ब्रज में छाने लगी फागुन की मस्ती, मंदिरों में धमारों की गूंज

ब्रज में छाने लगी फागुन की मस्ती, मंदिरों में धमारों की गूंज
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आकर्षण का केन्द्र बना बरसाना का लाडि़लीजी मंदिर

मथुरा। ब्रज भूमि के मंदिरों में फागुन लगते ही होरी की धमारों की गूंज गुंजायमान होने लगी है। ढपों की थापों पर भक्त भाव विभोर होकर थिरकने को मजबूर हो रहे हैं। इसका प्रमुख आकर्षण केन्द्र ब्रज में मथुरा का विश्व प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर व बरसाना का ठाकुर लाडि़लीजी महाराज मंदिर बना हुआ है।

विश्व प्रसिद्ध ठाकुर मंदिर द्वारकाधीश में बुधवार से रसिया गायन प्रारंभ हुए। रसिया गायन कार्यक्रम के बारे में मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि मंदिर के सभी कार्यक्रमों का निर्धारण मंदिर के गोस्वामी बृजेश कुमार महाराज करते हैं और सभी कार्यक्रमों का निर्देशन मंदिर के महाराज डॉ. वागीश कुमार महाराज कांकरोली युवराज के द्वारा किया जाता है। पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में वैसे तो होरी बसंत पंचमी के दिन से ही प्रारंभ हो जाती है परंतु तिथि, घड़ी और पल के अनुसार ही कार्यक्रमों का निर्धारण किया जाता है और फागुन मास के प्रथम दिन से रसिया गायन प्रारंभ हुआ। पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में ठाकुर जी की बालस्वरूप की सेवा है और पूरे मास प्रतिदिन राज भोग के दर्शन में ठाकुर जी को विभिन्न प्रकार के ब्रज के सुप्रसिद्ध रसियाओं का गायन सुनाया जाएगा।

आज कार्यक्रम के प्रारंभ की बेला में सर्वप्रथम ढाप का पूजन मंदिर के अधिकारी श्रीधर चतुर्वेदी, मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी, बनवारी लाल, कमला शंकर भंडारी, बलदेव आदि ने विधि विधान से और रसिया मंडल के प्रमुख चुन्नीलाल, छोटू पंडा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। यह क्रम प्रति दिन जारी रहेगा।

वहीं दूसरी ओर राधारानी की जन्मस्थली बरसाना में सजनी भागन ते फागुन आयौ होरी खेलूंगी श्याम संग आज्य रसिया की पंक्तियां चरितार्थ हो रहीं हैं। वैसे तो यहां के लाडि़लीजी मंदिर में गोस्वामी समाज द्वारा प्रस्तुत की जा रहीं होरी की धमारों का आनंद भक्त उठा रहे हैं। बरसाना में लड्डू होली 13 मार्च, लठामार होली 14 मार्च और नंदगांव की लठामार होली 15 मार्च को खेली जाएगी। वहीं बांके बिहारी व श्रीकृष्ण जन्मस्थान की होली 16 मार्च को होगी। इन होलियों को देखने और आनंद प्राप्त करने के लिए देश के कौने-कौने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रीकृष्ण भक्त ब्रज में आएंगे। इसके लिए बरसाना और वृंदावन में धर्मशालाएं और आश्रम हाउस फुल हो गए हैं। वहीं जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन भी होली की व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है।

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