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गुरु-चरणों में ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति मिलती : नृत्य गोपाल दास

गुरु-चरणों में ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति मिलती : नृत्य गोपाल दास
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अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष व मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने कहा कि गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। भक्तों को गुरु पूर्णिमा के महत्व को समझाते हुये उन्होंने कहा कि जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का अपने ज्ञानांजन द्वारा बड़े ही सरलतापूर्वक निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है।

महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है, वैसी ही गुरु के लिए भी। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं।

महंत ने कहा साधना के क्षेत्र में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है, क्योंकि उनके अनुग्रह के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। जीवन रहस्यों का उद्घाटन केवल गुरु ही करने में सक्षम होते हैं।

गोपाल दास ने कहा, मनु महाराज ने गुरु को ही वास्तविक अभिभावक बताया है। उनके हिसाब से विद्या माता के रूप में शिष्य को जन्म देती और बड़ा करती है। गुरु उस विद्या से आगे शिष्य को जीने लायक और जीवन का परम लक्ष्य प्राप्त करने लायक सामर्थ्य प्रदान करता है। लौकिक माता-पिता तो बच्चे को जन्म देकर उसका पालन-पोषण ही करते हैं, जबकि उसके विकास में सहायता करने वाला, उसे सन्मार्ग पर चलाने वाला गुरु ही होता है। वही मनुष्य का कल्याण कर उसके लिए मुक्ति का द्वार खोलता है। मनु ने तो विद्या को माता तथा गुरु को पिता बताया है।

Updated : 27 July 2018 6:09 PM GMT
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