कोरोना योद्धा की परिभाषा गढ़ रहे है शिक्षक डा.राकेश चतुर्वेदी
-लाॅकडाउन घोषित होते ही अपने वेतन से पीएम राहत कोष में दिए 21 हजार, जरूरतमंदों को पहुंचा रहे है भोजन, माॅस्क
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मथुरा। जिस दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से जंग का ऐलान किया उसी दिन से डा.राकेश चतुर्वेदी ने भी इस लड़ाई में खुद को एक योद्धा के रूप में उतार दिया। प्रचार की चमक-दमक से दूर डा. चतुर्वेदी ने अपने वेतन से पीएम राहत कोष में दान दिया, कोरोना के प्रति जनजागरूकता के लिए रातों में जा-जाकर पोस्टर लगाए। गरीबों को भोजन खिलाया और माॅस्क बांटे। वो इस कोरोना युद्ध के असली योद्धा है।
श्रीजी बाबा सरस्वती विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रांत अध्यक्ष के पद सहित कई जिम्मेदारियां निभा चुके डा.राकेश चतुर्वेदी को उनके सरल स्वभाव, सादगी के लिए जाना जाता है। मार्च के आखिरी सप्ताह में देश में कोरोना से जंग का ऐलान हुआ उसी समय उन्होंने भी इस युद्ध में अपनी भूमिका तय कर ली। लाॅकडाउन लगने के साथ ही उन्होंने अपने वेतन से 21 हजार की धनराशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करा दी। संभवतयः ये मथुरा में पहला मामला था जब किसी व्यक्ति ने सरकार को धनराशि दान दी।
डा.राकेश चतुर्वेदी लाॅकडाउन में ऐसे लोगों को तलाशते रहे जो मदद के लिए जरूरतमंद तो थे लेकिन उनका स्वाभिमान इस बात के आड़े आ रहा था। उन्होंने स्वयं जाकर ऐसे लोगों तक राशन, भोजन का वितरण किया। गरीब असहाय लोगों को माॅस्क बांटे। ये अभियान अभी निरंतर चल रहा है। कोरोना से जंग में जन जागरूकता सबसे अहम है। डा. चतुर्वेदी ने इस बात को समझते हुए लोगों को जागरूक करने के लिए बैनर तैयार करवाए। जिसमें कोरोना के लक्षण, बचाव के उपाय लिखे थे। उन्होंने रातों में जाकर दीवारों पर ये पोस्टर लगवाए। डा. चतुर्वेदी ने कहा कि कोरोना से जीतने का मंत्र है स्वच्छता। इसी संकल्प के साथ उन्होंने स्वच्छता के लिए मुहिम छेड़ रखी है। उन्होंने सफाई कर्मचारियों के अभिनंदन से इस मुहिम की शुरूआत की। अपने-आस-पास के क्षेत्र को हमेशा साफ रखने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे है।
स्वदेश मथुरा
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