॅालियां

मासूम की मौत के बाद भी नहीं जागे जिम्मेदार, शहर में मौत बनकर बेधड़क दौड़ती रहीं ट्रेक्टर-ट्रॅालियां
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ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से भवन निर्माण सामग्री ढोने पर प्रतिबंध की उठती रही है मांग, सस्ते के चक्कर में खतरे में डाली जा रही जान

गुना/निज प्रतिनिधि। बेलगाम दौड़ती ट्रेक्टर-ट्रॉली से 6 वर्षीय मासूम की मौत के बाद भी जिम्मेदार नहीं जागे है। दर्दनाक हादसे के बाद दूसरे दिन शनिवार को बी रोज की तरह शहर की सड़कों पर मौत बनकर ट्रेक्टर-ट्रॉलियां बेधड़क दौड़ती रहीं। किसी ट्रेक्टर-ट्रॉली से भवन निर्माण सामग्री ढोई जा रही थी तो किसी से अन्य सामान लाया ले जाया जा रहा था तो कोई ट्रेक्टर-ट्रॉली खाली ही निकलतीं देखने को मिलीं। इसके बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पहले जब कभी ऐसे हादसे सामने आए तो दिखावे के लिए ही सही परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने कार्रवाई की है, इसके चलते घटना के एक, दो दिन बाद तक सडकों पर ट्रेक्टर-ट्रॉलियां दिखाई नहीं देती थीं, जबकि परिवहन विभाग शनिवार को भी लोकसभा चुनाव आचार संहिता की आड़ में अपना खजाना भर रहा था। इस दर्दनाक हादसे में सबसे बड़ा सवाल यह निकलकर सामने आ रहा है कि आखिर प्रतिबंध के बावजूद सीमेन्ट भरकर ट्रेक्टर -ट्रॉॅली शहर वो भी रहवासी क्षेत्र से निकल कैसे रही थी? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। दूसरी ओर घटना के बाद दूसरे दिन भी परिजनों के आंसू नहीं सूख पाए। मासूम के माता-पिता सहित अन्य परिजन जहां बिलखते रहे तो मोहल्ले में भी सन्नाटे जैसा आलम रहा।

हादसे पर हादसे, फिर भी नहीं दिया जा रहा ध्यान

भवन निर्माण सामग्री ढोहने वाली ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से पिछले समय में लगातार हादसे सामने आते रहे है। किसी हादसे में किसी घर का चिराग बुझ गया है तो कोई बेटी की डोली उठने से पहले ही अर्थी उठ गई। कई लोग इन हादसों में घायल भी हुए है। ऐसे हादसे कई परिवारों को जीवन भर का दुख दे गए है। इसके बाद भी इन्हे रोकने पर सख्ती नहीं हो रही है। रहवासियों के मुताबिक बांसखेड़ी में ही ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से पहले भी कुछ लोग घायल हो चुके है।

रह-रहकर याद रही है चहकती चांदनी

घटना के बाद शनिवार को दूसरे दिन भी तो चांदनी के परिजन और न मोहल्लेवासी इस दर्दनाक सदमे से उभर पाए है। चांदनी के परिवार में तो मातम पसरा हुआ ही है, साथ ही मोहल्लेवासियों की आँखें भी घटना के जिक्र के साथ ही भींग जातीं हैं। पड़ोसियों ने बताया कि चांदनी को लगभग रोज ही वह अपनी आँखों के सामने से स्कूल के लिए जाते देखते थे तो दिन भर वह मोहल्ले में चहकती फिरती थी। लोगों का कहना है कि अब चांदनी की यादें ही शेष रह गईं है। गौरतलब है कि बांसखेड़ी निवासी मुकेश कुशवाह की 6 वर्षीय पुत्री को बीते रोज सीमेन्ट से भरी एक ट्रेक्टर -ट्रॉली ने पीछे से टक्कर मार दी थी। जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई थी।

परिवहन हीं नहीं रहवासी क्षेत्रों में बिक भी रही है भवन निर्माण सामग्री

भवन निर्माण सामग्री का ट्रेक्टर-ट्रॉली से सिर्फ रहवासी क्षेत्रों में परिवहन ही नहीं हो रहा है, बल्कि सामग्री रहवासी क्षेत्रों में विक्रय भी हो रही है। चाहे जगदीश कॉलोनी हो या आदर्श कॅालोनी या सिसौदिया कॉलोनी, दलवी कॉलोनी या फिर न्यू सिटी या फिर भुल्लनपुरा आदि क्षेत्र सब जगह भवन निर्माण सामग्री के फड़ लगे हुए है। नानाखेड़ी और भुल्लनपुरा मार्ग पर तो यह सामग्री सड़क़ों पर ही बेची जा रही है। जहां से दिन भर सामग्री भरकर ट्रेक्टर-ट्रॉली मौत बनकर शहर की सड़कों पर दौड़ती रहतीं हैं।

चार साल पहले से लगा है प्रतिबंध

भवन निर्माण सामग्री ढोने वाली ट्रेक्टर-ट्रॉलियों के दिन के समय शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध पिछले चार साल से लगा हुआ है। प्रतिबंध का समय सुबह 10 से रात 10 बजे तक निर्धारित है। हालांकि भवन निर्माण सामग्री विक्रेताओं के विरोध के बाद यह समय 1 घंटा कम कर सुबह 11 बजे कर दिया गया था। दरअसल भवन निर्माण सामग्री ढोती ट्रेक्टर-ट्रॉलियां दिन भर शहर की सड़कों पर दौड़ती रहती है। पूर्व में भी इनसे हादसे सामने आए थे। इसके बाद इन पर प्रतिबंध की मांग तेजी से मुखर हुई। जिस पर सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित कर प्रतिबंध का निर्णय लिया गया था। हालांकि मांग ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से भवन निर्माण सामग्री ढोने पर ही प्रतिबंध की उठाई गई थी, किन्तु जिम्मेदारों ने सिर्फ समय तय किया। वैसे पालन इसका भी नहीं किया गया और कुछ दिन के कार्रवाई के बाद सब पुराने ढर्रे पर चल निकला।

आखिर क्यों होता है ट्रेक्टर-ट्रॉली का इस्तेमाल?

भवन निर्माण सामग्री ढोने में आखिर ट्रेक्टर-ट्रॉली का इस्तेमाल ही क्यों होता है? इसके लेकर विक्रेता बताते है कि अन्य मालवाहक वाहन या तो एकदम बड़े है ट्रक जैसे, जिनसे शहर में आपूर्ति कराना संभव नहीं है तो दूसरे 407 और छोटा हाथी जैसे छोटे है, जिनमे माल कम आता है। जिससे उन्हे नुकसान उठाना पड़ता है, सरिया तो इन वाहनों में आ ही नहीं सकता। इसके विपरीत ट्रेक्टर-ट्रॉली से सरिया की आर्पूति होने के साथ ही यह सस्ती भी पड़ती है। इसलिए अधिकांश भवन निर्माण सामग्री विक्रेता ट्रेक्टर-ट्रॉली को ही इस्तेमाल में लाते है। यह बात अलग है कि परिवहन विभाग में इन ट्रेक्टर-ट्रॉली का पंजीयन कृषि कार्य के लिए ही होता है, इसके बाद भी यह दीगर कार्य में कैसे इस्तेमाल होती है? यह तो जिम्मेदार ही बता सकते है।

... तो हमारे बीच होती चांदनी

अगर पुलिस और प्रशासन हमारी शिकायतों पर गौर फरमा लेते तो आज चांदनी हमारे बीच होती। चांदनी की मौत का दोष इन जिम्मेदारों को भी जाता है। यह कहना है कि बांसखेड़ी के रहवासियों का । उनके मुताबिक उनके घर के सामने से प्रतिदिन भवन निर्माण सामग्री से भरी ट्रेक्टर-ट्रॉलिया तेज गति से निकलती है। इसको लेकर उन्होने कई बार पुलिस और प्रशासे से शिकायत की, किन्तु किसी ने ध्यान नहीं दिया, जबकि अपनी शिकायतों में उन्होने पूर्व में हुए हादसों का जिक्र भी किया था। बहरहाल इसी लापरवाही के चलते एक और हादसा सामने आया, जिसमें एक परिवार न अपनी मासूम बिटिया को खो दिया।

Updated : 16 March 2019 4:33 PM GMT
author-thhumb

Naveen Savita

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