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प्रधानमंत्री रोज एक घंटा योग कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं : एच आर नागेंद्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के योग गुरु डॉ. एच आर नागेंद्र से वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सरदाना की विशेष बातचीत

प्रधानमंत्री रोज एक घंटा योग कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं : एच आर नागेंद्र
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योग यूं तो पुरातन काल से चला आ रहा है। लेकिन जब सन् 2014 में नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनकर देश की बागडोर संभाली तो उन्होंने योग के महत्व को विश्व को समझाया। क्योंकि मोदी स्वयं योग करते हैं। इसलिए वह जानते थे कि स्वस्थ भारत ही नहीं स्वस्थ विश्व के लिए योग एक बड़ा माध्यम बन सकता है। योग और योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने को लेकर पीएम मोदी ने अपने विचार,जब सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र में रखे तो पूरा विश्व उनकी बात पर सहमत हो गया। इसके बाद 21 जून से पूरा विश्व बड़े उत्साह के साथ योग दिवस मना रहा है। इस बार भी 21 जून को समस्त संसार 9 वां विश्व योग दिवस मनाने की तैयारियों में ज़ोर शोर से जुटा है। विश्व योग दिवस की थीम इस बार 'वसुधैव कुटुंबकम के लिए योगÓ, 'एक धरती, एक परिवार, एक भविष्यÓ है। इस अवसर पर हमने सुप्रसिद्ध योगाचार्य डॉ. एच आर नागेंद्र से विशेष बात की। जो बरसों से योग साधना और अनुसंधान में सक्रिय होने के साथ, विश्व में योग के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हैं। बेंगलुरु के 'स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थानÓ के वह संस्थापक और कुलपति हैं। साथ ही पीएम मोदी के वह योग गुरु भी हैं। योग को विश्व दिवस के रूप में मनाने का परामर्श भी मुख्यत: उन्होंने ही पीएम को दिया था।

आप प्रथम विश्व योग दिवस से ही पीएम मोदी के साथ सक्रिय हैं। इस बार आप योग दिवस पर कहाँ अपने कार्यक्रम रख रहे हैं ?

ठ्ठ जब 9 साल पहले योग दिवस शुरू हुआ तो पहले तीन साल मैं पीएम के साथ रहा। उसके बाद मुझे पीएम ने कहा अब आप इस दिन विदेशों में रहकर योग को बढ़ावा दीजिये। तब चौथे वर्ष मैं संयुक्त राष्ट्र संघ में गया। फिर ब्रिटिश संसद में उसके बाद जापान,कनाडा और सिंगापुर। इस बार मैं योग दिवस पर तीन देशों के दौर पर हूँ। जिसमें 21 जून को रियाद में हूँ तो 23 जून को मस्कट में। इससे पहले एक दिन 18 जून को बहरीन में था। जबकि प्रधानमंत्री मोदी इस बार 21 जून को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित योग दिवस समारोह की अगुवाई करेंगे।

हर बार योग दिवस पर किसी रोग को केंद्र में रखकर योग दिवस मनाया जा रहा है। इस बार योग से किस रोग को कम करने का लक्ष्य रखा है ?

इस बार हाइपरटेंशन को केंद्र में रखा गया है। इससे पहले मधुमेह था। जिसमें हमने बताया था कि हम किस प्रकार योग से मधुमेह कम कर सकते हैं, ठीक कर सकते हैं। हालांकि हम इस बार कैंसर पर रखना चाहते थे लेकिन पीएम ने कहा हाइपरटेंशन रखिए। क्योंकि यह बहुत घातक और जानलेवा होता जा रहा है। इसलिए योग के माध्यम से इससे लोग किस तरह स्वस्थ रह सकें यह होना चाहिए। तब हमने इस पर अनुसंधान शुरू कर दिया। कोरोना काल में भी हमने योग से कोरोना दूर करने का अभियान रखा था।

इस विश्व योग दिवस पर और कुछ क्या खास रहेगा ?

हम इस बार विश्व योग दिवस के अपने इस अनुसंधान और कार्यक्रम में हम दिल्ली, भोपाल, जोधपुर, ऋषिकेश के एम्स अस्पताल को भी जोड़ रहे हैं। यूजीसी भी इस अभियान में साथ आया है। पिछली बार हमने योग दिवस पर लक्ष्य रखा था कि सिर्फ भारत में 20 करोड़ लोग योग करें। जिसमें 19 करोड़ लोगों के लक्ष्य तक हम पहुंचे। इस बार का लक्ष्य भारत के लिए 25 करोड़ रखा गया है। इस अभियान में आयुष मंत्रालय बहुत तेजी और बहुत अच्छे से काम कर रहा है।

योग दिवस पर देश-विदेश के अधिक से अधिक लोग जुड़ सकें और 25 करोड़ का लक्ष्य पूरा हो सके,आप पहले से क्या तैयारी करते हैं?

मैं आपको बताना चाहूँगा कि पीएम योग को लेकर आरंभ से ही बहुत गंभीर हैं। इस बार उन्होंने हमको कहा ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें इसके लिए 100 दिन पहले ही तैयारी शुरू कीजिये। एक महीना पहले जगह जगह योग के कार्यक्रम रखिए। इसलिए आयुष मंत्रालय ने इसके लिए एक महीना पहले ही कार्यक्रम शुरू कर दिये थे। जिसके तहत हमने दिल्ली के तालकटोरा में एक योग कार्यक्रम रखा। जिसमें 5 हज़ार लोग आए। फिर डिब्रूगढ़ में रखा, हैदराबाद में रखा। फिर दिल्ली एम्स में भी रखा। बंगलुरु, कोलार्क मेडिकल कॉलेज में रखा। इससे देश भर में योग के प्रति एक अलग ही उत्साह साफ देखा जा सकता है। उधर विश्व में योग दिवस को बढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय भी आगे आ रहा है।

इन 9 बरसों में योग को लेकर आप देश दुनिया में क्या परिवर्तन देखते हैं?

इन पिछले 9 बरसों में देश दुनिया में योग को लेकर बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। इसका बड़ा श्रेय मोदी जी को ही जाता है। एक सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपने भाषण से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इसके बाद 11 सितंबर 2014 को अमेरिका में ही एक और नरेन्द्र ने संयुक्त राष्ट्र में योग पर बोलकर एक बार फिर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी लोग विश्व योग दिवस मनाने के लिए तभी एक मत सहमत हो गए। देश भर में योग को लेकर लोगों की बढ़ती दिलचस्पी हर कोई देख सकता है। यहाँ तक अमेरिका में भी वीएवाईयू (वायु) नाम से योग विश्वविद्यालय बन गया है। जापान में योग कॉलेज बन गया है। दक्षिण कोरिया में भी भारत के साथ मिलकर काफी काम हो रहा है। उधर चीन जैसा देश भी भारत के इस योग अभियान में आगे आ रहा है।

आप मोदी जी के योग गुरु रहे हैं। मोदी जी को आपने पहली बार योग शिक्षा कब और कहाँ दी ?

मोदी जी 1983 में पहली बार हमारे बेंगलुरु केंद्र में आए थे। उन्होंने यहाँ योग देखा तो वह बहुत प्रभावित हुए। दूसरा वह भी स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते हैं और मैं भी। इसलिए तभी से हम दोनों का गठजोड़ हो गया। मोदी जी योग के महत्व को बहुत अच्छे से समझते हैं। स्वस्थ भारत के लिए योग बहुत जरूरी है। कितने ही लोगों की देर रात जागने और सुबह देर से उठने की आदत और गलत खान पान से स्वास्थ पर बहुत बुरा असर हो रहा है। लोग कहते हैं व्यस्तता के कारण हमको योग के लिए समय नहीं मिलता। ऐसे सभी लोगों को मोदी जी से सीख लेनी चाहिए। कोई कितना भी व्यस्त क्यों ना हो देश के पीएम से ज्यादा तो व्यस्त नहीं हो सकता। मोदी जी हर सुबह रोज एक से दो घंटे का योग करते हैं। जब वह इतनी व्यस्तताओं के बावजूद इतना समय योग को दे सकते हैं तो आप और हम क्यों नहीं।

पीएम मोदी ने खेल मंत्रालय से जुड़कर योग को खेल प्रतियोगिता से जोड़ने का जो अभियान बनाया था वह किस स्थिति में है ?

योग को खेल प्रतियोगिता से जुडने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे अब बच्चा बच्चा योग में दिलचस्पी लेने लगेगा। जिस तरह खेलों में कबड्डी आदि प्रतियोगिता का हिस्सा हैं, उसी तरह अब योग को प्रतियोगिता का हिस्सा बनाया गया है। इसके लिए 'नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशनÓ का गठन हो चुका है। इससे योग को पहले राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं से जोड़ा जा रहा है और फिर एशियाई खेलों से। हमारा उद्देशय है कि 2032 के ओलंपिक खेलों में योग भी एक प्रतियोगिता बने। इसके लिए 'वर्ल्ड योगा कपÓ का आयोजन भी किया जाएगा। इसके लिए दिसंबर में दिल्ली या अहमदाबाद में इसका आयोजन होगा। एशिया के लिए दुबई में भी आयोजन होगा। फिर अफ्रीका और अमेरिका में भी, योग कॉन्फ्रेंस और योग प्रतियोगिता होंगी। आने वाले 10 बरसों में तो योग शिखर पर होगा।

आप बेंगलुरु के निकट अपने संस्थान में योग से रोग के उपचार के लिए क्या क्या कर रहे हैं ?

हमारे यहाँ प्रशान्ती कुटीरम में योग को लेकर बहुत कुछ हो रहा है। हमने इसके लिए 600 बिस्तर का एक बड़ा केंद्र बनाया है। जहां योग के साथ, नेचुरल पैथी, फिजियोथेरपी, एक्यूप्रेशर और आयुर्वेद की व्यवस्था है। इन सभी के माध्यम से हम रोगियों के बड़े से बड़ा रोग ठीक करके उन्हें स्वस्थ करते हैं। कई बार ऐसा हुआ है कि रोगी स्ट्रेचर पर आते हैं और 20-25 दिन बाद स्वस्थ होकर खुद चलकर वापस जाते हैं। उधर हमने दिल्ली, कोलकाता सहित देश में अपने 300 केंद्र भारत में बनाए हैं। जबकि विश्व में हम 80 देशों में ऐसे केंद्र बनाने पर काम कर रहे हैं। मैं सभी को कहूँगा वे कहीं भी रहें योग रोज करें। मन की शांति और स्वस्थ शरीर के लिए योग ही एक मात्र उपाय है। इसी संदेश को जन जन तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है।

Updated : 19 Jun 2023 8:04 PM GMT
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City Desk

Web Journalist www.swadeshnews.in


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