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दुनिया त्रस्त और अजगर मस्त

दुनिया त्रस्त और अजगर मस्त
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विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। एक ओर आज-कल पूरी दुनिया कोरोना की महामारी से त्रस्त हो रही है। वहीं दूसरी ओर एक अजगर मस्त है। उसे किसी प्रकार की कोई टेंशन नहीं और अपनी निराली मस्ती की जिंदगी जी रहा है।

यह अजगर और कोई नहीं आरके ग्रुप के चेयरमैन और मथुरा में उच्च शिक्षा के जनक कहे जाने वाले सेठ रामकिशोर अग्रवाल हैं। रामकिशोर जी ने स्वयं अपनी तुलना एक अजगर से करते हुए एक दिन इस संवाददाता से मस्ती भरे अंदाज में कहा था कि भैय्या हम तो अजगर की तरह जंगल में पड़े हुए हैं। जंगल से उनका मतलब था केडी मेडिकल काॅलेज जो छाता के निकट जंगल जैसे क्षेत्र में है। उनका कथन था कि लोगों ने हमें शहर से हटाकर जंगल में पटक दिया है।

उल्लेखनीय है कि रामकिशोर अग्रवाल किसी जमाने में एक टूटी सी साइकिल पर सवार होकर स्कूल पढ़ाने जाया करते थे और धीरे-धीरे उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा धमाल मचाया कि मथुरा में उच्च शिक्षा के पितामह बन गए।

सबसे पहले वे अग्रवाल शिक्षा मंडल द्वारा संचालित बीएसए काॅलेज के मंत्री बने। फिर उन्होंने बीएसए इंजीनियरिंग काॅलेज की स्थापना की और उसके चेयरमैन बने। वहां पर लोगों ने उनकी टांग खिंचाई की जैसा कि अक्सर संस्थाओं में होता है। तब उन्होंने कहा कि लो भाई तुम रखो अपनी संस्था को अपने पास और मैं चला।

इसके बाद इन्होंने अपने चाचा सेठ नारायण दास के साथ जीएलए की स्थापना की। कई वर्ष बाद चाचा और भतीजे में खटपट हुई और रामकिशोर जी ने वहां भी वही रुख अपनाया और अपने पुराने ढर्रे पर चलते हुए चाचा जी से नमस्ते की और कहा कि लो चाचा तुम संभालो जीएलए को और मैं चला। फिर तो इन्होंने जीएल बजाज, केडी डेंटल, राजीव एकेडमी, केडी मेडिकल, राजीव इंटरनेशनल स्कूल की झड़ी लगाने के साथ ही जीएल बजाज की दूसरी शाखा खोलने नोएडा तक पहुंच गए। इसके बाद केडी मेडिकल काॅलेज को यूनिवर्सिटी तक का दर्जा दिलाकर ही दम लिया।

शायद अब रामकिशोर जी के जीवन के सभी सपने साकार हो गए हैं और अब वे अक्सर मौज मस्ती के मूड में रहते हैं। पिछले दिनों जनता जनार्दन ने उन्हें सेठ की उपाधि दी थी क्योंकि अधिकांश धनाढ्यों की तरह उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी के बाद लोगों के पैसे नहीं मारे। भले ही उनके करोड़ों रुपये लोग मार कर बैठ गए जिसकी उन्होंने उफ तक नहीं की। सेठ रामकिशोर कहते हैं कि मैं हमेशा अपने पिताजी स्व. श्री हरिदास अग्रवाल की सीख याद रखता हूं कि बेटा कभी किसी के साथ बेईमानी मत करना वरना अगले जन्म में गधा-घोड़ा बन कर चुकाना पड़ेगा।

सेठ रामकिशोर ने विगत दिवस कोरोना पीड़ितों की सहायतार्थ 51 लाख रुपये का चैक मंडलायुक्त आगरा अनिल कुमार को सौंपा तथा गरीब एवं असहायों के भोजन वितरण में भी वे इस समय दिल खोलकर पैसा खर्च कर रहे हैं।

अंत में बात फिर अजगर की थोड़ी शेष रह गई। रामकिशोर जी कहते हैं कि मैं दूर जंगल में पड़ा हुआ हूं फिर भी लोग नहीं मानते और छेड़ते रहते हैं। कोई कंकड़ पत्थर फेंकता है, कोई थूक भी जाता है। मैं चुपचाप सब सहन करता रहता हूं। जब उनसे पूछा कि लोग आपको परेशान करते हैं तो आप चुपचाप सहन क्यों करते हो, उन्हें सबक क्यों नहीं सिखाते? इस पर वे खिलखिला कर हंसते हुऐ कहते हैं कि अगर कोई लपेटे में आ जाता है तो फिर उसे छोड़ता भी नहीं। उसे अच्छी प्रकार जकड़ कर छटी का दूध याद दिलाकर ही मानता हूं।

Updated : 4 May 2020 2:41 PM GMT
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स्वदेश मथुरा

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