संस्कृति यूनिवर्सिटी में हुई कार्यशाला में विशेषज्ञ फैशन डिजाइनर ने साझा किए अनुभव

टैक्सटाइल डिजाइनिंग में सृजनात्मकता और तकनीकी ज्ञान जरूरी: सुप्रिया राज
मथुरा। टैक्सटाइल डिजाइनिंग आज दुनिया की एक बड़ी उभरती हुई इंडस्ट्री हो गई है। सरकार की संशोधित टैक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम से टैक्सटाइल सेक्टर को जहां नया आयाम मिला है। वहीं लाखों यंगस्टर्स के लिए रोजगार के अवसर भी बने हैं। उक्त विचार सैन इंटरनेशनल की सीनियर फैशन डिजाइनर सुप्रिया राज ने संस्कृति यूनिवर्सिटी में हुई कार्यशाला में स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग संकाय के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
सुश्री राज ने बताया कि एक टैक्सटाइल डिजाइनर को अपने रचनात्मक कौशल से बाजार के मुताबिक डिजाइन प्रस्तुत करना होता है। मौलिक विचार के लिए उसे एक खाका भी बनाना होता है। एक टैक्सटाइल डिजाइनर को डिजाइनिंग के खाके और रंगाई के अलावा अन्य बहुत से पहलुओं पर काम करना होता है। उसे नई डिजाइन तैयार करने से पहले कपड़े की पृष्ठभूमि तथा डिजाइन की अवधारणा को समझना होता है क्योंकि किसी उत्पाद की सफलता या असफलता इन्हीं बातों पर निर्भर करती है।
सुश्री राज ने कहा कि टैक्सटाइल डिजाइनर को रंग की अवधारणा के विषय में अच्छा ज्ञान होना चाहिए। इसके अलावा चित्रांकन तथा रचनात्मक कौशल का होना भी जरूरी है। एक टैक्सटाइल डिजाइनर को डिजाइंस के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान होने के साथ कम्प्यूटर व सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रस्तुतिकरण भी आना चाहिए।
कार्यशाला के समापन अवसर पर कुलपति डा. राणा सिंह ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि उन्होंने जो भी सीखा है, उस पर निरंतर अभ्यास भी करें। इतना ही नहीं छात्र-छात्राएं स्वयं भी नई-नई डिजाइनों पर आपस में विचार-विमर्श करते हुए उन्हें आकार दें। छात्र-छात्राओं ने इस कार्यशाला को उपयोगी बताते हुए कहा कि इसका लाभ उन्हें अवश्य मिलेगा।
