देश को खोखला करते आंदोलन
लेखिका वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार और द फाइनेंशियल एक्सप्रेस की पूर्व एसोसिएट एडिटर हैं
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- योगिता पाठक (लेखिका वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार और द फाइनेंशियल एक्सप्रेस की पूर्व एसोसिएट एडिटर हैं)
देश में विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन होना कोई नयी बात नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों में आये दिन किसी न किसी मुद्दे पर आंदोलन होते रहते हैं। इनमें से कई आंदोलन हिंसक भी हो जाते हैं, जिसमें आंदोलनकारी सार्वजनिक संपत्तियों के साथ ही निजी संपत्ति का भी काफी नुकसान करते हैं। आमतौर पर आंदोलनकारियों की हिंसा का सबसे अधिक नुकसान सार्वजनिक संपत्तियों पर ही पड़ता है। इसके अलावा आंदोलन के कारण बाजार भी ठप हो जाते हैं, जो अर्थव्यवस्था के तमाम कारकों को प्रभावित करते हैं। आमतौर पर ऐसे आंदोलन कुछ दिन सुर्खियों में रहते हैं और फिर लोग उन्हें भूल जाते हैं। लेकिन आपको ये जानकर हैरत होगी कि ऐसे आंदोलनों की वजह से देश को पिछले चार सालों के दौरान प्रति व्यक्ति सवा से डेढ़ लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।
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