Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > मथुरा > जब जिलाधिकारी और सांसद एक दूसरे को नहीं पहचाने

जब जिलाधिकारी और सांसद एक दूसरे को नहीं पहचाने

पुरानी यादों के झरोखे से

जब जिलाधिकारी और सांसद एक दूसरे को नहीं पहचाने
X


रिपोर्टः- विजय कुमार गुप्ता

फोटो कैप्शन-स्व. लाला नवल किशोर के जयंती समारोह के अवसर पर आपस में वार्ता करते सांसद जयंत चैधरी व जिलाधिकारी दिनेश शुक्ला एवं मध्य में हैं विजय कुमार गुप्ता (फाइल फोटो)। 13 एमटीआर 01

मथुरा। बात बहुत दिन पुरानी है। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह के नाती जयंत चैधरी मथुरा में सांसद थे और दिनेश शुक्ला यहां के जिलाधिकारी थे। मौका था स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी स्व. लाला नवल किशोर गुप्ता का प्रतिवर्ष 23 जनवरी को होने वाला जयंती समारोह का।

लाला जी की कर्म स्थली नवल नलकूप पर भीड़ लगी हुई थी और आने जाने वालों का सिलसिला चल रहा था। जिलाधिकारी दिनेश शुक्ला अंदर कुर्सी पर बैठे थे। तभी एक साथ कई गाड़ियां आकर रुकी और जयंत चैधरी ने अपनी गाड़ी से उतरकर कुछ लोगों के झुंड के साथ कार्यक्रम स्थल के अंदर प्रवेश किया। उन्हें देखकर कुर्सियों पर बैठे कुछ लोग उठकर खड़े होने लगे तभी जिलाधिकारी दिनेश शुक्ला ने सांसद जयंत चैधरी के निकट उनके मुंह पर ही यह कह दिया कि यह कौन है?

जयंत चैधरी को यह बात बड़ी नागवार गुजरी बस फिर क्या था उन्होंने ऐसा नहले पर दहला मारा कि दिनेश शुक्ला भी बगलें झांकने लग गऐ। सांसद जयंत चैधरी ने जिलाधिकारी दिनेश शुक्ला की ओर हाथ से इशारा करके पूछा कि आपकी तारीफ। बस फिर क्या था सभी लोग ठहाका लगाकर हंसने लगे और मेरे मुंह से निकला कि वाह जयंत जी आपकी हाजिर जवाबी ने सिद्ध कर दिया कि आप चैधरी साहब (पूर्व प्रधानमंत्री चै. चरण सिंह) के पक्के नातीं हैं, क्या लाजवाब जबाब दिया आपने। इससे ज्यादा मजेदार बात और क्या होगी कि एक ही जिले के कलेक्टर और एमपी आपस में एक दूसरे को न पहचानें जबकि दोनों की आपस में रोजाना फोन पर कई-कई बार वार्ता हुआ करती थी।

दरअसल हुआ यह होगा कि दिनेश शुक्ला एक-दो माह पूर्व ही जिलाधिकारी बनकर मथुरा में आए थे संभवतः उनकी आमने-सामने की भेंट जयंत चैधरी से नहीं हुई होगी। लेकिन इसमें भी पेंच है कि जयंत चैधरी एक जाना पहचाना चेहरा था, फिर भी दिनेश शुक्ला जी कैसे गच्चा खा गए, यह बात भी गले नहीं उतरती। खैर जो भी हो इस बात का चवैया लोगों में कई दिन तक चला तथा समाचार पत्रों में भी यह रोचक वाक्या उस दौरान प्रमुखता से छपा था।

दिनेश शुक्ला जी से जुड़ा एक और किस्सा मुझे याद आ रहा है। दरअसल डाॅ. रमेश यादव पहले यहां जिलाधिकारी थे और शैलजाकांत मिश्र भी उसी समय पुलिस कप्तान थे। उसी दौरान दिनेश शुक्ला यहां एडीएम थे। तभी से मेरा उनसे अच्छा परिचय एवं स्नेह था। जब जयंत चैधरी एवं दिनेश शुक्ला के आपस में एक दूसरे को न पहचानने वाला वाक्या हुआ था। उससे एक वर्ष पूर्व दिनेश शुक्ला फिरोजाबाद के जिलाधिकारी थे। तब मैंने शुक्ला जी को फोन करके कहा कि आप भी हमारे पिताजी के जयंती समारोह में पधारें मुझे बड़ी खुशी होगी।

इस पर शुक्ला जी बोले कि गुप्ता जी मेरी इच्छा बहुत है, पर इस समय मैं बहुत व्यस्त हूं। नहीं आ सकूंगा इसके लिए क्षमा कर दें। मैंने कहा कि चलो कोई बात नहीं। साथ ही यह भी कहा कि हो सकता है आप अगले वर्ष जब हमारा कार्यक्रम हो, तब मथुरा के जिलाधिकारी हों तब तो आओगे? इस पर शुक्ला जी ने कहा कि यदि में अगले वर्ष मथुरा का जिलाधिकारी बना तो हर कीमत पर आपके कार्यक्रम में शामिल होऊंगा।

खैर ईश्वर की कृपा से संयोग ऐसा बना कि वे अगले वर्ष मथुरा के जिलाधिकारी बनकर आ गए और मेरे मुंह से निकली बात सच हो गई। मुंह से निकली बात सच होने की बात पर फिर मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं क्योंकि दो-तीन दिन पूर्व ही एक महिला के मुंह से मेरी पत्नी से वार्ता करते हुए अचानक भूल भुलैया और गलतफहमी में निकल चुका है कि आपके हसबैंड तो एक्सपायर हो गए। अब फिर मैं भगवान से हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा हूं कि भले ही मेरे मुंह की बात सच हो गई हो लेकिन उन भद्र महिला के मुंह से निकली बात कभी सपने में भी सच न हो।

Updated : 14 May 2020 6:52 AM GMT
author-thhumb

स्वदेश मथुरा

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top