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1 साल में दुगने हुए सरसों के तेल के दाम, ये हैं कारण...

1 साल में दुगने हुए सरसों के तेल के दाम, ये हैं कारण...
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नईदिल्ली। भारतीय उपभोक्ताओं को तेल की कीमत ने पिछले एक साल के दौरान लगातार परेशान किया है। डीजल और पेट्रोल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में तो लगातार बढ़ोतरी हो ही रही है, खाद्य तेलों ने भी जबरदस्त छलांग लगाकर सामान्य उपभोक्ताओं का कचूमर निकाल दिया है। पिछले 1 साल में सरसों के तेल कीमत लगभग दोगुनी हो गई है। इस कारण देश की कुल आबादी के एक बड़े हिस्से को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार पिछले साल मई के दूसरे पखवाड़े में सरसों तेल की कीमत लगभग 90 रुपये प्रति लीटर थी। जो अब बढ़कर 170 से लेकर 186 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है। कुछ ब्रांड में तो सरसों तेल की खुदरा कीमत 206 रुपये प्रति लीटर तक हो गई है।केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इस सीजन में सरसों का रिकॉर्ड 104.27 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया है। देश में सरसों तेल की लगातार बढ़ रही मांग और इसकी कम उपलब्धता को देखते हुए पिछले कई सालों से सरसों और सरसों तेल के निर्यात पर अघोषित रोक लगी हुई है।

ऐसे हुआ महंगा -

पिछले रबी सीजन के दौरान भी देश में सरसों की बंपर पैदावार हुई थी। बड़ी बात ये भी है कि अधिकांश जगहों पर किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक कीमत पर सरसों की बिक्री की थी। सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 46.5 रुपये प्रति किलो है, जबकि देश में ज्यादातर जगहों पर थोक बाजार में इसे 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल यानी 50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा गया।

सरसों की आवक में कमी -

जानकारों का कहना है कि देश में कोरोना संक्रमण के कारण थोक बाजार में सरसों की आवक में लगातार कमी आई है। इसके साथ ही सरसों तेल के नेचुरल एंटीबायोटिक होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी खपत भी कोरोना काल के दौरान पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ गई है। इसकी वजह से थोक बाजार में सरसों की किल्लत होने लगी है और सरसों तेल लगातार महंगा होता जा रहा है।

आयात पर निर्भर -

खाद्य तेल के क्षेत्र में अपनी जरूरत पूरी करने के लिए भारत काफी हद तक आयात पर निर्भर करता है। अपने देश में बड़ी मात्रा में पाम, राइस ब्रान और सनफ्लावर ऑयल का आयात किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल और सनफ्लावर ऑयल में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। राइस ब्रान ऑयल अपनी महंगाई के कारण पहले ही आम उपभोक्ताओं की पहुंच से दूर है। सूरजमुखी का उत्पादन करने वाले देशों में मौसम की मार के कारण सूरजमुखी की फसल खराब होने से इसके तेल की कीमत में लगातार तेजी बनी हुई है।

सरसों तेल की मांग बढ़ी -

इन तेलों की कीमत में तेजी आने के कारण भी सरसों तेल की मांग पहले से काफी बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि आवक घटने, मांग बढ़ने और वैश्विक कीमत में बढ़ोतरी होने की वजह से ही सरसों तेल समेत सभी खाद्य तेलों में पिछले एक साल के दौरान लगभग दोगुनी की तेजी आ गई है। बाजार के जानकारों का ये भी कहना है कि खाद्य तेलों की कीमत में तत्काल राहत मिलने की संभावना भी नजर नहीं आ रही है।

Updated : 12 Oct 2021 10:40 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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