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मुन्नासिंह के चुनाव मैदान में आन से अटेर में त्रिकोणीय मुकाबला

कांग्रेस व भाजपा के वोट बैंक में सेंध से दोनों की हवा खराब

मुन्नासिंह के चुनाव मैदान में आन से अटेर में त्रिकोणीय मुकाबला
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भिण्ड। विधानसभा चुनाव में इस बार ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बड़े राजनीतिक दल अधिकांश सीटों पर अपनों की बगावत से जूझ रहे हैं। कहीं बागी नेता खुलकर मैदान में हैं तो कहीं भीतरघात पर उतारू हैं। भिण्ड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर भाजपा में खुलकर बगावत है। यहां से भाजपा के दो बार के विधायक जमीनी नेता मुन्नासिंह भदौरिया समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होकर कांग्रेस और भाजपा दोनों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

सपा प्रत्याशी मुन्नासिंह भदौरिया की वजह से जहां भाजपा व कांग्रेस दोनों की ही हवा खराब है वहीं क्षेत्र में नहीं रहने और फोन रिसीव नहीं करने को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी का साइलेंट विरोध भी है। अब तक भाजपा प्रत्याशी के विरोध को जो फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा था वह भी सपा उम्मीदवार मुन्नासिंह भदौरिया के मैदान में आने से कम हुआ है। सपा प्रत्याशी मुन्नासिंह भाजपा व कांग्रेस दोनों के ही वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। वर्तमान में अटेर की स्थिति यह है कि न्यूटल मतदाताओं का झुकाव मुन्नासिंह भदौरिया की तरफ है। साथ ही भाजपा व कांग्रेस के नाराज कार्यकर्ता भी मुन्नासिंह के साथ खड़े दिख रहे हैं। जिससे अटेर में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनती दिख रही है।

अटेर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया को मैदान में उतारा है। उन्होंने 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे को पराजित किया था। अटेर से 1990 में भाजपा के मुन्नासिंह भदौरिया भारी मतों से चुनाव जीते थे। इसके बाद वह 1998 में भी विधायक रहे लेकिन 2008 में भाजपा ने उनका टिकट काटकर अरविंद सिंह भदौरिया को उम्मीदवार बना दिया था। तब वरिष्ठ नेताओं ने संगठन निष्ठा का वास्ता देकर मुन्नासिंह को मना लिया था तभी से लगातार अरविंद सिंह भाजपा के टिकट पर चार चुनाव लड़ चुके हैं और 2023 में वह पांचवीं बार उम्मीदवार हैं। अपनी बारी का बीस साल तक इंतजार करने के बाद अब मुन्नासिंह भदौरिया सपा से चुनाव मैदान में कूद गए हैं।

कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंदी रहे हेमंत कटारे को चुनाव मैदान में उतारा है। हेमंत नेता प्रतिपक्ष रहे स्व. सत्यदेव कटारे के सुपुत्र हैं जो 2017 के उप चुनाव में पहली बार विधायक चुने गए थे लेकिन 2018 का चुनाव वे हार गए थे जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। हेमंत 2020 में मेहगांव उप चुनाव भी हार चुके हैं। वर्तमान में हेमंत कटारे स्वयं के प्रभाव से कहीं ज्यादा अरविंद सिंह के विरोध के चलते जीत को लेकर चर्चा में हैं लेकिन मुन्नासिंह भदौरिया के चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा व कांग्रेस दोनों बराबर नुकसान की स्थिति में हैं। जिससे अटेर में त्रिकोणिय मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं। मुन्नासिंह भदौरिया के साथ कुछ प्लस पॉइंट भी हैं। वे पूरे समय क्षेत्र में जनता के बीच रहते हैं। उनकी क्षत्रिय समाज के अलावा ब्राह्मणों सहित अन्य पिछड़ा, अनुसूचित जाति वर्ग में भी अच्छी पकड़ बताई जाती है। हालांकि उनकी संपर्क पूंजी की मुट्ठी अभी बंद है।

Updated : 9 Nov 2023 9:05 PM GMT
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City Desk

Web Journalist www.swadeshnews.in


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