संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र व छात्राओं ने सीखे उद्यमिता के गुर

मथुरा। उद्यमिता एक चुनौती है लेकिन जिन लोगों में उद्योग की जानकारी, खुद पर विश्वास और खतरा उठाने की क्षमता होती है, उन्हें सफलता से नहीं रोका जा सकता। भारत युवाओं का देश है। हर युवा को रोजगार प्रदान करना किसी के लिए भी आसान बात नहीं है। ऐसे में युवा पीढ़ी को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रेरित किया जाना जरूरी है। उक्त उद्गार गुरुवार को तीन दिवसीय एंटरप्रेन्योरशिप अवेयरनेस कैम्प के समापन अवसर पर डिप्टी डायरेक्टर एमएसएमई इंद्रजीत सिंह यादव ने संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि श्री यादव ने कहा कि आमतौर पर किसी भी व्यक्ति को व्यवसाय में सफल होने के लिए उसके एक से अधिक पक्षों पर ध्यान देना होता है, परंतु एक उद्यमी की सफलता में सीधे तौर पर व्यवसाय से जुड़े पक्षों के अलावा कई ऐसे पक्ष भी जुड़े होते हैं, जिन्हें उसे काम शुरू करने से पहले और काम करते समय लगातार अभ्यास में लाना पड़ता है।
इस अवसर पर कुलपति डॉ. राणा सिंह ने कहा कि संस्कृति यूनिवर्सिटी का उद्देश्य समाज को रोजगार चाहने वाली नहीं रोजगार देने वाली पीढ़ी तैयार करके देना है। यहां के बच्चे रचनात्मक विचार और नवीनीकरण की दिशा में आगे बढ़ते हुए आर्थिक तथा व्यापारिक क्षेत्र में मजबूती से कदम बढ़ाएं इसकी सारी व्यवस्थाएं सुदृढ़ की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि एक सफल उद्यमी में कुछ प्रतिशत जन्मजात प्रतिभा होती है, बाकी उसे खुद के अनुभव से हासिल करनी होती है।
डीन डॉ. कल्याण कुमार ने कहा कि जब तक हम स्वयं किसी काम के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं होते तब तक सफलता हासिल नहीं की जा सकती। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति से जुड़ा एक बुनियादी नियम यह है कि आपको उस काम में आनंद आना चाहिए।
कैम्प के समापन अवसर पर मुस्कान रेजीडेंसी के एमडी श्रेयांश चतुर्वेदी और द मैजेस्टिक प्लामा के जनरल मैनेजर गजेन्द्र प्रसाद चौबे ने भी छात्र-छात्राओं से अपने-अपने विचार साझा किए। आभार डा. निर्मल कुंडू ने माना तथा कार्यक्रम का संचालन डा. सलोनी श्रीवास्तव ने किया।
