नयति में भर्ती मरीज की मरने के बाद आयी पाॅजिटिव रिपोर्ट
-परिजनों का हंगामा
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मथुरा। सामान्य बीमारी से ग्रस्त मरीज को नयति अस्पताल में भर्ती किया गया। 30 घंटे बाद उसकी मृत्यु हो गई। अस्पताल प्रशासन ने कोविड-19 नियमों का हवाला दिया और मृतक की जांच करवाई गई, अब मृतक की रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी है। इस पूरे मामले में तीमारदारों ने अस्पताल प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए है।
नयति अस्पताल तीमारदारों के हंगामे का केंद्र बन गया है। ताजा मामला गोवर्धन क्षेत्र के गांव तोष का है। यहां के निवासी भरत सिंह कुशवाह को उनके परिजनों ने रविवार दोपहर अस्पताल में भर्ती कराया। भरत सिंह के भांजे शुभम ने बताया कि मरीज का इलाज मेट्रो अस्पताल में चल रहा था जहां उनकी कोविड जांच नेगेटिव थी। अचानक तबियत खराब हुई तो हमने नयति में भर्ती करा दिया। अस्पताल प्रशासन को तीन दिन पहले की ही रिपोर्ट दिखाई। आरोप है कि मरीज को भर्ती कराने से पहले 80 हजार की रकम जमा कराई और मरीज को कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया। परिजनों को मिलने नहीं दिया और न ही कोई उपचार की जानकारी दी गई।
सोमवार दोपहर जब परिजनों ने बात करने की बात कही तो बमुश्किल वीडियो काॅल कराई गई, शुभम का कहना है कि उसके मामा ने वीडियो काॅल पर उनसे कहा कि मुझे इस अस्पताल से बाहर निकाल लो, मुझे बचा लो। इस वीडियो की काॅल की रिकाॅडिंग भी उनके पास है। सायं उनके पास अस्पताल कर्मचारी कागजों पर साइन कराने आया जिस पर उन्होंने दस्तखत करने से मना कर दिया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने धमकाया कि अगर साइन नहीं किए तो उपचार नहीं किया जाएगा। इस पर परिजनों ने हस्ताक्षर कर दिए। पीड़ित का दावा है कि कागज लेने के पांच मिनट बाद ही अस्पताल प्रशासन ने मरीज को मृत घोषित कर दिया और 44 हजार का बिल और थमा दिया। परिजनों ने हंगामा किया तो लाश देने से इंकार करते हुए कोविड नियमों का हवाला दिया जाने लगा। अस्पताल के गार्डो ने बदसलूकी की, बार-बार पुलिस को बुलाने की धमकी दी जाती है। मंगलवार सायं मरीज की रिपोर्ट पाॅजिटिव आने के बाद परिजन चौंक गए।
इधर अस्पताल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि मरीज को गंभीर हालत में यहां लाया गया। जो कई बीमारियों से ग्रसित थे। सोशल डिस्टेंसिग उल्लंघन करने की भी बात कही।
30 घंटे का बिल 1.24 लाख
नयति अस्पताल में उपचार में लापरवाही और बिल बड़ा बनाने की शिकायत एक बार फिर सामने आयी है। परिजनों ने बताया कि मरीज को रविवार दोपहर भर्ती किया गया और सोमवार सायं उसकी मृत्यु हो गई इस दौरान महज 30 घंटे में 1.24 लाख का बिल थमा दिया गया। इससे पहले भी कई बार तीमारदारों ने छोटी बीमारी के बड़े बिल बनाने के आरोप लगाए है।
कोरोना काल में सामने आए लापरवाही के कई मामले
कोरेाना काल में नयति अस्पताल का रवैया बेहद घटिया रहा है। यहां कोरोना संक्रमण को लेकर तत्कालीन सीएमओ डा. शेर सिंह ने प्रोटोकाॅल फाॅलो न करने के आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट शासन को भेजी थी। बाॅलीवुड स्टार मोहित बघेल को समय से उपचार न देने, कांग्रेसी नेता अब्दुल जब्बार के भतीेजे को भर्ती न करने के मामलों ने आम जनता को झकझोर दिया था।
स्वदेश मथुरा
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