उम्मीद करें, हम ओलंपिक में भी छाएंगे: सिंह
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खेलों में भारत के निखरते स्वरुप से प्रसन्न है अंतराष्ट्रीय कोच
-निज प्रतिनिधि-
गुना। खेलों इंडिया, सही मानों में इन दो शब्दों की प्रमाणिकता हमें पिछले कुछ समय से देखने को मिल रही है। बास्केटबॉल हो या क्रिकेट, हॉकी हो या कबड़्डी या फिर तैराकी या फुटबॉल, हर खेल में भारतीय प्रतिभाएं उभरकर सामने आ रहीं है। हमारी प्रतिभाएं राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में तो अपनी काबलियत साबित कर ही रहीं है, उम्मीद कर सकते है कि हम ओलंपिक में भी छाएंगे। बशर्ते जैसा चल रहा है, वैसा चलता रहे। यह उम्मीद जगा रहे है बास्केटबॉल के अंतराष्ट्रीय कोच कुलदीप सिंह बरार। भारतीय खेल प्राधिकरण जबलपुर में पदस्थ कुलदीप ही वो कोच है, जिनके नेतृत्व में रसिया में भारत ने कन्या बास्केटबॉल में स्वर्ण पदक हासिल किया था। कुलदीप के मुताबिक इससे पहले न भारत को गोल्ड मिला था और न इसके बाद अब तक मिला है। मौका था चिन्ड्रन ऑफ एशिया प्रतियोगिता का। खेलों में भारत के निखरते स्वरुप से कुलदीप सिंह प्रसन्न है और उन्होने अपनी प्रसन्नता इस प्रतिनिधि से बातचीत में जाहिर भी की। इस मौके पर जिला बॉस्केटबॉल संघ के सचिव अतुल लुम्बा भी मौजूद थे।
सरकार गंभीर, पालक हुए जागरुक
श्री सिंह का कहना है कि खेलों को लेकर पहले की अपेक्षा पालक जहां जागरुक हुए है तो सरकार भी गंभीर हुई है। पालक जहां अपने बच्चों को लेकर खुद मैदान पहुँच रहे है तो सरकार भी उन्हे तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। खेलों इंडिया जैसे कार्यक्रमों से खेलों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। यहीं कारण है कि हर खेल में भारत के खिलाडिय़ों का दबदबा बढ़ रहा है। इतना की, विदेशी भी इससे आकर्षित हो रहे है और हमारी प्रतिभाओं में अपने देश का खेल भविष्य खोज रहे है। श्री सिंह ने कहा कि महानगरों के बजाए छोटे शहर की प्रतिभाएं अधिक सामने आ रहीं है। कारण उनमें सीखने की ललक ज्यादा होती है।
विद्यालयों को निभाना होगी जिम्मेदारी
श्री सिंह का मानना है कि हम खेल में और बेहतर कर सकते है, किन्तु इसके लिए विद्यालयों को भी अपनी जिम्मेदारी निभाना होगी। पालक जागरुक हुए है, सरकार गंभीर है पर विद्यालय उतने सक्रिय नहीं हुए है, जितने होने चाहिए। अगर विद्यालय में भी खेलों को प्रोत्साहन मिलने लगे तो बात ही कुछ और होगी। श्री सिंह ने खेलों में क्रिकेट के बढ़े वर्चस्व को लेकर कहा कि क्रिकेट का अपना स्थान है, उसमें पैसा और आकर्षण है, जो अब अन्य खेलों में भी होने लगा है। अगर वाकई हमें सभी खेलों में कुछ बेहतर करना है तो सुविधाए, प्रोत्साहन के साथ उनके मापदंडों का पालन करना भी जरुरी है। खेलों में राजनीति को लेकर कुलदीप ने कहा कि राजनीति का जितना दखल अन्य क्षेत्रों में है, उतना खेलों में भी है, इससे वह इन्कार नहीं करते है, किन्तु खिलाड़ी को निराश नहीं होना चाहिए।
Naveen Savita
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