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सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
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बांदा। संकट मोचन मंदिर के पास हार्पर क्लब में चल रही श्री अष्टोत्तर शत श्रीमद्भागवत महापुराण मूल पारायण कथा के सातवें दिन कथा व्यास श्री जगदीश चन्द्र शास्त्री ने अंतिम दिन सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। वह जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था।

श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए।महिलाओं ने भजन कीर्तन किए। कथा सुनने आए श्रद्धालुओं ने भक्ति रस का पान किया। कार्यक्रम के आयोजक नंदकिशोर त्रिपाठी उर्फ भोले तिवारी महाराज ने बताया कि 6 दिसंबर को भंडारे का आयोजन किया जाएगा।कार्यक्रम के दौरान विनोद कुमार आचार्य,विराट अटल जी, महंत परमेश्वर दास कुरसेजा जी महाराज, पंडित श्री रामबाबू शुक्ल, पंडित प्रमोद शास्त्री,समीर सिंह, शिवशंकर द्विवेदी, कौशलेंद्र शुक्ल,दशरथ गुप्ता निरंजन शुक्ल आदि

Updated : 4 Dec 2021 4:33 PM GMT
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