Home > Archived > कर्मचारी व भाड़े के लोग बैंकों से बदल रहे हैं नोट

कर्मचारी व भाड़े के लोग बैंकों से बदल रहे हैं नोट

नोट बंदी मामले में काले धन के चक्कर से परेशान हुए आमजन

मथुरा। नोट बंदी से उत्पन्न हालात से निपटने के लिए धनाढय़ परिवारों द्वारा अपनाई गई नीति जन सामान्य के लिए सिर दर्द साबित हो रही है।

पिछले मंगलवार की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा काले धन व जारी नोटों पर अंकुश लगाये जाने की गरज से उठाये गये नोट बंदी के कदम का आमतौर पर स्वागत हो रहा है लेकिन आम लोगों को इस निर्णय से भारी परेशानी भी हो रही है। इसका कारण सरकार का फैसला नही बल्कि बड़े बने उद्योगपति, व्यापारी व धनाढय़ वर्ग के लोगों द्वारा नोट बदलवाने के लिए अपनाई गई नीति है। सम्पन्न लोगों ने अपने यहॉ काम करने वाले कर्मचारी, ड्राईवर, ठेकदारों ने लेकर तथा अन्य गरीब लोगों को अपने-अपने पहचान पत्र लेकर बैंको में नित्य प्रति भेजा जा रहा है। इससे इन लोगों को जहॉ आर्थिक तंगी का सामना नही करना पड़ रहा है। वहीं हजारों लोगों को इससे रोजगार भी मिल रहा है। तमाम बेरोजगार सौ से तीन सौ रूपये तक बैकों से अदल-बदलकर नोट बंदी कराने में जुटे हुए है। यही वजह है कि लोगों को बैंक में भीड़ का सामना करना पड़ रहा है।

दूसरी बड़ी समस्या अब तक पॉच सौ रूपये के नये नोट बैकों में पर्याप्त मात्रा में ना पहुॅचना है। इस कारण भी लोगों को लेन देन में समस्या आ रही है। यही नहीं यह भी शिकायत है कि सरकार द्वारा निर्धारित धनराशि सिर्फ प्रभावशाली व रसूख वाले लोगों को ही बैक से मिल पा रही है। सामान्य को कैश कम होने का नारा देकर बैंक व डाकघरों से कम राशि का भुगतान मिल पा रहा है।

सरकार द्वारा प्रतिबंधित नोट चलाने व इससे उत्पन्न समस्या से निपटने के लिए दी गई छूट का लाभ भी प्राय: सम्पन्न लोगों को ही हो रहा है। टौल टैक्स फ्री होने से, एयरपोर्ट पर पार्किग फ्री करने के कदम से गरीब जनता का कोई लाभ नहीं हो रहा है बल्कि सम्पन्न लोग ही लाभन्वित हो रहे है।

बैकों मे चल रही मारा मारी से भीड़ में घुसने का साहस ना जुटा पाने वाले मध्यम वर्ग के लोगों के अलावा असहायो को खासी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

Updated : 16 Nov 2016 12:00 AM GMT
Next Story
Top