शहीद पंकज सिंह के घर बिलख रहे है परिजन, आज आएगा शव

शहीद पंकज सिंह के घर बिलख रहे है परिजन, आज आएगा शव
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शहादत से अनजान मासूम बेटा पापा को तलाश रहा है, घर पर गमगीन माहौल, आज दी जाएगी अंतिम सलामी

मथुरा। बालाजीपुरम कॉलोनी के रहने वाले एयरफोर्स के जांबाज पंकज सिंह नौहवार अपने देश पर कुर्बान हो गए। उनके पैतृक गांव जरैलिया (बाजना) में सन्नाटा पसरा है। घर पर माता-पिता और पत्नी का करूण क्रंदन सुनकर लोगों का कलेजा कांप रहा है।

बुधवार को उनकी शहादत के खबर मिलने के बाद से ही परिवार में कोहराम मचा हुआ है। शहीद की पत्नी, माता-पिता व अन्य परिजनों की आंखों से आंसू नहीं थम रहे हैं। अश्रुधार के बीच शहादत के मायनों से अनजान शहीद पंकज का मासूम बेटा पापा को तलाश रहा है। वो नही जानता उसके मम्मी, दादा-दादी क्यों रो रहे हैं, लेकिन उन्हें रोता देख वो भी फफक पड़ता है और मोबाइल पर पापा की तस्वीर देख खामोश हो जाता है।

बालाजीपुरम में रहने वाले रिटायर सूबेदार मेजर नौबत सिंह के पुत्र पंकज 2012 में वायु सेना में एयरमैन तकनीकी के पद पर भर्ती हुए थे। मौजूदा समय में पंकज की तैनाती एयरफोर्स स्टेशन श्रीनगर में थी। पंकज की 26 फरवरी को मां रेखा नौहवार और भाई अजय से बात हुई थी। जम्मू-कश्मीर के बडग़ाम में पंकज ने चॉपर से एक स्पेशल ऑपरेशन के लिए उड़ान भरी थी। अचानक चॉपर गिर गया। इसमें वो शहीद हो गए। पंकज 24 दिन पहले ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गए थे। उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह मथुरा लाया जा रहा है।

उन्होंने बताया था कि 27 फरवरी को स्पेशल ऑपरेशन के लिए रिहर्सल होना है। सुबह को उसमें व्यस्त रहेंगे। घर वालों ने बताया कि जब बुधवार सुबह फोन किया तो बात नहीं हो पाई थी। फोन स्विच ऑफ जा रहा था। दोपहर को करीब ढाई बजे श्रीनगर यूनिट से फोन आया कि पंकज नहीं रहे। इतना सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। हर किसी का रो-रोकर बुरा हाल था।


घर वालों ने बताया कि 11 जनवरी को पंकज छुट्टी पर घर आए थे। 17 जनवरी को उन्होंने परिवार वालों के साथ अपना जन्मदिवस मनाया। तीन फरवरी को पंकज अपनी छुट्टी खत्म करके वापस गए थे। पंकज की पत्नी मेघा का रो-रोकर बुरा हाल था। परिवार के लोग उसे शांत कराने की कोशिश करते मगर उसे आंसू थम नहीं रहे थे। मां और अन्य परिजनों को रोता देख शहीद का मासूम बेटा भी बिलख पड़ता है।

तीन साल पहले मेघा से हुई थी शादी

पंकज की शादी 2015 को बुलंदशहर के गांव रसूलपुर निवासी मेघा चौधरी से हुई थी। इन दोनों के एक 16 महीने का बेटा भी है। पंकज ने कहा था कि अप्रैल में वो घर आएंगे। लेकिन कौन जानता था कि पंकज कभी वापस नहीं लौटेंगे। पंकज के भाई अजय ने बताया कि स्पेशल ऑपरेशन के लिए वायुसेना की यूनिट का मूवमेंट होना था। उसी के लिए रिहर्सल किया जा रहा था। अब वहां क्या हुआ यह अभी जानकारी नहीं है।पंकज कहा करते थे कि देश से बड़ा कोई नहीं। जब भी वह उड़ान भरते हैं तब लगता है कि वह देश के लिए कुछ बड़ा करेंगे। जब भी घर आते तो उनके दोस्त और परिवार वाले अक्सर वायुसेना को लेकर चर्चा किया करते थे। पंकज दूसरे नौजवानों को भी आर्मी या वायुसेना के लिए प्रेरित किया करते थे।

योगी सरकार पंकज के परिजनों को देगी 25 लाख, एक सरकारी नौकरी

एयरफोर्स के विंग कमांडर पंकज कुमार सिंह की शहादत पर प्रदेश की योगी सरकार ने परिजनों को 25 लाख की नकद धनराशि तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। सरकार के कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने सरकार की ओर परिवार को सांत्वना देने के साथ ही ये घोषणा की कि पंकज को शहीद का दर्जा दिया जाएगा। इसके साथ पट्टे पर भूमि भी आवंटित की जाएगी।

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