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ममता बनर्जी ने शुरू किया 'दीदीर सुरक्षा कवच' अभियान, बताया क्या है उद्देश्य

ममता बनर्जी ने शुरू किया दीदीर सुरक्षा कवच अभियान, बताया क्या है उद्देश्य
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में इसी साल होने वाले पंचायत चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर जनसंपर्क अभियान की शुरुआत 11 जनवरी से शुरू होगी। नज़रुल मंच में पार्टी की ओर से सोमवार को आयोजित हुए कार्यक्रम के दौरान पार्टी महासचिव और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने इसका आगाज किया। इस अभियान का नाम दिया गया है "दीदी का सुरक्षा कवच" अभियान के तहत प्रदेश के 3.5 लाख कार्यकर्ता राज्य भर में पंचायत वाले क्षेत्रों में घर-घर जाएंगे और सरकारी सुविधाओं के बारे में प्रचार-प्रसार करेंगे। राज्य सरकार ने आम लोगों के लिए कौन-सी विशेष सुविधाएं शुरू की है, कौन-सी सुविधाएं इन्हें मिल रही हैं, जिन लोगों को नहीं मिल रही हैं उन्हें वे सुविधाएं दिलवाने से लेकर अधिकारियों और सरकारी तंत्र के वर्ताव के बारे में भी एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। दो महीने तक अभियान चलने वाला है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि दो महीने तक तृणमूल कांग्रेस के 3.5 लाख कार्यकर्ता दो करोड़ परिवार यानि कम से कम 10 करोड़ लोगों तक पहुंच कर राज्य सरकार के कार्यों का प्रचार प्रसार और आकलन करेंगे। किसे कौन-सी सुविधाएं मिली है, कहां-कैसी समस्याएं हुई है, इस बारे में विस्तार से जानकारी इस मोबाइल एप्लीकेशन पर भी अपलोड की जाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष स्तर के 350 नेताओं को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। ये सारे नेता घर-घर घूमेंगे और उनके चले जाने के बाद राज्य वासियों की समस्याओं की रिपोर्ट स्थानीय स्तर के नेता लेंगे।

ममता ने कहा कि दुआरे सरकार के जरिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को घर-घर पहुंचाया गया है और अब इस मोबाइल एप्लीकेशन तथा जनसंपर्क अभियान के जरिए तृणमूल कांग्रेस घर-घर पहुंचेगी।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल ही में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार समेत आवास योजना और अन्य परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की वजह से तृणमूल कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई है। इसमें आसन्न पंचायत चुनाव और उसके बाद के लोकसभा चुनाव में विपक्ष भ्रष्टाचार का इस्तेमाल तृणमूल के खिलाफ बहुत अधिक ना कर सके इसमें यह जनसंपर्क अभियान और मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए लोगों की शिकायतें सुनने की कवायद निश्चित तौर पर मददगार साबित हो सकती है।

Updated : 2 Jan 2023 11:48 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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