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10 नवम्बर के दिन 1989 को अयोध्या में हुआ था राम मंदिर का शिलान्यास

महंत अवैद्यनाथ के सामने झुके थे तत्कालीन गृहमंंत्री बूटा सिंह व सीएम एनडी तिवारी

10 नवम्बर के दिन 1989 को अयोध्या में हुआ था राम मंदिर का शिलान्यास
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श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के इतिहास में नवम्बर माह का विशेष महत्व है। 10 नवम्बर 1989 को रामभक्तों की संकल्प शक्ति के सामने तत्कालीन केन्द्र व प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास करने की अनुमति दी थी। वह भी उस स्थान पर जिसे संतों ने तय किया था।

अयोध्या में 09 नवम्बर 1989 को लाखों कारसेवक जुटे थे। 10 हजार से अधिक रामभक्त प्राण देने के लिए संकल्पबद्ध थे। इससे परेशान प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये। लखनऊ से गोरखपुर फोन किया गया कि महंत अवैद्यनाथ से मुख्यमंत्री बात करना चाहते हैं। स्थिति गंभीर है। राजकीय विमान भेजा जा रहा है। उन्हें तत्काल लखनऊ लाने के लिए राजकीय विमान गोरखपुर भेजा गया। गोरखपुर के जिलाधिकारी महंत अवैद्यनाथ को लेकर विमान से चालीस मिनट में लखनऊ पहुंचे। हवाई अड्डे से सीधे उन्हें मुख्यमंत्री निवास पर ले जाया गया। वहां तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। वार्ता प्रारम्भ हुई। मुख्यमंत्री बोले महंत जी जिस स्थान पर आप शिलान्यास करने जा रहे हैं, उच्च न्यायालय ने उसे विवादित घोषित कर दिया है। वहां से हटकर आप किसी और स्थान पर अपना कार्यक्रम कर लें।

महंत जी ने कहा कि हमें यह निर्णय स्वीकार नहीं है। हमने 02 नवम्बर को जहां पर सोच विचार कर झंडा गाड़ा है, हम शिलान्यास वहीं करेंगे। वह प्रस्तावित मंदिर के सिंह द्वार का मध्य बिन्दु है। यदि आप शिलान्यास में बाधा डालेंगे तो हम सत्याग्रह करेंगे। सत्याग्रह करने की तैयारी के साथ रामभक्त अयोध्या पहुंचे हैं। महंत जी के दृढ़ निश्चय के आगे नारायण दत्त तिवारी हिल गये। बाद में राज्य की गृहमंत्री सुशीला रोहतगी पहुंची, किन्तु बात नहीं बनी।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली से संपर्क साधा और तत्कालीन गृहमंंत्री बूटा सिंह को बताया कि आप तुरन्त आएं क्योंकि महंत जी मान नहीं रहे हैं। बूटा सिंह तत्काल विमान से लखनऊ पहुंचे। महंत जी से वार्ता हुई कि चुनाव का समय है। स्थिति बिगड़ जायेगी। न्यायालय का निर्णय आपको मान लेना चाहिए। भूखण्ड संख्या 586 के बाहर आप अपना कार्यक्रम कर लें अन्यथा न्यायालय की अवमानना होगी।

महंत अवैद्यनाथ ने कहा कि आज की स्थिति के लिए आप और आपकी सरकार दोषी है। शिलान्यास कार्यक्रम की घोषणा हमने चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं की है। आपने चुनाव की घोषणा कर शिलान्यास कार्यक्रम को चुनाव के बीच फंसा दिया। आप राम मंदिर बनाने के लिए हिन्दुओं को तो रोकते हैं लेकिन अब्दुल्ला बुखारी और दूसरे मुस्लिम नेताओं के पास जाकर उनकी खुशामद करते हैं।

महंत जी ने कहा कि यह राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न है इसलिए हम शिलान्यास नियत स्थान पर ही करेंगे। यदि आप न्यायालय की अवमानना का प्रश्न उठाकर हमें डराना चाहते हैं तो हम डरने वाले नहीं हैं। आप यहीं पर हमें गिरफ्तार कर लें या फिर अयोध्या जाकर न्यायालय की अवमानना करके हमें गिरफ्तारी देने दें। शिलान्यास तो होगा और 09 नवम्बर को ही होगा।

गृहमंत्री बूटा सिंह लाचार हो गये। उन्होंने मुख्यमंत्री, राज्य के गृहमंत्री, राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक गुप्तचर विभाग, केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सचिव और राज्य के महाधिवक्ता से विचार विमर्श किया। जन्मभूमि का मानचित्र मंगाया गया। नाप-जोख का नाटक किया गया। महाधिवक्ता ने केन्द्रीय गृहमंत्री बूटा सिंह, मुख्य मंत्री नारायण दत्त तिवारी के सामने बताया कि महंत जी नाप-जोख में गलती हुई थी। जिस स्थान पर आप शिलान्यास करने वाले हैं वह स्थान विवादित भूखण्ड संख्या 586 की सीमा के बाहर है। आप वहां शिलान्यास कर सकते हैं।

महंत जी ने कहा कि आप जिन भूखण्डों को विवादित मान रहे हैं। हम उन्हें भी विवादित नहीं मानते। वहां के सभी भूखण्ड श्रीराम जन्मस्थान के हैं। यह हमारा संकल्प है। महंत जी राजकीय विमान से अयोध्या आये। लखनऊ से अयोध्या के प्रशासन को सूचना मिली कि शिलान्यास हेतु निश्चित किया गया स्थान विवादित सीमा के बाहर है। शिलान्यास होने दो। अयोध्या में व्याप्त तनाव समाप्त हो गया। अयोध्या में जय श्रीराम का स्वर गूंज उठा। साधु संतों के नेतृत्व में हरिजन बंधु कामेश्वर चौपाल के हाथों मंदिर के शिलान्यास की पहली ईंट रखवाई गयी। संघ के तत्कालीन सर कार्यवाह हो.वे.शेषाद्रि, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और अशोक सिंहल की उपस्थिति में शिलान्यास संपन्न हुआ।

Updated : 11 Nov 2018 7:44 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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