बेटों ने पूरा किया मां के नेत्रदान का संकल्प, दो लोगों को मिली नेत्र ज्योति
30 नवम्बर को सुभद्रा देवी का हुआ था निधन
खैर। जीते जी रक्तदान तथा मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लेने वाली 60 वर्षीय सुभद्रा देवी की आंखों ने दो लोगों के जीवन में नई रोशनी भर दी है। खैर के मोहल्ला उपाध्याय निवासी सुभद्रा देवी ने मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लिया था। जिनकी मृत्यु उपरांत उनके बेटों रामू व घूरे ने उनके इस संकल्प को पूरा किया।
नगर पालिका के सभासद ठाकुरदास ने बताया कि सुभद्रा देवी जनहित के कार्य में हमेशा सक्रिय रहती थीं। मृत्यु से 6 माह पूर्व वृंदावन के एक हास्पीटल में आंखों का ऑपरेशन कराते समय अपनी मर्जी से उन्होंने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था, ताकि उनकी आखों से दूसरों के जीवन का अंधेरा दूर किया जा सके। 30 नवम्बर का उनका निधन हो गया था। बेटों ने मां की इच्छा के अनुरूप उनकी आंखें दान करने का निर्णय लिया। परिजनों की सूचना पर देहदान कर्तव्य संस्था के अध्यक्ष डा0 एसके गौड ने डा0 श्राफ आई केयर सेन्टर वृंदावन को अवगत कराया। नेत्र चिकित्सकों की टीम ने 30 नवम्बर की देर सांय मृतका के घर आकर सफलता पूर्वक नेत्रदान के कार्य को पूर्ण करते हुए दोनों नेत्रों की पुतली को निकाल कर सुरक्षित किया। परिजनों की सार्थक पहल के बाद दान किए नेत्रों से दो नेत्रहीनों को नेत्र ज्योति मिल सकेगी। नेत्र दान की अनुकरणीय पहल खैर में चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ लोग इस बात से प्रेरणा लेकर मृत्यु उपरांत नेत्रदान का मन बना रहे हैं। सोमवार को खैर चेयरमैन संजय शर्मा ने वृंदावन से आए प्रमाण पत्र को मृतका सुभद्रादेवी के पुत्रों रामू व घूरे तथा पुत्री लक्ष्मी को सोंपा तथा उनके सराहनीय कदम की तारीफ करते हुए हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया।
Swadesh Khair
Reporter - Rajeev Gautam