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फिल्में ऐसी हों जो दिशा दिखाएं: आनंद डी. घटराज

भोजपुरी फिल्मों के निर्माता से विशेष साक्षात्कार

फिल्में ऐसी हों जो दिशा दिखाएं:  आनंद डी. घटराज
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भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक आनंद डी. घटराज उन फिल्मकारों से में एक हैं जिन्होंने भोजपुरी फिल्मों का सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किया है। श्री घटराज स्वदेश को दिए साक्षात्कार में बताते हैं कि हम ऐसी फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं, जो भारतीय वातावरण से युक्त हो। युवाओं के लिए एक सकारात्मक और सार्थक दिशा का बोध हो। इसलिए वर्तमान में फिल्म निर्माण में लगी संस्थाएं भारत में ही अपनी फिल्मों का निर्माण कर रही हैं। वे अब विदेशी लोकेशन की बजाय देशी धरातल दिखाना चाह रहे हैं। वे कहते हैं कि सुंदरता के मामले में भारत के कई स्थान बहुत ही प्राकृतिक हैं, रमणीय हैं।

प्रश्न : कहा जाता है कि फिल्मों से देश की युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है, इसमें कितनी सच्चाई है?

उत्तर : ये सच है कि फिल्मों का असर युवा मनों पर सबसे ज्यादा पड़ता है, लेकिन युवा कितने भ्रमित और कितने उत्साहित होते हैं, ये तो उनके ऊपर निर्भर करता है। हां लेकिन हर एक फिल्म निर्माता को प्रयास यह करना चाहिए वह युवाओं को अच्छी फिल्में बनाकर प्रोत्साहित करें। हमारी भी यही कोशिश रहती है।

प्रश्न : आजकल भोजपुरी फिल्में हिंदी फिल्मों से भी अधिक चर्चित हो रही हैं। इसका क्या कारण है?

उत्तर : जी हां भोजपुरी फिल्में आजकल ज्यादा चर्चित हैं। इसके दो मुख्य कारण हैं। एक भोजपुरी फिल्मों का दर्शक हिन्दी फिल्मों के बाद भारत वर्ष में सबसे ज्यादा है और दूसरा यहां अच्छे फिल्म निर्माता फिल्में बना रहे हैं। यही कारण है कि भोजपुरी फिल्मों की चर्चा ज्यादा होती है।

प्रश्न : आपको जो पुरस्कार मिला है, उसे आप किस प्रकार से देखते हैं?

उत्तर : देखिए स्कूल में जब हम दौड़ लगाते हैं और हमें कोई भी पुरस्कार मिलता था तो उत्साहित होते थे और हौसला भी बढ़ता था। इसके बाद हम और ज्यादा परिश्रम करना प्रारंभ करते थे। उसी तरह एक फिल्म निर्माता को अगर देश के राष्ट्रपति के हाथों उनकी फिल्म के लिए पुरस्कार मिलता है तो वह भाषा और फिल्म उद्योग के लिए बहुत ही गौरव की बात है। इस कारण से हम आगे और कोशिश करते हैं कि और अच्छी फिल्मों का निर्माण हो।

प्रश्न : भोजपुरी फिल्मों का प्रभाव भारत के सभी क्षेत्रों में है, इसका व्यापक प्रभाव वाला क्षेत्र कौन सा है?

उत्तर: वैसे तो भारत में सभी जगह भोजपुरी भाषा है, लेकिन इसका व्यापक प्रभाव बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, मुंबई, बंगाल, पंजाब और नेपाल आदि स्थानों पर ज्यादा है। इसलिए बहुत बड़े क्षेत्र में भोजपुरी फिल्में पसंद की जाती हैं।

प्रश्न : आप हिंदी फिल्म निर्माण में भी सक्रिय हैं। आप समाज के लिए किस प्रकार की फिल्मों का निर्माण चाहते हैं?

उत्तर : जी, अब हम हिन्दी फिल्मों के निर्माण में भी सक्रिय हैं। हम एक बायोपिक का निर्माण भी करने जा रहे हैं। जो एक वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है। जैसे एक किसान अपने खेतों से दूर होता जा रहा है, लेकिन सभी किसान बाहर जाकर सफल नहीं हो पा रहे। हमारे देश में किसान और अन्नदाता का क्या महत्व है। इसलिए कृषि कार्य भारत वर्ष का बहुत बड़ा रोजगार है, इस धारणा को बनाए रखने के लिए हमने इस फिल्म में एक किसान नेता के बारे में यह बताने का प्रयास किया है कि वह मजदूरों के लिए कितना समर्पित रहता है। यह फिल्म देश से जुड़ी होगी।

प्रश्न : वर्तमान में फिल्मों के नाम अटपटे से लगते हैं, ऐसे नाम रखने के पीछे क्या उद्देश्य है?

उत्तर : सवाल सुनकर वह थोड़ा मुस्कराते हुए कहते हैं कि देखिए जैसा देश वैसा वेश। आजकल लोगों को अटपटी चीजों में दिलचस्पी हो गई हैं, लेकिन यह दौर ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगा।

प्रश्न : फिल्म में काम करने के लिए युवाओं को क्या तैयारी करना चाहिए?

उत्तर : मेरी युवाओं से यही दरख्वास्त है कि सोच अपनी खुद की होती है, इसे कोई छीन भी नहीं सकता। मेरी युवा वर्ग से यही प्रार्थना है कि वह फिल्मों के माध्यम से यही प्रयास करें कि हमारी संस्कृति कैसे विकसित हो। हमारी संस्कृति हमारी धरोहर है। इस विचार को विकसित करने के लिए लेखन और बोलने की कला को विकसित करें। प्रतिभा का सम्मान हर जगह होता है। यहां भी होगा।

प्रश्न : फिल्मों में एक संदेश छिपा होता है, आप अपनी फिल्मों से क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर : हम अपनी फिल्मों के माध्यम से पारिवारिक संबंधों को बहुत ज्यादा अहमियत देते हैं। देश प्रेम का भाव प्रकट हो, इस विचार को प्रवाहित करते हैं। ऐसा संदेश देने में हम सफल भी हो रहे हैं।

Updated : 15 Dec 2019 1:45 AM GMT
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