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पहले माफिया खेल खेलते थे, अब योगीजी उनके साथ जेल-जेल खेल रहे : प्रधानमंत्री

पहले माफिया खेल खेलते थे, अब योगीजी उनके साथ जेल-जेल खेल रहे : प्रधानमंत्री
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मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पहले की सरकारों में उत्तर प्रदेश में अपराधी अपना खेल खेलते थे। पहले यहां अवैध कब्जों के टूर्नामेंट होते थे। बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुलेआम घूमते थे। जबकि अब योगी सरकार अपराधियों के साथ जेल-जेल खेल रही है। डबल इंजन की सरकार युवाओं और क्षेत्र की सामर्थ्य बढ़ाने में लगी है। प्रधानमंत्री मोदी मेरठ जिले के ग्राम सलावा में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय के शिलान्यास के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब उप्र में असली खेल को बढ़ावा मिल रहा है। प्रदेश के युवाओं को दुनिया में छा जाने का मौका मिल रहा है। खेल विश्वविद्यालय के निर्माण से यहां खिलाड़ी पूरी दुनिया पर राज करेंगे।

उत्तर प्रदेश के प्रथम खेल विश्वविद्यालय के शिलान्यास के लिए मेरठ पहुंचे प्रधानमंत्री ने सबसे पहले औघड़नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और इसके बाद शहीद स्मारक जाकर 1857 की क्रांति के शहीदों को नमन किया। प्रधानमंत्री इसके बाद शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे। शिलान्यास से पहले उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित 32 खिलाड़ियों से बातचीत कर उनका हौसला भी बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 700 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह आधुनिक विवि दुनिया के श्रेष्ठ खेल विवि में से एक होगा। जहां युवाओं को खेलों से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं मिलेंगी। करियर के रूप में स्पोर्ट्स को अपनाने के लिए जरूरी चीज का निर्माण करेगी। क्रांतिवीरों की नगरी खेल वीरों की नगरी के रूप में भी अपनी पहचान को सशक्त करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरठ और आसपास के क्षेत्रों के लोग कभी भूल नहीं सकते कि लोगों के घर जला दिए जाते थे। पहले की सरकार अपने खेल में लगी रहती थी। पहले सरकारों के खेल का ही नतीजा था कि लोग अपना पुश्तैनी घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर हो गए थे। पांच साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद अपने घर से निकलने से डरती थीं। आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। मेरठ के सोतीगंज बाजार में गाड़ियों के साथ होने वाले खेल का भी "दि एंड" हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरठ का रेवड़ी-गज्जक, हैंडलूम, ब्रासबैंड, आभूषण आदि के कारोबार यहां की शान हैं। मेरठ और मुजफ्फरनगर में छोटे और लघु उद्योगों के विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं। इसे सबसे आधुनिक रीजन बनाने का काम हो रहा है। दिल्ली से मेरठ की दूरी एक घंटे की रह गई है। गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ से ही शुरू होगा। मेरठ की केनेक्टिविटी उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों से आसान बन रही है। देश का पहला रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम मेरठ को दिल्ली से जोड़ रहा है। मेरठ ऐसा शहर होगा, जहां पर मेट्रो और हाईस्पीड ट्रेन एक साथ दौड़ेगी। आईटी पार्क का लोकार्पण हो चुका है। डबल स्पीड, डबल बेनेफिट ही डबल इंजन सरकार की पहचान है। इस पहचान को और सशक्त करना है। इधर हाथ लंबा करते ही लखनऊ में योगीजी और दूसरा हाथ लंबा करते ही दिल्ली में मैं आपके लिए बैठा हूं। आज पूरा हिन्दुस्तान मेरठ, वेस्ट यूपी और युवाओं की ताकत देख रहा है। ये ताकत देश की ताकत है।

भारत के इतिहास में मेरठ का स्थान केवल एक शहर का नहीं है, बल्कि मेरठ ने रामायण, महाभारत काल से लेकर जैन तीर्थंकरों और पंच प्यारों में से एक भाई धर्म सिंह तक देश की आस्था को ऊर्जावान किया है। मेरठ ने ही गुलामी की अंधी सुरंग में देश को आजादी की नई रोशनी दिखाई। आज हम गर्व से आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। मेरठ और आसपास के क्षेत्रों ने स्वतंत्र भारत को भी नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्ररक्षा के लिए बलिदान हो या खेल मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान, राष्ट्रभक्ति की अलख को सदा प्रज्ज्वलित रखा है। नूरपुर मढैया में चौधरी चरण सिंह के रूप में देश को विजनरी नेतृत्व दिया। मेरठ और क्षेत्र के लोगों का अभिनंदन करता हूं। मेरठ मेजर ध्यानचंद की भी कर्मस्थली रहा है। केंद्र सरकार ने देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार का नाम दद्दा (ध्यानचंद) के नाम पर दिया। आज मेरठ का खेल विवि मेजर ध्यानचंद को समर्पित किया जा रहा है। जब मेजर ध्यानचंद से नाम जुड़ जाता है तो उनका पराक्रम तो प्रेरणा देता है, लेकिन उनके नाम में भी एक संदेश है। उनके नाम में ध्यान शब्द, यानी बिना ध्यान केंद्रित किए सफलता नहीं मिलती। जिस विवि का नाम ध्यानचंद से जुड़ा हुआ हो तो वहां पूरे ध्यान से काम करने वाले नौजवान देश का नाम रोशन करेंगे।

पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना -

प्रधानमंत्री ने खेलों की बदहाली के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की नीतियों की वजह से खेल-खिलाड़ियों को लेकर अच्छा नजरिया नहीं रहा। खुद को खिलाड़ी बताने पर युवाओं को हीन भावना का सामना करना पड़ता था। खेलों के बारे में नजरिया सीमित था। सामर्थ्य को महत्व नहीं दिया। सरकारों का दायित्व समाज में खेलों के प्रति सोच को बदलकर खेल को बाहर निकालने का था। हुआ इसके एकदम उलट। ज्यादातर खेलों के प्रति देश में बेरुखी बढ़ती गई। हॉकी जैसे खेल में दशकों तक पदक का इंतजार करना पड़ा। जब हम जागे तो बहुत देर हो चुकी थी। हर स्तर पर भाई भतीजाबाद, बिरादरी, भ्रष्टाचार, भेदभाव था और पादर्शिता का नामोनिशान नहीं था। बदलती टेक्नोलॉजी, बदलती डिमांड, बदलती स्किल्स के लिए पहली सरकारों ने बेहतर इकोसिस्टम तैयार नहीं किया। सरकारी बेरुखी के कारण टैलेंट बंदिशों में जकड़ा रहा। 2014 के बाद उसे जकड़ से बाहर निकालने के लिए हमने हर स्तर पर रिफॉर्म किए। खिलाड़ियों को चार शस्त्र दिए संसाधन, आधुनिक प्रशिक्षण, अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर और चयन में पारदर्शिता। युवाओं के रोजगार और स्वरोजगार को खेल से जोड़ा। टारगेट ऑलंपिक पॉडियम स्कीम 'टॉप्स' से स्थिति दल गई। खेलो इंडिया के तहत कम उम्र के टैलेंट की पहचान की जा रही है। इससे उनका प्रदर्शन दुनिया सराहती है। खिलाड़ियों ने पदकों की झड़ी लगा दी। खेल के मैदान में भारत का उदय हो गया। गांवों में आधुनिक सुविधाएं दी जा रही है। एक नई कार्य संस्कृति को बढ़ाने का प्रयास है।

देशभर में खोले जा रहे खेल विवि

मोदी ने कहा कि ये खेल विवि देश की खेल संस्कृति को विकसित करने के लिए नर्सरी का काम करती हैं। पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मणिपुर में बनाई। कई खेल संस्थान आधुनिक बनाए गए। हायर एजूकेशन का श्रेष्ठ संस्थान देश को मिला है। खेल से जुड़ी सर्विस और सामान का वैश्विक बाजार लाखों करोड़ रुपये का है। विदेशों में खेल सामान मेरठ से निर्यात होता है। लोकल से ग्लोबल बना रहा है। देश में अनेक ऐसे स्पोर्ट्स को विकसित किया जा रहा है ताकि देश स्पोर्ट्स सामान और उपकरणों के निर्माण में भी आत्मनिर्भर बन सके। नई शिक्षा नीति में भी खेल को प्राथमिकता दी गई है। पहले खेल अलग एक्टिविटी थी, अब खेल भी विषय होगा। उसका भी विशेष महत्व होगा। प्रदेश के युवा बहुत प्रतिभावान है। प्रदेश में डबल इंजन सरकार कई विवि की स्थापना कर रही है। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विवि गोरखपुर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद विधि विवि प्रयागराज, लखनऊ में फोरेंसिक विवि, अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप विवि, सहारनपुर में मां शाकंभरी विवि बन रहे हैं। युवा रॉल मॉडल बनें और अपने मॉडल पहचानें भी। युवाओं को यह कहकर ना टाल दें। सरकार की भूमिका अभिभावक की होती है। यह कहकर ना टाल दें कि लड़कों से गलती हो जाती है। भाजपा सरकार युवाओं को रोजगार दे रही है। लाखों युवाओं का इसका लाभ दिया गया है। अटल जयंती पर योगी सरकार विद्यार्थियों को टेबलेट, स्मार्टफोन दे रही है।

प्रधानमंत्री ने इन खिलाड़ियों से किया संवाद -

प्रधानमंत्री ने टोक्यो ओलंपिक में हॉकी टीम के कांस्य पदक विजेता वाराणसी के ललित उपाध्याय, चंदौली के शिवपाल सिंह, मेरठ की प्रियंका गोस्वामी, अन्नू रानी, पैरा ओलंपियन विवेक चिकारा, बुलंदशहर के बॉक्सर सतीश कुमार, पैरा ओलंपियन रजत पदक विजेता शटलर सुहास एलवाई, गौतमबुद्धनगर के पैरा ओलंपियन रजत पदक विजेता प्रवीन कुमार, मुजफ्फरनगर की पैरा ओलंपयिन तीरंदाज ज्योति सिंह, इटावा के पैरा ओलंपियन एथलीट अजीत सिंह, संभल के पैरा ओलंपियन शूटर दीपेंद्र सिंह और बागपत के पैरा ओलंपियन शूटर आकाश से संवाद किया। इसके साथ ही जूनियन चैंपियनशिव जीतने वाली टीम के सदस्य लखनऊ के शारदानंद तिवारी, भदोही के अमित यादव, गोरखपुर के आदित्य सिंह, गाजीपुर के विष्णुकांत सिंह, उत्तम सिंह और उत्तम सिंह, लखनऊ के आमिर अली, प्रतीक निगम, विकास गौड़, मनीष साहनी और अरुण साहनी, वाराणसी के अंकित सिंह, सामर्थ प्रजापति और सूरत सिंह, गोरखपुर के राजन गुप्ता और जीत कुमार, प्रयागराज के मौ. जैद खान और मो. हारिश, झांसी के सौरभ आनंद, टीम कोच लखनऊ के विकास पाल और टीम मैनेजर इटावा के राजेश कुमार से बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया।

Updated : 3 Jan 2022 10:36 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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