भूमि की राह पर चलकर सोनाक्षी सिन्हा दिखेंगी खानदानी शफाखाना में
मीडिया में आधी अधूरी जानकारी और खानदानी शफाखाना का हालिया टीजर फिल्म को लेकर मोटी मोटी बात बताता है।
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- विवेक पाठक
दबंग में रज्जो के किरदार से करियर की शुरुआत करने वाली सोनाक्षी सिन्हा नए अवतार मेंं हैं। वे अपने दम पर फिल्म चलाकर ले जाने का जज्बा लिए आ रही हैं। जुलाई माह में हम खानदानी शफाखाना में उनकी केन्द्रीय भूमिका देखेंगे। गुप्त रोगों पर यह कॉमेडी फिल्म अलग जोनर की फिल्म है। सोनाक्षी इस फिल्म के जरिए सफलता का आयुष्माना खुराना वाला फिल्मी ट्रेंड पकड़ने जा रही हैं।
मीडिया में आधी अधूरी जानकारी और खानदानी शफाखाना का हालिया टीजर फिल्म को लेकर मोटी मोटी बात बताता है। फिल्म बेबी नाम की उस लड़की की कहानी है जिसके चाचा पुराने नीम हकीम दवासाज हैं जो गुप्त रोगों से संबंधित अपना खानदानी दवाखान चलाते हैं। चाचा के मरने के बाद बेबी उस दवाखाने की जमीन को बेचना चाहती है मगर यह काम करने से पहले उसे 6 माह तक चाचा का पुराना दवाखाना चलाना होगा बस सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म की कहानी उन 6 महीनों की कहानी पर केन्द्रित है। एक महिला किरदार द्वारा पुरुषों के गुप्त रोगों पर आधारित दवाखाने चलाने को लेकर लिखी यह अजब पटकथा है। फिल्म को कॉमेडी जोनर में बनाया गया है। निर्देशक और सोनाक्षी के समक्ष चुनौती रहेगी कि वे छिपे रहने वाले विषय पर कैसे सबके देखने लायक फिल्म बनाएं। आगे फिल्म के संवाद और स्क्रीन प्ले ही तय करेंगे फिल्म बनाने वाले की असल नीयत क्या रही।
खानदानी शफाखाना जैसी फिल्म पिछले कुछ समय से मुंबई सिनेमा में निरंतर बन रही हैं। आयुष्मान खुराना की विक्की डोनर इस लाइन की फिल्मों में सबसे चर्चित रही। निसंतानता विषय पर बेबाकी से बात करती यह फिल्म कॉमेडी के साथ समाज की एक बड़ी समस्या पर खुलकर बात करती दिखी। इस फिल्म ने ही मुंबई सिनेमा में अलग जोनर वाले नायकों का नया स्टारडम खड़ा किया। अब तक जो बॉलीवुड दशकों से सलमान आमिर और शाहरुख में नायकत्व देखता आया है वो आयुष्मान खुराना जैसे नए कलाकारों को अपना नायक मानने लगा। आयुष्मान की इसके बाद हर दूसरी फिल्म संकोचों पर खुलकर बतियाने वाली फिल्म रही। बधाई हो वे प्रौढ़ अवस्था में गर्भवती मां के जवान बेटे की भूमिका में दिखे तो शुभ मंगल सावधान में उनका किरदार पुरुष कमजोरी के कारण परिवार और समाज से सामना करने वाला रहा। अक्षय कुमार ने भी पैडमैन फिल्म में माहवारी को लेकर भारतीय समाज की भ्रांतियों व मौन पर कड़ा प्रहार किया। फिल्म में माहवारी को लेकर इतनी खुलकर बात की गई कि कम से कम इस जैविक व्यवस्था के कारण शर्मिन्दा और अपमानित होने वाली करोड़ों महिलाओं का बहुत कुछ आत्मबल तो बढ़ा ही होगा। वे माहवारी को अभिशाप न मानकर इसे नारीत्व का गुण मानेंगी और माहवारी में अपनी स्वास्थ्य जरुरतों को लेकर खुलकर बात करेंगी। अक्षय ने पैडमैन से पहले टॉयलेट एक प्रेमकथा में शौचालय की अहमियत प्रेम करते हुए दिखाई थी। अपनी शिक्षित पत्नी को वापस घर लाने एक युवक कैसे खुले में शौच की मानसिकता वाले समाज से लड़ता है फिल्म में हमने देखा। आजकल राजकुमार राव भी इसी जोनर के खांटी कलाकार बनते दिख रहे हैं। उनका स्टारडम कल्पनालोक वाले नायकों जैसा नहीं है। वे सिनेमा के ऐसे नायक बनते हैं जो हमें अपने आसपास पड़ोस मोहल्ले और कस्बे में नजर आते हैं।
अभिनेत्रियों में इस जोनर में भूमि पेंडारकर ने अपना एकछत्र राज बनाए रखा है। उनकी हर फिल्म समाज की चुप्पी को तोड़ते नजर आती है। सोनाक्षी भी इसी राह पर चलते हुए खानदानी शफाखाने में दिखने जा रही हैं। फिल्म गुप्तरोगों की क्लीनिक और उसमें महिला संचालिका की कहानी कहती है। इस कहानी में कॉमेडी और बेहतर अदाकारी का सबको इंतजार है मगर फूहड़ और गै्रंड मस्ती सरीखी हद दर्जे की अश्लील कॉमेडी सोनाक्षी के तमाम प्रशंसक कतई नहीं चाहेंगे। वे युवा और इस दौर की प्रतिभावान अदाकारा हैं। दबंग में सलमान के स्टारडम में नजर में आयीं थीं । बीच में दूसरे नायकों के साथ सन ऑफ सरदार, शकीरा आदि में पसंद की गईं मगर अब बारी उनकी है। देखते हैं अपने दम पर फिल्म चलाने में वे कितनी बाजी मारती हैं। फिलहाल तो सोनाक्षी सिन्हा का हक बनता है कि उन्हें इस फिल्म का नया चैलेंज लेने के लिए बहुत शुभकामनाएं।
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